इंडिया टुडे ग्रुप के 'इंडिया टुडे कॉन्क्लेव ईस्ट 2019' के पहले दिन इकोनॉमी राउंडटेबलः द बिग स्लोडाउनः कैन इंडिया रिकवर विषय पर आयोजित गोष्ठी में अर्थव्यवस्था पर नजर रखने वाले कई विशेषज्ञों ने माना कि अर्थव्यस्था में गिरावट आई है और इसे जल्द से जल्द खत्म किया जाना चाहिए. इकोनॉमिस्ट पीएन विजय ने बताया कि वर्तमान में अर्थव्यस्था में गिरावट के पीछे खपत में कमी आना है और इसके लिए 2 बड़ी वजहें हैं और सरकार को इन पर काम करने की जरुरत है.
इकोनॉमिस्ट पीएन विजय ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि बीजेपी पिछले 6 साल से सत्ता में है. अर्थव्यवस्था में गिरावट के लिए पिछली स्थितियां भी जिम्मेदार हैं. रघुराम राजन ने भी माना है कि बैंकिंग सेक्टर और इंफ्रास्टक्चर सेक्टर में पहले से काफी दिक्कतें रही हैं. उन्होंने कहा कि हर किसी ने यह स्वीकार किया है कि खपत में कमी आई है. अर्थव्यवस्था में गिरावट के पीछे खपत में कमी आना है और मेरा मानना है कि इसके पीछे 2 अहम कारण हैं पहला आत्मविश्वास में कमी और दूसरा आय.
उन्होंने कहा कि अगर बिजनेस में विश्वास नहीं है कि मुनाफा होगा तो लोग पैसा लगाने से डरेंगे. निवेश में गिरावट आई है. लोग पैसा उधार पर नहीं ले रहे है. दूसरा अहम कारण है कि आय. लोगों की आय में कमी आई है. नौकरियां नहीं है, काम नहीं है. सरकार की पिछली रिपोर्ट में कहा गया था कि देश की 22 फीसदी आबादी बेरोजगार है. बड़ी संख्या में बेरोजगारी से लोगों की आय में कमी आई है. लोग खर्च करने में कमी कर रहे हैं कि उन्हें नहीं पता कब उनकी नौकरी चली जाए.
मांग बढ़ाने पर जोर दिया जाएः उत्सव
SMIFS कैपिटल मार्केट के चेयरमैन उत्सव पारिख ने कहा कि यह हर किसी को स्वीकर करना चाहिए कि देश में इस समय मंदी है, और सरकार की ओर से इसे खत्म करने की कोशिश करनी चाहिए. यह बड़ी गिरावट है. मांग बढ़ाने पर जोर दिया जाना चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि चीजों को खरीदने के लिए पैसा चाहिए. आज जरूरत इस बात की है कि लोगों के हाथ में पैसे हों तभी वह बाजार खरीदने जाएगा. अगर लोग खरीदने नहीं गए तो अर्थव्यवस्था में सुधार नहीं आएगा.
वहीं स्वदेशी जागरण मंच के अखिल भारतीय सह संयोजक अश्विनी महाजन ने राहुल बजाज के डर वाले बयान पर कहा कि किसी भी बिजनेसमैन ने किसी भी बजट की कभी कोई आलोचना की है. बिजनेसमैन कभी सार्वजनिक तौर पर कुछ नहीं बोलता. उन्होंने किस संदर्भ में यह बात कही यह उन्हें ही पता होगा.
कमा कर बाहर क्यों चले जा रहे लोगः महाजन
अश्विनी महाजन ने आगे कहा कि बिजनेस में आत्मविश्वास चाहिए होता है. तो क्या लोगों ने सभी तरह के बिजनेस में निवेश करना बंद कर दिया है. वर्तमान में जो स्थितियां बनी है उसमें कई जगहों पर निवेश किए जा रहे हैं. इनके बीच नई चीजें भी विकसित हुई है. उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में बिजनेसमैन पैसा लेकर बाहर जाकर बस गए. क्या कारण है कि बिजनेसमैन देश में पैसा कमाकर बाहर चले जाते हैं और बाहर ही पैसा लगाते हैं. हालांकि ऐसे भी कई ऐसे बिजनेसमैन है जिन्होंने देश में ही पैसा निवेश किया. अंबानी और टाटा जैस लोग भी हैं जिन्होंने देश में ही निवेश किया.
