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वैष्णोदेवी मंदिर से किरण राव तक, ये हैं Safaigiri Awards के विजेता

इंडिया टुडे सफाईगीरी अवॉर्ड्स गांधी जयंती के मौके पर स्वच्छता के क्षेत्र में काम करने वाले तमाम संगठन और हस्त‍ियों को दिए गए. ये अवॉर्ड केंद्रीय रोड ट्रांस्पोर्ट मंत्री नितिन गडकरी ने प्रदान किए. जानिए किसने कौन सा अवॉर्ड जीता.

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इंडिया टुडे सफाईगीरी अवॉर्ड्स 2018
इंडिया टुडे सफाईगीरी अवॉर्ड्स 2018

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जानिए किसने कौन सा अवॉर्ड जीता.

सामुदायिक संगठक: वेस्ट वॉरियर्स

अवि‍नाश प्रताप सिंह, 26 वर्ष

क्यों जीता: ठोस कचरा प्रबंधन, समुचित संग्रहण प्रक्रिया सुनिश्चित कर और छंटाई तकनीक पर अपना ध्यान केंद्रित कर वेस्ट वॉरियर्स ने समुदाय को भागीदार बनाते हुए ऐसी समस्या के लिए समाधान मुहैया किया है, जो शहरी भारत के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है.

स्वयंसेवक के रूप में शुरुआत करने वाले सिंह अब वेस्ट वॉरियर्स (जिसका मुख्यालय देहरादून, उत्तराखंड में है)  के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर बन चुके हैं. वेस्ट वॉरियर्स ने 733 टन रीसाइक्लेबल कचरा इकट्ठा किया है और 1805 पेड़ बचाए हैं.

सर्वश्रेष्ठ नदी सफाई पहल गंगा:

जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय

क्यों जीता: गंगा की सफाई के लिए चलाए गए अब तक के सभी अभि‍यानों में से सबसे प्रभावी के रूप में उभरने के लिए.

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नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा को भरोसा है कि साल 2020 तक गंगा के संरक्षण और सफाई का लक्ष्य पूरा हो जाएगा. केंद्र सरकार ने तीन साल पहले 20,000 करोड़ रुपये के नमामि गंगे कार्यक्रम की शुरुआत की थी. इस योजना के तहत देश के 350 से ज्यादा स्थानों पर 231 परियोजनाएं चलाई जा रही हैं और इन सबके पूरा होने की डेडलाइन दिसंबर 2020 तक है. इनमें से 4,600 करोड़ रुपये लागत की 64 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं.

स्वच्छता के दूत

अक्षय कुमार, 51  वर्ष

क्यों जीता: अपने सेलेब्रिटी दर्जे का इस्तेमाल करते हुए भारत को खुले में शौच से मुक्ति दिलाने के आंदोलन को आगे बढ़ाने और इस लक्ष्य के लिए अपना समय और रचनात्मक ऊर्जा लगाने के लिए.

जो कहना,  उसे करके दिखाना अक्षय कुमार की आदत में शुमार हो चुका है. वह ‘स्वच्छता ही सेवा आंदोलन’ के लिए देश के सबसे सक्रिय ब्रांड एम्बेसडर्स में से हैं. उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार ने उन्हें अपने स्वच्छ भारत अभि‍यान का चेहरा बनाया है. वह मु्ंबई में बीएमसी के ‘स्वच्छ सर्वेक्षण अभि‍यान’ के भी चेहरा हैं.

कचरा गुरु:

3आर मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड के मनीष पाठक, 40 वर्ष, और पारस अरोड़ा, 42 वर्ष

क्यों जीता: एक ऐसा शहरी कचरा प्रबंधन मॉडल तैयार करने के लिए, जिसमें तकनीकी और संचालन पहलुओं के साथ विकेंद्रित समाधान मुहैया कराने पर जोर है.

