दक्षिणी हिस्से को छोड़ दिया जाए तो पूरे देश की राय यही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक और कार्यकाल के लिए मौका दिया जाना चाहिए. इंडिया टुडे पॉलिटिकल स्टॉक एक्सचेंज (PSE) के नौंवे संस्करण के मुताबिक पूरे देश में 46 फीसदी प्रतिभागियों ने नरेंद्र मोदी के पक्ष में ही अगला प्रधानमंत्री बनने के लिए वोट दिया. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को PSE सर्वे में 32% वोटरों ने प्रधानमंत्री के लिए अपनी पसंद बताया. वहीं 22 फीसदी वोटर इस पर स्पष्ट राय व्यक्त नहीं कर सके.
इंडिया टुडे- एक्सिस माई इंडिया सर्वे देश के 540 लोकसभा संसदीय क्षेत्रों लोगों से फोन पर लिए गए इंटरव्यू पर आधारित है. इस सर्वे में कुल 2,16,235 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया. सर्वे 25 अगस्त से 31 अक्टूबर के बीच हुआ.
उत्तर, पूर्व और पश्चिम में मोदी को बढ़त, दक्षिण में राहुल आगे
सर्वे से सामने आया कि देश के उत्तरी, पूर्व और पश्चिमी हिस्सों में लोकप्रियता के मामले में प्रधानमंत्री मोदी का ग्राफ राहुल गांधी के मुकाबले कहीं ऊंचा है. सिर्फ दक्षिणी हिस्से में राहुल ने मोदी को पीछे छोड़ा है. मोदी को उत्तर में 45%, पूर्व में 50% और पश्चिम में 52% वोटर अगले कार्यकाल के लिए भी प्रधानमंत्री बनते देखना चाहते हैं. वहीं राहुल गांधी को उत्तर में 27%, पूर्व में 25% और पश्चिम में 33% प्रतिभागियों ने ही प्रधानमंत्री के लिए अपनी पसंद बताया. जहां तक दक्षिण का सवाल है तो वहां बाज़ी उलटी नज़र आई. यहां प्रधानमंत्री के लिए राहुल के पक्ष में 40% वोटरों ने राय व्यक्त की. वहीं मोदी को सिर्फ 37% वोटरों का ही समर्थन मिल सका.
चुनाव विश्लेषक योगेंद्र यादव इस बात से सहमत हैं कि प्रधानमंत्री पद की दौड़ में नरेंद्र मोदी आगे हैं, लेकिन साथ ही कहते हैं कि मोदी की लोकप्रियता में तेज गिरावट आई है. यादव कहते हैं, ‘ये काफी हद तक साफ है कि राहुल गांधी से नरेंद्र मोदी आगे हैं. 2014 में मोदी की लोकप्रियता राहुल गांधी, सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह को मिलाकर भी दोगुनी थी. एक साल पहले तक मई 2017 में मोदी की लोकप्रियता राहुल, सोनिया और मनमोहन सिंह से मिलाकर तीन गुना थी. अब ये डेढ़ गुना रह गई है. जहां तक सरकार की लोकप्रियता का सवाल है तो पिछले साल के मुकाबले कहीं नहीं टिकती.’
राजनीति-विज्ञानी संदीप शास्त्री कहते हैं, ‘राहुल गांधी से मोदी आगे हैं, लेकिन फासला घट गया है. बीजेपी इसे नेतृत्व का मुकाबला बनाना चाहती है, लेकिन कांग्रेस ऐसा नहीं चाहती. इस वक्त दोनों में मुकाबले का जो ढांचा है उसके मुताबिक दौड़ काफी करीबी हो गई है. किसी नेता की लोकप्रियता पार्टी के लिए सीटों की जीत में तब्दील नहीं होती.’
वहीं, राजनीतिक विश्लेषक मनीषा प्रियम का कहना है, ‘मोदी आगे हैं लेकिन उन्होंने किसी भी केटेगरी में 50% का आंकड़ा पार नहीं किया है. ये देखना दिलचस्प है कि अन्यों को भी 20 से 25% वोट मिले हैं. अगर ऐसे ही गिरावट जारी रही, जो कि हो रहा है तो ये तीसरी दिशा में मुड़ सकता है. 2019 राज्यों के चुनावों का जोड़ होने जा रहा है. असली चुनौती अन्य को राहुल गांधी के साथ मिलाकर है.’
