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तो पानी के लिए भी देना होगा पैसा? जानिए, क्या है मोदी सरकार की योजना

मोदी सरकार की जल व्यवस्था पर देरी से काम करने के सवाल पर पेयजल सचिव परमेश्वरन अय्यर ने कहा कि उन्हें लगता है कि हर चीज का समय होता है. सरकार धीरे-धीरे सभी जरूरतों पर काम कर रही है. बिजली, सिलेंडर, शौचालय पर काम कर चुकी है. सरकार ने काम करके दिखाया है. अब पानी की बारी है.

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पेयजल एवं स्वच्छता सचिव परमेश्वरन अय्यर
पेयजल एवं स्वच्छता सचिव परमेश्वरन अय्यर

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  • जरूरी सेवाओं के लिए लोगों को पैसा देना चाहिएः पेयजल सचिव

  • अय्यर बोले- लोग पैसा देने की इच्छा रखते हैं, बस्तर में ऐसा हुआ

क्या केंद्र की मोदी सरकार पानी के लिए भी पैसा लेगी? ये एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब हर भारतीय तलाश रहा होगा, लेकिन इसका जवाब खुद मोदी सरकार की ओर से दे दिया गया है. स्वच्छता एवं पेयजल सचिव परमेश्वरन अय्यर ने इंडिया टुडे के मंच से कहा कि हर जरूरी सेवा के लिए लोगों को पैसा देना चाहिए.

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2019 में भाग लेते हुए पेयजल सचिव ने कहा कि जल जीवन मिशन के तहत हम सोच रहे हैं कि लोग कम्युनिटी कैपिटल कॉस्ट का 10 फीसदी भुगतान करें, गरीब वर्ग के लिए यह 5 फीसदी हो सकता है. इसके बाद इस फंड का इस्तेमाल मेंटेनेंस और ऑपरेशन में किया जा सकता है.

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'बस्तर के लोग दे रहे पैसे'

उन्होंने कहा कि बस्तर में लोग हर महीने 100 रुपये दे रहे हैं. इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2019 में शिरकत करते हुए उन्होंने कहा कि लोग पैसा देने की इच्छा रखते हैं, लेकिन इसमें कोई शक नहीं है कि सेवा लेने के लिए लोगों को पैसा देना चाहिए. मोदी सरकार के जल पर देरी से काम करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि उन्हें लगता है कि हर चीज का समय होता है. सरकार धीरे-धीरे सभी जरूरतों पर काम कर रही है. बिजली, सिलेंडर, शौचालय पर काम कर चुकी है. सरकार ने काम करके दिखाया है. अब पानी की बारी है. 

परमेश्वरन अय्यर ने कहा, 'तीन साल पहले जब मैंने ये काम संभाला तब कई हिस्सों में सूखा था. पीएम ने 13 मुख्यमंत्रियों के साथ वन ऑन वन डिस्कशन किया. जल पर क्या काम करना चाहिए, इसकी उन्होंने जानकारी भी ली.'

उन्होंने कहा कि बहुत काम हो चुका है. राजस्थान और महाराष्ट्र में हमारी योजनाएं चल रही हैं. पीएम मोदी ने अब फैसला लिया है कि पानी पर ध्यान देना होगा. जल शक्ति मंत्रालय का गठन किया गया. जल शक्ति अभियान भी चल रहा है जो जल संचय पर काम कर रहा है. जल सरकार के एजेंडे में है. जो 10 करोड़ शौचालय बनाए गए थे, उसमें 90 फीसदी गरीबी रेखा से नीचे वालों के लिए थे. पिछले 5 साल में जो बुनियादी जरूरतें दी गईं वो सबसे कमजोर वर्ग को दी गईं.

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क्या है 4 P?

भारत में बारिश होती है, लेकिन इसका इस्तेमाल कम ही होता है. इस सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि हम ज्यादा से ज्यादा डैम बनाएं, लेकिन इसको बनाने में समय लगता है. इसके अलावा आप जल संचय करें. जल शक्ति का सारा ध्यान इसी पर है. पिछले तीन महीने जल को के लिए बेहद शानदार रहे हैं.

जल राज्य का मामला है. लागू करना तो राज्य के हाथ में है तो फिर इसमें कैसे बदलाव करेंगे? इस सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि हमारा फेडरल सिस्टम है. स्वच्छ भारत अभियान में हमने किया. ऐसा हम इसमें भी करेंगे. किसी ने भी ये नहीं कहा कि ये आसान होगा. ये स्वच्छ भारत मिशन से ज्यादा मुश्किल होगा. मुझे लगता है कि स्वच्छ भारत से हमने चार चीजें सीखी. हमने चार पी पर काम करना होगा. 

4 P के बारे में उन्होंने विस्तार से बताया कि पहला पॉलिटिकल लीडरशीप. पहली बार किसी पीएम ने शौचालय पर बात की. इसका लोगों पर काफी असर हुआ. दूसरा पब्लिक फाइनेंसिंग, तीसरा पार्टनरशिप और चौथा पीपल पार्टिसिपेशन. पीएम जब जल अभियान की बात करते हैं तो इसका मलतब है कि इस अभियान में लोगों को शामिल किया जाए.

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