इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के 9वें सत्र में देश के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने देश की राजनीति में अपनी एक लंबी पारी पर चर्चा की. राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बतौर कॉनक्लेव चीफ गेस्ट पॉलिटिक्स, पावर और ऑफिस पर चर्चा की. राष्ट्रपति के साथ इस सत्र का संचालन राजदीप सरदेसाई ने किया. इस सत्र के दौरान प्रणब मुखर्जी ने कहा कि देश को आगे बढ़ाने के लिए एक मजबूत सरकार के साथ-साथ मजबूत विपक्ष की जरूरत है.
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने आजादी के बाद देश को लोकतंत्र के रास्ते पर ले जाने का बड़ा जोखिम उठाया. नेहरू देश में संसदीय लोकतंत्र के जनक थे. वहीं सरदार पटेल ने देश को जोड़ने का काम किया. लिहाजा, आजादी के बाद देश की पीढ़ी पर नेहरू और पटेल का गहरा असर पड़ा.
राष्ट्रपति मुखर्जी ने कहा कि आज भारत दुनिया में फूडग्रेन्स का सबसे बड़ा प्रोड्यूसर है. इसका श्रेय देश के सभी प्रधानमंत्रियों द्वारा किए प्रयासों को जाता है. राष्ट्रपति के मुताबिक इंदिरा गांधी एक ताकतवर नेता थीं और उनके कार्यकाल में बांग्लादेश की आजादी उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि थी.
भारतीय लोकतंत्र में सभी शक्तियां प्रधानमंत्री में निहित हैं. प्रधानमंत्री में यह शक्तियां आम आदमी से मिली है. लेकिन सवाल यह है कि देश का प्रधानमंत्री इन शक्तियों का इस्तेमाल किस तरह से करता है.
पूर्व प्रधानमंत्रियों के साथ अपने अनुभवों को साझा करते हुए राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने कहा कि हमें अपने विरोधियों को संभालने और समझने का हुनर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई से सीखने की जरूरत है.
राष्ट्रपति मुखर्जी ने सदन में सरकार और विपक्ष की नोकझोक में बर्बाद होते समय को भी अहम मुद्दा बताया. प्रणव मुखर्जी के मुताबिक सदन में खराब होने वाला एक-एक मिनट देश की रफ्तार को रोकता है.