भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि पूरी दुनिया में ग्रोथ रेट कम हैं. उन्होंने कहा कि वे देश के ग्रोथ रेट का बचाव नहीं कर रहा हूं लेकिन सच्चाई यही है कि पूरी दुनिया में ग्रोथ रेट कमजोर हैं. भारत में भी चिंता का विषय है लेकिन आरबीआई की टीम लगातार इसे सुधारने के लिए प्रयास कर रही है. हमारी टीम ने ग्रोथ रेट कम होने के कारणों को खोज लिया है. अब हम ऐसे कदम उठा रहे हैं कि इससे देश को फायदा हो. पूरी दुनिया के सेंट्रल बैंक इंटरेस्ट रेट कम कर रहे हैं. इसलिए हमारे देश की आर्थिक स्थिति को देखते हुए आरबीआई ने भी इंट्रेस्ट रेट कम किया है. लेकिन हम इस मामले में दुनिया के बाकी देशों के सेंट्रल बैंकों से आगे हैं. हमने उन सभी से पहले ही इंट्रेस्ट रेट कम कर दिया था.
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आरबीआई गर्वनर शक्तिकांत दास इंडिया टुडे कॉनक्लेव में ये बातें बोल रहे थे. उन्होंने बताया कि जब वे 70 के दशक में दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे थे, तब इंडिया टुडे की शुरुआत हुई थी. इसके बाद से इस समूह ने जो सफलता हासिल की है उसके लिए मैं इंडिया टुडे परिवार को बधाई देता हूं. इसके बाद शक्तिकांत दास ने कहा कि जब ग्रोथ रेट के गिरने की बात आती है तो इसे वापस पटरी पर लाने के लिए सभी को मिलकर काम करना होता है. सरकार को, बाजार को, बैंक को, इंडस्ट्री को मिलकर इसे आगे बढ़ाना होता है. सरकार को ऐसी स्कीम लानी होती है, जिससे लोगों को फायदा हो. डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर इसका बड़ा उदाहरण है. इससे लोगों को फायदा हुआ है. इससे लोग, बैंक, इंडस्ट्री और सरकार सभी को फायदा होता है.
ग्रोथ रेट कम होने के कारण हैं तो उसे सुधारने के मौके भी हैं
अभी देश के ग्रोथ रेट को सुधारने के लिए सरकार को लैंड, लेबर और इंफ्रास्ट्रक्टर जैसे क्षेत्रों पर फोकस करने की जरूरत है. आरबीआई की रिसर्च टीम भी ग्रोथ रेट बढ़ाने के लिए काम कर रही है. वे पहले तिमाही और दूसरे तिमाही के आंकड़ों का विश्लेषण भी कर रही है. जो भी नतीजा आएगा उसके मुताबिक देश की अर्थव्यवस्था को संभालने की कोशिश करेंगे. कुछ जरूरी फैसले लेने होंगे तो आरबीआई यह भी करेगी. आरबीआई के लिए यह भी जरूरी काम है कि वह देश की आर्थिक स्थिरता को बचाए रखे. इसके लिए भी जरूरी कदम उठाए गए हैं. देश में ग्रोथ रेट कम होने के कई कारण हैं, लेकिन उन्हें सुधारने के लिए कई मौके भी है.
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आरबीआई गर्वनर के फैसले पर तत्काल बाजार रिएक्ट करता है
आरबीआई गर्वनर शक्तिकांत दास कई सरकारी पदों पर भी रहे हैं. सरकारी पदों पर रहते हुए और अब आरबीआई गर्वनर रहते हुए कौन सा काम आपको बेहतर लगता है. इस सवाल पर शक्तिकांत दास ने कहा कि सरकारी पद पर जब आप काम करते हैं तो आपको लोग सरकारी बाबू कहते हैं. वैसे तो बाबू शब्द मीडिया ने पैदा किया है. लेकिन दोनों जगहों पर काम करना अलग था. जब आप सरकार में रहते हुए काम करते हैं तो आपके काम की जिम्मेदारी, उसके फायदे और उसके नुकसान का श्रेय सरकार को जाता है. लेकिन, बतौर आरबीआई गर्वनर आपकी जिम्मेदारी बढ़ गई है. यहां आपको खुद फैसला लेना है. जबकि, वहां सरकार लेती थी. यहां कोई भी फैसला लेते ही बाजार रिएक्ट करता है. इसलिए यहां कोई भी फैसला लेना बेहद जिम्मेदारीपूर्ण होता है.
ग्रोथ रेट मापने के लिए हमने नया तरीका निकाला है
हमने पिछले कुछ महीनों में महंगाई और ग्रोथ रेट को मापने के लिए नया तरीका निकाला है. जहां तक ग्रोथ की बात है हम अब भी खराब हालत में नहीं पहुंचे हैं. हमारे पास बेहतरीन टीम है. वह इसे अगले कुछ महीनों में 5.5 से 5.8 के बीच रखने की कोशिश करेगी. पहले क्वर्टार में सरकारी खर्चा बहुत कम था. इसकी वजह से जीडीपी घटा है. सेकंड क्वार्टर में यह बढ़ा है. आपको डिमॉनेटाइजेशन का चेहरा कहा जाता है, क्या वो फैसला गलता था. इस सवाल पर आरबीआई गर्वनर ने कहा कि आपको मेरी किताब का इंतजार करना होगा.