इससे पहले कोलकाता के ओबेरॉय ग्रैंड होटल में इंडिया टुडे ग्रुप के चर्चित कार्यक्रम 'इंडिया टुडे कॉन्क्लेव ईस्ट 2019' का आगाज शुक्रवार को हो गया. दो दिवसीय कॉन्क्लेव में अलग-अलग क्षेत्र की जानी-मानी हस्तियां शामिल हो रही हैं. इस कॉन्क्लेव में देश की अर्थव्यवस्था के हालात पर चर्चा की गई. साथ ही पूर्वोत्तर के राज्यों की कला, संस्कृति, राजनीति पर भी चर्चा की जाएगी. कॉन्क्लेव में एनआरसी और सिटीजनशिप बिल पर चर्चा हुई.
इस कॉन्क्लेव में अंबुजा नियोतिया ग्रुप के चेयरमैन हर्षवर्धन नियोतिया, SMIFS कैपिटल मार्केट के चेयरमैन उत्सव पारिख, क्रिसिल के चीफ इकोनॉमिस्ट डीके जोशी, स्वदेशी जागरण मंच के अखिल भारतीय सह संयोजक अश्विनी महाजन, लक्ष्मी टी की एमडी रुद्र चटर्जी, इकोनॉमिस्ट पीएन विजय, इकोनॉमिस्ट और प्रोफेसर अभिरुप सरकार शामिल हुए.
जब बंगाल आगे बढ़ता है तो पूरा क्षेत्र आगे बढ़ताः अरुण पुरी
'इंडिया टुडे कॉन्क्लेव ईस्ट 2019' के स्वागत भाषण में इंडिया टुडे ग्रुप के चेयरमैन और एडिटर इन चीफ अरुण पुरी ने कहा, 'खासकर अक्टूबर भारत और कोलकाता वालों के लिए बेहद खास महीना साबित हुआ है. अभिजीत बनर्जी उन कुछ चुनिंदा भारतीयों में शामिल हुए जिनको नोबेल पुरस्कार हासिल हुआ और मैं यह भी कहना चाहूंगा कि वह यह पुरस्कार हासिल करने वाले तीन बंगालियों में से एक हैं. साथ ही इसी महीने में भारतीय क्रिकेट के दादा सौरव गांगुली बीसीसीआई के 39वें प्रेसिडेंट भी बने.
इंडिया टुडे ग्रुप के चेयरमैन और एडिटर इन चीफ अरुण पुरी ने कहा कि पश्चिम बंगाल आज इतिहास के रोचक दौर से गुजर रहा है. जैसा कि मैंने गौर किया इंडिया टुडे के पिछले महीने हुए स्टेट्स ऑफ द स्टेट्स सर्वे में पश्चिम बंगाल का स्थान नीचे रहा था, पिछले कई सालों के खराब प्रदर्शन की वजह से देश के 20 बेहतरीन प्रदर्शन वाले राज्यों में उसका स्थान 12वां है, लेकिन उसने इन 10 कैटेगरी में सबसे ज्यादा सुधार किया है- समग्र विकास, अर्थव्यवस्था, शासन, कानून-व्यवस्था, उद्ममिता, सफाई, स्वास्थ्य, शिक्षा और कृषि.
अरुण पुरी ने कहा कि पूर्वोत्तर के आठ राज्यों का भारत के जीडीपी में हिस्सा 2.8 फीसदी है. सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि साल 2012 से 2018 के बीच मिजोरम ने भारतीय राज्यों में सबसे ऊंचा 12.75 फीसदी का जीएसडीपी हासिल किया है, यह गुजरात के 10 फीसदी से भी ज्यादा है.