इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के दूसरे दिन कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई. पुलवामा हमले के बाद भारत के द्वारा की गई एयरस्ट्राइक से पाकिस्तान के रुख में किस तरह का बदलाव हो सकता है इस पर लेफ्टिनेंट जनरल (रिटा.) डीएस हुड्डा ने अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान से निबटना सिर्फ सेना के सहारे संभव नहीं है, इसके लिए आपको राजनीतिक इच्छाशक्ति और कूटनीति के रास्ते पर भी काम करना होगा.
उन्होंने कहा कि हमने 2016 में सर्जिकल स्ट्राइक की, लेकिन उसके बाद भी पाकिस्तान ने हमला किया. पाकिस्तान के खिलाफ एक नीति होना जरूरी है, सिर्फ एक स्ट्राइक से कुछ नहीं होगा अगर हम कड़ा रुख अपना रहे हैं तो उसे लंबे समय तक आगे बढ़ाना होगा.
डीएस हुड्डा बोले कि हम लंबे समय तक सिर्फ एक स्ट्राइक का जश्न नहीं मना सकते. उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद जो एक्शन लिया वह मजबूती भरा फैसला था. पाकिस्तान को जवाब देना जरूरी है, उसके लिए सेना के साथ-साथ कूटनीति का इस्तेमाल भी उतना ही महत्वपूर्ण है. एक लंबी सोच के साथ एक ही नीति पर चलना जरूरी है.
सर्जिकल स्ट्राइक के हीरो डीएस हुड्डा ने कहा कि सैन्य ताकत सिर्फ एक ही हिस्सा है, अगर सिर्फ एयरस्ट्राइक से कुछ होगा तो वह सोचना गलत होगा. सैन्य शक्ति की अपनी लिमिटेशन हैं, इसमें कूटनीतिक शक्ति होना भी जरूरी है.
उन्होंने बताया कि कश्मीर में हमेशा दो तरह की सोच हैं, कोई कहता है पाकिस्तान दिक्कत है और कोई कहता है आंतरिक समस्या है. लेकिन दोनों ही बातें सच हैं. आपको ये भी मानना होगा कि वहां एक बड़ी समस्या है. जब राज्यपाल ने सरकार को हटाकर, राज्यपाल शासन लगाया, तो मैं अचंभित था.
उन्होंने कहा कि कश्मीर में काफी पहले से ही सेना-सरकार एक ही पेज पर हैं. जब सरकार की राजनीतिक इच्छाशक्ति साफ होती है, तो उसी के हिसाब से सेना अपनी नीति बनाती है.