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बेगूसराय, बिहार के मनीष का औद्योगिक कचरे से पहली बार पाला अपने गृहनगर में ही पड़ा था, जहां बरौनी के कोयला खदान से आने वाले वाली राख की उनके घर की खि‍ड़कियों, दीवारों पर 3 मिमी तक की मोटी परत जम जाती थी. उन्होंने अपने भाई के साथ मिलकर साल 2013 में ‘नोकूड़ा’ कंपनी की स्थापना की, जिसमें बाद में अलीगढ़, यूपी के रहने वाले और टीसीएस में उनके सहकर्मी पारस अरोड़ा भी ज़ुड गए. दुखद यह रहा कि मनोज का दो साल पहले निधन हो गया. लेकिन इसके बाद दोनों दोस्तों ने अपनी कंपनी को आगे बढ़ाया और उसका नाम बदलकर ‘3 आर मैनेजमेंट’ कर दिया.

सबसे साफ रेलवे स्टेशन:

विशाखापत्तनम रेलवे स्टेशन

क्यों मिला: रेलवे स्टेशन साफ और हरित बना रहे, यह सुनिश्चित करने के लिए अत्याधुनिक तकनीक और पर्यावरण अनुकूल दस्तूर अपनाया.

हर संकट एक अवसर होता है,  कैसे? यह देखने के लिए आपको विशाखापत्तनम रेलवे स्टेशन जाना होगा. अक्टूबर, 2014 में हुदहुद चक्रवात से बर्बाद हो चुके इस स्टेशन को नए सिरे से बनाकर बिलकुल आधुनिक स्वरूप दे दिया गया है और उसकी पुरानी पहचान भी बरकरार रखी गई है. दिन भर में पांच बार इसके प्लेटफॉर्म की और छह बार टॉयलट की सफाई की जाती है. यहां दिन भर में करीब 900 क्यूबिक मीटर कूड़ा जमा हो जाता है, जिसकी तीन बार ढुलाई करनी पड़ती है. हर दिन औसतन 20 से 30 किलो प्लास्टि‍क को रीसाइकिल किया जाता है.

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कॉरपोरेट जगत के अगुआ:

टाटा ट्रस्ट

क्यों मिला: टाटा ट्रस्ट ने पूरे देश में 400 ‘जिला स्वच्छ भारत प्रेरक’ नियुक्त किए हैं और स्वच्छ भारत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए स्थानीय समुदाय को शामिल करते हुए बहुआयामी रवैया अपनाया है.

साल 2016 में जब टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन रतन टाटा ने स्किल्ड युवा प्रोफेशनल्स के सरकार के साथ मिलकर ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने के लिए एक कार्यक्रम की घोषणा की तो यह ग्रामीण इलाकों को खुले में शौच से मुक्त करने की दिशा में ट्रस्ट का पहला कदम था. आज ऐसे करीब 400 प्रोफेशनल जिला स्वच्छ भारत प्रेरक (ZSBP) के रूप में काम कर रहे हैं,  जिनकी वजह से 26 राज्यों के 7,000 गांवों में रह रहे करीब साठ लाख लोगों के जीवन में बदलाव आया है.

टेक आइकन:

जनजल

क्यों जीता: अपने 250 वाटर एटीएम के द्वारा इसने जल साझेदारी की एक विशि‍ष्ट अर्थव्यवस्था तैयार की है, जिसकी वजह से पचास लाख से ज्यादा लोगों को सहज और किफायती रूप से पीने का पानी उपलब्ध हुआ है. ‘जनजल’  के वाटर एटीएम में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट भी फिट होता है और यह आरएफआईडी कार्ड के द्वारा संचालित होता है.

सुप्रीमस ग्रुप की पहल जनजल के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर 46 साल के पराग अग्रवाल हैं. प्रवीण कुमार, 57 वर्ष, इसके ज्वाइंट एमडी है. जनजल ने साल 2020 तक अपने वाटर एटीएम नेटवर्क के द्वारा 1 अरब लीटर साफ पानी मुहैया कराने का लक्ष्य रखा है.

