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उषा उत्थुप ने ली राम माधव की चुटकी, बोलीं- मेरी आवाज भी उनके जैसी

उषा उत्थुप ने अपने जीवन के बारे में बताते हुए कहा कि 1969 में मैंने गाना शुरू किया. दिल्ली से मेरी गाने की शुरुआत हुई. मेरी कमजोरी ही मेरी ताकत है.

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इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में उषा उत्थुप
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में उषा उत्थुप

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लोकप्रिय पॉप गायिका उषा उत्थुप ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में कहा कि मेरी आवाज भी राम माधव जैसी है. इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में अपने जीवन के बारे खुलकर बात की. 2018 में जेम्स बॉन्ड की फिल्म स्काइफॉल में गाए गए अपने गाने के लिए अवॉर्ड जीतने वाली उषा उत्थुप ने भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव पर चुटकी ली और कहा कि मैं मंत्री भी हूं और महामंत्री भी हूं.

दरअसल, कुछ ही देर पहले इसी कार्यक्रम में आजतक के न्यूज डायरेक्टर राहुल कंवल ने राम माधव को गलती से मंत्री कहकर पुकारा तो राम माधव ने उन्हें बीच में ही रोकते हुए कहा कि मैं मंत्री भी हूं और महामंत्री भी हूं.

इसके बाद कार्यक्रम में शामिल हुई उषा उत्थुप ने भी एक सवाल के जवाब में राम माधव की बात को दोहराते हुए चुटकी ली और कहा कि आज जब महिला सिंगर की आवाज की बात होती है तो लोग कहते हैं कि आवाज मधुर होनी चाहिए, ऐसी और वैसी होनी चाहिए. और इसी बीच मैं निकल कर आती हूं जिसकी आवाज राम माधव जैसी है. आगे उन्होंने कहा कि सभी को मनोरंजन चाहिए होता है, चाहे वो मंत्री हो या फिर महामंत्री.

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उषा उत्थुप ने अपने जीवन के बारे में बताते हुए कहा कि मैं नाइट क्लब में साड़ी पहनकर जाती थी और मुझे देखकर लोग कहते थे कि ये अम्मा क्या गाएगी. लेकिन वो जैसे ही मेरी आवाज सुनते थे, मंत्रमुग्ध हो जाते थे. उन्होंने कहा, '1969 में मैंने गाना शुरू किया. दिल्ली से मेरी गाने की शुरुआत हुई. मेरी कमजोरी ही मेरी ताकत है.'

मैं तीन सेशन रोज करती थी और इसके लिए मुझे 750 रुपये मिलते थे. ये पैसे एक शो के लिए बल्कि पूरे महीने गाने के लिए मिलते थे. 1969 में मुझे गाने के लिए सबसे ज्यादा पैसे मिलते थे. उस समय मैं सबसे महंगी सिंगर थी. उन्होंने बताया कि मुझे फ्रैंक सिनाट्रा के गाने बहुत अच्छे लगते हैं. मैंने उनके गाने बहुत गाए हैं.

1969 में मैं जेम्स बॉन्ड के गाने गाती थी और 2018 में मुझे जिस गाने के लिए अवॉर्ड मिला वो भी जेम्स बॉन्ड का था. ये गाना अकैडमी अवॉर्ड विनिंग स्काइफॉल था. ज्योति बाबू, अमिताभ बच्चन, कबीर बेदी और सोमनाथ चटर्जी जैसे लोग मुझे सुनने के लिए आते थे.

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