सोनिया गांधी का कहना है कि हम सब (गांधी परिवार) एक आम परिवार की तरह थे, लेकिन इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उन्हें डर लगने लगा था कि राजीव की जान को भी खतरा है. वह नहीं चाहती थीं कि राजीव राजनीति में आएं.
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2018 में बोलते हुए यूपीए चेयरपर्सन ने कहा, 'राजनीति हमारे लिए पहला विकल्प नहीं था. मैं नहीं चाहती थीं कि मेरे पति (राजीव गांधी) राजनीति में आएं. मुझे डर था कि अगर राजीव राजनीति में प्रवेश करते हैं तो हमारी पारिवारिक जीवन पर असर पड़ सकता है.'
मुंबई में कॉन्क्लेव में इंडिया टुडे के चेयरपर्सन अरुण पुरी से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा, 'इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सब कुछ बदल गया. उनकी हत्या के बाद मुझे राजीव की जान को खतरा दिखने लगा था. फिर राजीव की हत्या के बाद उनकी यह आशंका सही साबित हुई. 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव राजनीति में आए और प्रधानमंत्री बने.
अपने राजनीतिक सफर के बारे में सोनिया ने कहा कि वह नहीं चाहती थीं कि राजीव राजनीति में आएं, लेकिन उन्हें इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजनीति में आना पड़ा. इसी तरह वह खुद भी राजनीति में नहीं आना चाहती थी, लेकिन उन्हें भी मजबूरी में यह फैसला लेना पड़ा.
उन्होंने कहा, 'मेरे लिए राजनीति में आने का फैसला बड़ा कठिन था. मैंने इस पर फैसला लेने के लिए 6-7 साल का समय लिया. उस समय में कांग्रेस लगातार संकट से घिरी हुई थी. मैंने कुछ अलग करने की कोशिश की, और इस उम्मीद से राजनीति में आई. मुझे भी मजबूरी में राजनीति में आना पड़ा. अगर मैं ऐसा नहीं करती तो लोग मुझे कायर कहते.'