'अच्दे दिन' की संकल्पना के साथ जब नरेंद्र मोदी ने देश के 'प्रधान सेवक' का पद संभाला तो लगा जैसे 10 साल के बाद लोकतंत्र का जागरण हुआ है. बहुमत की सरकार बनी और हर कोई यही मंत्र जपने लगा कि 'अच्छे दिन आ गए'. दरअसल, यह लाजिमी भी है क्योंकि चुनावी बिगुल बजने के साथ ही बीजेपी ने भी इसी मंत्र को आधार बनाकर वोट बटोरे थे. लेकिन परीक्षा अब एनडीए सरकार की भी है. 100 दिन पूरे हो गए हैं और जनता के बीच जाकर इंडिया टुडे ग्रुप व हंसा रिसर्च ने देश का मिजाज जानने की कोशिश की. ताजा सर्वे के मुताबिक 51 फीसद लोगों ने पीएम मोदी के कामकाज को अच्छा माना है.
आंकड़ा भले ही 51 फीसद का हो, लेकिन वाराणसी से लेकर दिल्ली तक और अरुणाचल से लेकर कश्मीर तक करोड़ों आशाएं केंद्र सरकार के सिर का ताज हैं. आंकड़ों का गणित बताता है कि 28 फीसद लोग मोदी के कामकाज को औसत मानते हैं, जबकि 10 फीसद इसे बहुत अच्छा और 06 फीसद बहुत खराब की श्रेणी में रखते हैं. नरेंद्र मोदी के सत्तासीन होते ही बढ़ती महंगाई, रेल भाड़ा में बढ़ोतरी और सीमा पर पाकिस्तान की गुस्ताखी ने केंद्र की परेशानी बढ़ाने का काम किया. जाहिर है जनता का मिजाज इन बातों को ध्यान में रखते हुए आया है.
बहरहाल, 29 राज्यों के 108 लोकसभा क्षेत्रों के किए गए इस ताजा सर्वे की बात करें तो 23 फीसद लोगों का मत है कि विकास की राह में मोदी की पहली प्राथमिकता गरीबी है. 22 फीसद मानते हैं कि मोदी के लिए भ्रष्टाचार बड़ा मुद्दा है, जबकि 18 फीसद महंगाई और 9 फीसद महिला सुरक्षा को मोदी सरकार की प्राथमिकता बताते हैं.
मुसलमानों की सुरक्षा
नरेंद्र मोदी की सरकार पर कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने सांप्रदायिक होने का आरोप लगाया. यह भी कहा गया कि सरकार बनते ही दंगे बढ़े हैं, जनता सुरक्षित नहीं है. लेकिन इंडिया टुडे-हंसा रिसर्च के सर्वे में इसे सिरे से खारिज कर दिया गया है. 76 फीसद लोगों का मत है कि मोदी सरकार में जनता सुरक्षित है. इसके साथ ही 61 फीसद लोग उन संभावनाओं को खारिज करते हैं जिसके मुताबिक मोदी राज में हिंदू राष्ट्रवाद को बढ़ावा मिला है.
विकास से है मोदी की पहचान
अगस्त के शुरुआती दो हफ्ते (3 से 14 अगस्त 2014) में किए गए इस सर्वे में 46 फीसद लोगों ने माना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहचान विकास से है. 24 फीसद लोग सुशासन को मोदी की पहचान मानते हैं, जबकि 9 फीसद हिंदू राष्ट्रवाद और 4 फीसद सांप्रदायिकता को नरेंद्र मोदी की पहचान बताते हैं.
आरएसएस बनाम मोदी की सोच
नरेंद्र मोदी संघ के करीबी माने जाते हैं. ऐसे में यह सवाल हमेशा से रहा है कि क्या प्रधानमंत्री मोदी संघ के इशारे पर चलेंगे या फिर देश को अपनी सोच के साथ आगे बढ़ाएंगे. सर्वे में शामिल 12,430 लोगों में से 47 फीसद का मत है कि मोदी आरएसएस की बजाय अपनी सोच के साथ आगे बढ़ेंगे और फैसले लेंगे. हालांकि 12 फीसद यह भी मानते हैं कि मोदी संघ के इशारों पर चलेंगे.
कैसी है मोदी की कैबिनेट
सर्वे में लोगों ने मोदी की कैबिनेट को लेकर उत्साह दिखाया है. 78 फीसद लोगों का मत है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट अच्छी है और वह अच्छे फैसले लेगी, जबकि 9 फीसद लोगों ने मोदी की कैबिनेट से निराशा जाहिर की है.
तो 100 दिन बाद हमारे सामने सरकार का कामकाज है और इस आधार पर जनता का मत भी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जापान से नई सौगातों और अपेक्षाओं के साथ वापस लौट आए हैं. जाहिर है बहुमत के मोटर में बैठकर अगले 5 वर्षों में मोदी सरकार को विकास की एक लंबी यात्रा तय करनी है. लोकतंत्र की सड़क सजी हुई है और ये 100 दिन एक अच्छी शुरुआत की आहट भी देते हैं. इंतजार उस रिपोर्ट कार्ड का भी है जिसकी चर्चा नरेंद्र मोदी ने लोकतंत्र के मंदिर में अपने पहले भाषण में थी, क्योंकि तब कहीं जाकर सरकार की सत्यनिष्ठा का सही आकलन हो पाएगा.