scorecardresearch
 

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव: पानी को मूल अधिकार घोषित करें- पी साईनाथ

पी साईनाथ ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के दौरान जल संकट पर अपने विचार रखे. उन्होंने कहा कि आज देश और दुनिया में जो जल संकट है वह सिर्फ प्राकृतिक रूप से नहीं बल्कि मानव द्वारा खड़ा किया गया संकट है.

Advertisement
X
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में पी साईनाथ
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में पी साईनाथ

Advertisement

  • दो हजार साल से होता रहा है पानी के लिए संघर्ष
  • पानी का वितरण सही करने की है सख्त जरूरत

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के दूसरे और आखिरी दिन शनिवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फणवीस, शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे, नीति आयोग के वाइस चेयरमैन राजीव कुमार और पी साईनाथ जैसी हस्तियों ने शिरकत की. कॉन्क्लेव में 'Panic Room: India's mega-water crisis. And our role in triggering it' सेशन के दौरान पीपल्स आर्काइव ऑफ रूरल इंडिया के फाउंडर एडिटर पी साईनाथ ने इंडिया टुडे की Consulting Editor शोमा चौधरी के सवालों का बेबाकी से जवाब दिया.

पी साईनाथ ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के दौरान जल संकट पर अपने विचार रखे. उन्होंने कहा कि आज देश और दुनिया में जो जल संकट है यह सिर्फ प्राकृतिक रूप से नहीं बल्कि मानव द्वारा खड़ा किया गया संकट है. उन्होंने कहा, 'लोग कहते हैं कि पानी के लिए युद्ध होगा लेकिन मेरा मानना है कि दो हजार साल से पानी के लिए संघर्ष होता रहा है. सदियों से पानी का बंटवारा एक समान नहीं रहा है. यह संघर्ष का मूल कारण है. उन्होंने कहा कि पानी के बंटवारे में भी जातिवाद है. आप प्राचीन समय से ही देख सकते हैं कि पानी पर अगड़ी जातियां सबसे पहले अपना हक जताती रही हैं. दलित लोग अगर पानी के लिए उनके स्रोत पर जाते थे तो उन्हें मारा-पीटा जाता था.'

Advertisement

उन्होंने कहा कि दुनिया की आबादी के 18 फीसदी लोग भारत में रहते हैं लेकिन हमारे पास पीने के पानी का मात्र 4 फीसदी उपलब्ध है. ऐसे में अगर हम पानी का बंटवारा सही ढंग नहीं करेंगे तो यह संकट गहराता जाएगा और संघर्ष का कारण बनेगा. पानी पर संघर्ष को उन्होंने एक उदाहरण के जरिए प्रस्तूत किया.

पी साईनाथ ने कहा कि महाराष्ट्र के कर्नूल में एक किसान के परिवार में 5 बेटे थे. किसान की जमीन पांचों बेटों में बंट गई. इसमें कोई दिक्कत नहीं थी. लेकिन छोटे भाई ने बड़ भाई की हत्या कर दी. इसका कारण जानकर आप हैरान रह जाएंगे. इसका कारण था सिंचित जमीन की लड़ाई. भाइयों में जमीन के बंटवारे नहीं बल्कि सिंचित जमीन के बंटवारे को लेकर विवाद हुआ और फिर हत्या की नौबत आ गई.

पी साईनाथ ने कहा कि जल संकट का एक बड़ा कारण राजनीतिक फैसले भी हैं. सरकार की ओर से अगर पानी को लेकर सही फैसले नहीं किए गए तो जल संकट गहराता जाएगा. इसे उन्होंने कई उदाहरण के जरिए समझाया. उन्होंने कहा कि आप मुंबई से पूणे की ओर जाएंगे तो हाईवे पर आपको बिल्डरों के कई होर्डिंग्स दिखाई देंगे. उनमें से कुछ होर्डिंग्स की तस्वीरें भी उन्होंने दिखाई.

Advertisement

एक बिल्डर मल्टी स्टोरी बिल्डिंग बना रहा है. इसमें उसने दावा किया कि बिल्डिंग के हर फ्लोर पर स्वीमिंग पूल उपलब्ध कराएगा यानी वह फ्लैट में स्वीमिंग पूल बालकनी उपलब्ध कराएगा. सोचिए इसके लिए पानी का कितना मिस यूज होगा. अगर वह इसे बनाने में कामयाब होता है तो इसके लिए वह संबंधित विभाग से क्लीयरेंस लेगा.

इसका मतलब है कि सरकार अगर ऐसा फैसला लेगी तो जल संकट बिल्कुल बढे़गा. उन्होंने कहा कि जल संकट के लिए सरकार को अच्छी प्लानिंग करनी होगी. ऐसा प्लान बनाया जाए कि सबको पानी मिले और इसके लिए सबसे पहले पानी को बेसिक राइट यानी मूल अधिकार के रूप में घोषित करना चाहिए. अगर हमारे पास पानी की जो वर्तमान उपलब्धता है उसका बंटवारा सही हो, अगर हम उसके फिजूल इस्तेमाल से बचें तो जल संकट को कम किया जा सकता है.

Advertisement
Advertisement