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सैनिटेशन स्किल का सर्वश्रेष्ठ संस्थान:

वॉश इंस्टीट्यूट

क्यों जीता: कौशल की खाई को दूर करने जल, स्वच्छता और सफाई के क्षेत्र में प्रभावी नीतियों की वकालत करने के लिए.

इस क्षेत्र के कुछ विशेषज्ञों द्वारा तमिलनाडु के कोडइकनाल में साल 2008 में वाटर, सैनिटेशन ऐंड हाइजीन (WASH) इंस्टीट्यूट की स्थापना की गई थी. इस इंस्टीट्यूट का फोकस वैसे तो कोडइकनाल में ही सेवाएं देने पर था, लेकिन अब इसने 11 जगहों तक अपनी सेवाओं का विस्तार किया है. वॉश के समुदाय और स्कूल स्तरीय प्रोजेक्ट अब तमिलनाडु, तेलंगाना, केरल, बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में चल रहे हैं. यह स्वच्छ भारत अभि‍यान को तकनीकी सहयोग भी प्रदान कर रहा है.

वेस्ट वेल्थ+ऐप:

इनोवेटिव सिटीजन रीड्रेसल फोरम (ICRF)

क्यों मिला: साल 2014 में हैदराबाद के टेक आंत्रप्रेन्योर पेंदेला सुरेश, 49 वर्ष,  ने राजनीति में उतरने का निर्णय लिया और जय सम्यक आंध्र पार्टी में शामिल हुए. विधानसभा चुनाव में उनकी भारी हार हुई, लेकिन वह बिल्कुल खाली हाथ नहीं रहे. चुनाव प्रचार के दौरान ही उनके मन में इनोवेटिव रीड्रेसल फोरम (ICRF)  बनाने का विचार आया. यह एक स्वयंसेवी संस्था है जिसके द्वारा लोगों को सरकारी दफ्तरों में की जाने वाली शि‍कायतों का जल्द समाधान मिलता है. उसी साल उन्होंने आईसीआरएफ एप की शुरुआत की, जिसके द्वारा बेहतर स्वच्छता के लिए टेक्नोलॉजी के द्वारा सूचनाओं के तेज प्रवाह को प्रोत्साहित किया जाता है.

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जल के योद्धा:

पानी फाउंडेशन

क्यों जीता: सूखा उन्मूलन के लक्ष्य के साथ यह संगठन लोगों को संगठित, प्रेरित और प्रशि‍क्षि‍त करता है. यह महाराष्ट्र के 90 फीसदी सूखा प्रभावित इलाकों में सक्रिय है.

पानी फाउंडेशन का गठन टीवी सीरीज ‘सत्यमेव जयते’ की टीम द्वारा किया गया है, जिसका नेतृत्व फिल्म स्टार आमिर खान और उनकी पत्नी किरण राव द्वारा किया जाता है. यह संगठन जनभागीदारी के द्वारा पानी की तंगी को दूर करने के लिए काम करता है. पिछले तीन साल में पानी फाउंडेशन की टीम ने महाराष्ट्र के 38 में से 24 जिलों में जल के बारे में जागरूकता और श्रमदान कार्य किया है.

सबसे साफ स्कूलों वाला जिला:

 मंडी, हिमाचल प्रदेश

क्यों जीता: लड़कें और लड़कियों के लिए अलग-अलग टॉयलेट बनाने और जिले के हर स्कूल में साफ पेयजल सुनिश्चित करने के लिए एक टिकाऊ व्यवस्था कायम करने हेतु.