मोदी सरकार का कामकाज
जहां तक मोदी सरकार के कामकाज का सवाल है तो देश भर में 44% वोटर इससे संतुष्ट दिखे. सर्वे में 30% वोटरों ने मोदी सरकार के कामकाज को लेकर नाखुशी जताई. वहीं 20% वोटरों ने मोदी सरकार के कामकाज को औसत बताया.
सर्वे से एक और अहम निष्कर्ष सामने आया कि राज्यों में चाहे सरकार बीजेपी की हो या किसी विरोधी पार्टी की, सभी जगह मोदी सरकार के कामकाज से लोग संतुष्ट अधिक दिखे और नाखुश कम. अगर बीजेपी की अगुआई वाले एनडीए शासित 19 राज्यों की बात की जाए तो वहां 48% वोटर मोदी सरकार के कामकाज से संतुष्ट दिखे. इन राज्यों में मोदी सरकार के कामकाज पर नाखुशी जताने वाले 29% वोटर रहे. वहीं अगर गैर बीजेपी शासित 11 राज्यों की बात की जाए तो वहां 39% वोटरों ने मोदी सरकार के कामकाज पर संतोष जताया. यहां 32 फीसदी वोटरों ने मोदी सरकार के कामकाज पर नाखुशी जताई. बीजेपी की अगुआई वाले एनडीए शासित 19 राज्यों में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, असम, झारखंड, छत्तीसगढ़, हरियाणा, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, गोवा, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, त्रिपुरा, नगालैंड और सिक्किम शामिल हैं. इन राज्यों में लोकसभा की 318 सीटें हैं.
गैर बीजेपी शासित 11 राज्यों में पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, केरल, तेलंगाना, पंजाब, दिल्ली, मिजोरम और पुड्डुचेरी शामिल हैं. इन राज्यों से कुल 214 लोकसभा सीटें दांव पर हैं.
बीजेपी नेता अमित मालवीय अपनी पार्टी में विश्वास जताते हुए कहते हैं, ‘बीजेपी और उसके सहयोगी 70 फीसदी राज्यों में शासन कर रहे हैं. लोकसभा के संदर्भ में देखें तो ये बड़ी बढ़त है. बीते साढ़े चार साल में बीजेपी का वोट शेयर 2014 लोकसभा चुनाव के मामले 12 फीसदी बढ़ा है.’
वहीं, चुनाव विश्लेषक योगेंद्र यादव का मानना है कि देश की शीर्ष एजेंसियों को लेकर जिस तरह की अफरा-तफरी है वो बीजेपी की संभावनाओं को नुकसान पहुंचाएगी. यादव कहते हैं- ‘बीजेपी के 200 सीटों के पार करने या इस आंकड़े को छूने की कोई सूरत नहीं है अगर तीन ‘आई’ यानि सीबीआई, आरबीआई और CJI ने और कड़ा मोड़ लिया तो बीजेपी के लिए हालात और खराब हो सकते हैं. जहां तक कांग्रेस का सवाल है तो वो कोई उम्मीद या उत्साह जगाने में नाकाम है. ऐसी कोई जगह नहीं जहां कांग्रेस को नई जमीन मिल रही हो.’
हालांकि कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने मुद्दों को जोरदार ढंग से उठाने का हवाला देते हुए कहा,‘वोटर राजनेताओं को अपने पार्टनर बदलने के लिए मजबूर कर रहे हैं, ये अपने आप में संकेत है कि मोदी और उनके राजनीतिक कुनबे के लिए अच्छे संकेत नहीं है. हम सही मुद्दे उठा रहे हैं. वो चाहें कोई भी हों- किसानों के मुद्दे, महिला सुरक्षा, भ्रष्टाचार, पेट्रोल-डीजल की कीमतें, बेरोजगारी आदि.’
बीजेपी शासित राज्य हों या गैर बीजेपी शासित राज्य, लोकप्रियता के मामले में मोदी का ग्राफ राहुल गांधी से ऊंचा है. बीजेपी शासित राज्यों में 51 फीसदी वोटर मोदी को और 29 फीसदी वोटर राहुल को अगला प्रधानमंत्री बनते देखना चाहते हैं. जहां तक गैर बीजेपी शासित राज्यों का सवाल है तो प्रधानमंत्री के लिए 40 फीसदी वोटरों ने मोदी और 34% वोटरों ने राहुल के पक्ष में राय व्यक्त की.
