तकनीकी विशेषज्ञों का मानना है कि दुनिया में तेजी से मशीनीकरण होता जा रहा है. आज हमारे कंप्यूटर बंदर से तेज सोचने लगा है और भविष्य में यह इंसानों से भी अधिक काम करने लगेगा.
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2018 के आठवें सत्र में मशीन ब्रेन वर्सेस दि ह्यूमन ब्रेन विषय पर ड्यूक इंस्टीट्यूट फॉर ब्रेन साइंसेज के प्रोफेसर डॉ. मुरली दोराइस्वामी और इंफोसिस के पूर्व सीईओ क्रिस गोपालाकृष्णन ने शिरकत की. इस सत्र का संचालन राज चेनगप्पा ने किया.
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इस सत्र के दौरान क्रिस ने कहा कि हम कंप्यूटर से काम कराने के लिए पहले एक प्रोग्राम बनाते हैं और वह उसी तरह से काम करता है. अगले चरण में हम कंप्यूटर को किसी प्रॉब्लम को सॉल्व करने में सक्षम बनाते हैं. यानी हम कंप्यूटर को सिखाते हैं कि एक सेट ऑफ प्रॉब्लम आती है तो वह खुद कैसे उसे सॉल्व कर सकता है.
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डॉ. मुरली ने कहा कि दुनिया चौथे इंडस्ट्रियल रेवोल्यूशन में है. आज हमारे कंप्यूटर बंदर से भी तेज सोचने का काम करते हैं. आज कंप्यूटर किसी चेहरे को भी पहचान सकता है. बीते कुछ दशकों में जिस तरह ह्यूमन ब्रेन डेवलप हुआ, उससे कहीं ज्यादा रफ्तार से कंप्यूटर का ब्रेन डेवलप हुआ है.
इस सत्र के दौरान इंफोसिस के पूर्व प्रमुख ने कहा कि भविष्य में कंप्यूटर इंसान से अधिक काम करने लगेंगे. क्रिस के मतुाबिक मौजूदा डिजिटल युग में प्राइवेसी का मुद्दा अब खत्म हो चुका है. वहीं डॉ मुरली ने कहा कि ह्यूमन इंटेलिजेंस में अभी तक हम सिर्फ 30 प्वाइंट आगे बढ़ें है. हमें और आगे बढ़ने के लिए ब्रेन साइंस में निवेश की जरूरत है.