साल 2007 में जब हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के सरकारी स्कूलों में पूर्ण स्वच्छता अभि‍यान की शुरुआत की गई थी, तो इसका अनुभव बहुत अच्छा नहीं था. राज्य के 2,482 स्कूलों के आधे हिस्से के पास भी टॉयलेट नहीं थे. लड़कियों के लिए अलग टॉयलेट तो सोचा भी नहीं जा सकता था. लेकिन 2008 से 2018 के दस वर्षों में जिले में निर्मल भारत अभि‍यान और स्वच्छ भारत अभि‍यान जैसे केंद्रीय फंड का प्रभावी तरीके से इस्तेमाल किया गया. जिले के स्कूलों में कुल 4,282 टॉयलेट बनाए गए, जिनमें से 1,382 लड़कों के लिए और 2900 टॉयलेट लड़कियों के‍ लिए हैं.

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सबसे साफ शहर

इंदौर

मध्य प्रदेश की आर्थि‍क राजधानी माना जाने वाला इंदौर साल 2014 के पहले गंदगी से जूझ रहा एक शहर था. इंदौर नगर निगम ने कूड़ा इकट्ठा करने का काम निजी संचालकों को दिया था, जो कारगर साबित नहीं हुए. साल 2015 में यह व्यवस्था बदली और पहले साइकिल रिक्शा से, फिर मोटर वाले रिक्शा से लोगों के घर-घर जाकर कूड़ा उठाने की व्यवस्था शुरू की गई. पूरे शहर से कूड़े के डिब्बे हटाने और कूड़ा फेंकने वालों पर अधि‍कतम एक लाख रुपये तक के जुर्माना लगाने की व्यवस्था शुरू की गई. यह व्यवस्था काफी कारगर रही और इंदौर देश का सबसे साफ शहर बन गया.

सबसे साफ धार्मिक स्थल: 

श्री माता वैष्णोदेवी मंदिर जम्मू-कश्मीर

 क्यों जीता: स्थानीय समुदाय की भागीदारी और विशेष अभि‍यानों के द्वारा हिमालय में स्थ‍ित इस मंदिर के पूरी तरह से कायापलट के लिए.

हिंदू धर्म के सबसे सम्मानित और सबसे ज्यादा श्रद्धालुओं की यात्रा वाले श्री माता वैष्णोदेवी मंदिर का आज पूरी तरह से कायापलट हो चुका है. इसकी शुरुआत वैसे तो तीस साल से भी पहले ‘श्री माता वैष्णोदेवी श्राइन बोर्ड’ के गठन से ही हो चुकी थी, लेकिन सबसे बड़ा बदलाव तीन साल पहले आया जब सफाई और संरक्षण कार्य पर नए सिरे से जोर दिया गया. इसी साल जून में पीएम मोदी ने यहां दो महत्वपूर्ण परियोजनाओं- 7.5 किमी. के कटरा से अर्द्धकुमारी तक के लिए नए मार्ग और सइर डाबरी से भवन तक के लिए सर्विस रोपवे- की शुरुआत की है.

बेस्ट वेल्थ क्रिएटर:

जीपीएस रीन्यूएबल्स

मैनक चक्रवर्ती, सीईओ, 35 वर्ष

क्यों जीता: शहरी ऑर्गनिक कचरे के प्रबंधन की समया का पर्यावरण अनुकूल समाधान आर्थि‍क फायदे के साथ निकालने के लिए, जिसके तहत जैविक कचरे की प्रोसेसिंग से बायो सीएनजी उत्पादन किया जाता है. आज इनके जीपीएस बायोऊर्जा सिस्टम की बिक्री भारत, बांग्लादेश, जापान, यूएसए और मलेशिया में की जा रही है. बेंगलुरु में रहने के दौरान मैनक को शहर में कचरे जैसी बुनियादी समस्या के बारे में अच्छी तरह पता था. वह ऐसा काम करना चाहते थे, जिसका समाज पर असर हो, इसलिए उन्होंने कचरे की समस्या से निपटने पर काम शुरू किया. इस तरह उन्होंने अपने दो दोस्तों के साथ मिलकर जीपीएस रीन्यूएबल्स की स्थापना की.

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