प्रधानमंत्री के लिए देशभर में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और बीएसपी सुप्रीमो मायावती को 2-2 फीसदी, समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव, तेलंगाना सीएम केसी चंद्रशेखर राव, ओडिशा सीएम नवीन पटनायक और एनसीपी सीएम शरद पवार को 1-1 फीसदी वोटरों ने अपनी पसंद बताया.
अहम मुद्दे
कौन सा मुद्दा देश भर में लोगों को सबसे ज्यादा प्रभावित कर रहा है तो PSE सर्वे में सबसे ज्यादा 42 फीसदी वोटरों ने नाला/नाली/साफ-सफाई का नाम लिया. अन्य अहम मुद्दों में वोटरों ने महंगाई, कृषि और किसानों की दिक्कतें, बेरोजगारी, पीने के पानी की किल्लत जैसे मुद्दों का नाम लिया.
जातिगत समीकरण
अगर जातिगत समूहों की बात की जाए तो मुस्लिमों को छोड़ कर सभी वर्गों में लोकप्रियता के मामले में प्रधानमंत्री मोदी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से आगे हैं. PSE सर्वे में अनुसूचित जनजाति (ST) के वोटरों में से 48 फीसदी ने प्रधानमंत्री के लिए मोदी और 31% ने राहुल के समर्थन में अपनी राय व्यक्त की.
अनुसूचित जाति (SC) के वोटरों में 46 फीसदी मोदी को और 33 फीसदी राहुल को देश का अगला प्रधानमंत्री बनते देखना चाहते हैं. अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC)के वोटरों में पीएम के लिए मोदी के पक्ष में 54 फीसदी लोगों ने राय व्यक्त की. इस वर्ग में सिर्फ 26 फीसदी वोटर ही राहुल गांधी को देश का अगला पीएम बनते देखना चाहते हैं.
मोदी की लोकप्रियता सबसे ज्यादा सामान्य (GENERAL) वर्ग में दिखी. सर्वे में इस वर्ग से 56 फीसदी वोटर चाहते हैं कि पीएम के लिए मोदी को एक और कार्यकाल मिले. इस वर्ग से सिर्फ 25% वोटर ही राहुल को पीएम बनते देखना चाहते हैं.
जहां तक मुस्लिम वोटरों का सवाल है तो सर्वे से साफ है कि इस वर्ग में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर भारी बढ़त बनाई हुई है. PSE सर्वे के मुताबिक मुस्लिम वोटरों में 56% राहुल गांधी को देश का अगला प्रधानमंत्री बनाने के पक्ष में हैं. मुस्लिम वोटरों में से सिर्फ 16 फीसदी ही मोदी को पीएम के लिए एक और कार्यकाल देने के पक्ष में हैं.
महिलाओं में मोदी की लोकप्रियता अधिक
PSE सर्वे से एक और दिलचस्प तथ्य सामने आया कि मोदी की लोकप्रियता पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में अधिक है. पुरुष वोटरों की बात की जाए तो सर्वे में 45 फीसदी ने प्रधानमंत्री के लिए मोदी के पक्ष में राय व्यक्त की. पुरुष वोटरों में 34 फीसदी ने प्रधानमंत्री की पसंद के लिए राहुल को वोट दिया.
जहां तक महिला वोटरों का सवाल है तो सर्वे में 47 फीसदी ने मोदी और 31 फीसदी ने राहुल गाधी को प्रधानमंत्री के लिए अपनी पसंद बताया.
शहरी बनाम ग्रामीण
देश के शहरी क्षेत्र हों या ग्रामीण, दोनों जगह राहुल गांधी पर मोदी बढ़त बनाए हुए हैं. PSE सर्वे के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों में 44% वोटर मोदी को और 33% राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनते देखना चाहते हैं.
शहरी क्षेत्रों में मोदी की लोकप्रियता ग्रामीण क्षेत्रों के मुकाबले ज्यादा है. सर्वे से सामने आया कि शहरी क्षेत्रों में 48 फीसदी वोटरों ने मोदी और 30 फीसदी ने राहुल गांधी को प्रधानमंत्री के लिए अपनी पसंद बताया.