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पीयूष गोयल बोले- पूरी दुनिया में कोई नहीं जो प्रधानमंत्री मोदी को दबा सके

जब पीयूष गोयल से पूछा गया कि क्या कॉर्पोरेट टैक्स घटाने के लिए ट्रंप सरकार या कोई अंतरराष्ट्रीय दबाव था. इसपर पीयूष गोयल ने जवाब दिया कि पूरी दुनिया में कोई ऐसा आज तक हुआ ही नहीं जो हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर दबाव बना सके.

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कॉमर्स और रेल मंत्री पीयूष गोयल (फाइल फोटो- Aajtak)
कॉमर्स और रेल मंत्री पीयूष गोयल (फाइल फोटो- Aajtak)

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  • पीयूष गोयल बोले- मोदी है तो मुमकिन है
  • व्यापक असर के बिना फैसला नहीं लेता सरकार: गोयल

इंडिया टुडे कॉनक्लेव में भारत सरकार के कॉमर्स और रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि पूरी दुनिया में कोई ऐसा नहीं है जो हमारी सरकार या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर दबाव बना सके. उन्होंने यह बात तब कही जब उनसे पूछा गया कि क्या कॉ़र्पोरेट टैक्स घटाने के लिए ट्रंप सरकार या कोई अंतरराष्ट्रीय दबाव था. इसपर पीयूष गोयल ने जवाब दिया कि पूरी दुनिया में कोई ऐसा आज तक हुआ ही नहीं जो पीएम मोदी पर दबाव बना सके.

पीयूष गोयल ने आगे कहा कि ये बात सही है कि किसी भी फैसले को लेते समय कई प्रकार के दबाव होते हैं. लोगों के सेंटीमेंट्स होते हैं. लेकिन फैसला तभी लिया जाता है जब उसका व्यापक असर होता दिखाई देता है. डिमॉनेटाइडेशन का फैसला इसलिए नहीं था कि बाजार और लोगों की जेब से पैसा निकाल लें. किसी भी फैसले के पीछे फाइनेंशियल इकोसिस्टम का दबाव होता है, इसमें कई फैक्टर्स शामिल होते हैं.

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पहले मैं पीएम मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को बधाई देता हूं कि उन्होंने आज जो किया वो बड़ा काम है. मोदी है तो मुमकिन है. और मुमकिन की कोई परिभाषा नहीं होती. कोई भी फैसला करने से पहले पीएम खुद बेहद गहन अध्ययन करते हैं. इसके बाद ही कोई निर्णय होता है. इन्हीं फैसलों की वजह से चीजें आगे चलती है. ऐसा तो पहली बार हुआ है कि कोई सरकार डिमॉनेटाइजेशन और जीएसटी के बाद दोबारा चुनकर आई हो, वह भी ज्यादा वोटों के साथ. विपक्ष तो बोलती रहती है. इसका मतलब ये नहीं कि हम कड़े फैसले लेना बंद कर दें.

कॉर्पोरेट टैक्स घटाने से आगे चलकर लाभ होगा

कॉर्पोरेट टैक्स घटाने से देश को करीब 1.45 लाख करोड़ का नुकसान होगा. इसपर गोयल ने कहा कि अभी हो सकता है कि इससे कुछ नुकसान दिखे, लेकिन अगले साल इसका फायदा जरूर दिखेगा. इसके पहले भी डिमॉनेटाइजेशन से भी गरीब को कोई नुकसान नहीं हुआ. लेकिन लोगों को इस बात का भरोसा हो गया कि अब कोई आदमी आया है जो कड़ा फैसला ले सकता है. कोई सरकार है जो भ्रष्टाचार मिटाना चाहती है. कुछ लोगों को बुरा लग सकता है. ये वो लोग हैं जो हमें सूट-बूट की सरकार कहते हैं. लेकिन, लोगों मानते हैं कि हमारे पास ऐसे पीएम हैं जो बड़ा निर्णय लेते हैं.

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