प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सार्क सम्मेलन दौरे पर इंडिया टुडे का ग्लोबल राउंड टेबल सम्मिट मंगलवार को काठमांडू में शुरू हो गया. इंडिया टुडे ग्रुप के एडिटर-इन-चीफ अरुण पुरी ने राउंड टेबल में आने के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि यह सार्क देशों के लिए काफी अहम समय है. उन्होंने अफगानिस्तान के राष्ट्रपति का विशेष शुक्रिया अदा किया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सार्क सम्मेलन दौरे पर इंडिया टुडे का विशेष ग्लोबल राउंड टेबल सम्मिट मंगलवार को शुरू हो गया. सार्क देशों के अंतर्संबंधों और क्षेत्र के कई अन्य मुद्दों पर कई देशों के बुद्धिजीवी इस राउंड टेबल चर्चा में अपने विचार रखेंगे. इनमें अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी और पाकिस्तान की पूर्व विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार समेत भारत कई वरिष्ठ नेता और विचारक शामिल हैं.
इंडिया टुडे ग्रुप के एडिटर-इन-चीफ अरुण पुरी ने अपने भाषण से राउंड टेबल का उद्घाटन किया. उन्होंने चर्चा में आने के लिए सभी मेहमानों का धन्यवाद किया और सार्क देशों के साझा संबंधों और उसकी अहमियत की रूपरेखा रखी. उन्होंने भारत के लिए आतंकवाद को बड़ा खतरा बताते हुए कहा कि यह सार्क देशों के लिए काफी अहम समय है. उन्होंने अफगानिस्तान के राष्ट्रपति का कार्यक्रम में आने के लिए विशेष शुक्रिया किया.
क्या भारत और पाकिस्तान दोस्त हो सकते हैं? सम्मिट के पहले सत्र में इस विषय पर हिना रब्बानी खार, कांग्रेस नेता मनीष तिवारी और बीजेपी नेता नलिन कोहली ने चर्चा कर रहे हैं. पाकिस्तान की पूर्व विदेश मंत्री हिना ने कहा कि वह भारत की सेक्युलर छवि को लेकर चिंतित हैं. उन्होंने कहा कि यह बीजेपी के बारे में नहीं, प्रधानमंत्री मोदी के बारे में है.
लेखी ने उठाए पाक की सेक्युलर छवि पर सवाल
सवालों के सेशन में मीनाक्षी लेखी ने शिमला समझौते पर हिना रब्बानी खार की जानकारी पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि वह पाकिस्तान की सेक्युलर छवि की चिंता क्यों नहीं करतीं, जहां हिंदुओं की जनसंख्या तेजी से घटी है. जवाब में खार ने कहा, 'हमें सभी मुद्दों की जानकारी है. हमें मालूम है कि पाकिस्तान को क्या करना है. हम बार-बार उस डिबेट में नहीं जाना चाहते. मैं नाखुश हूं जिस तरह यह डिबेट हुई. यह 'मेरे कहने और फिर आपके कहने' तक ही सीमित हो गई है. नवाज शरीफ की कई आलोचनाओं से मैं सहमत होऊंगी, लेकिन जब वह भारत आते हैं तो एक खतरा उठाते हैं. लेकिन वह सब कुछ भुलाकर आप बातचीत बंद कर देते हैं. मैं शिमला समझौते से भी अच्छी तरह वाकिफ हूं. लेकिन अगर आप इस तरह से बात करेंगे कि कश्मीर कोई मुद्दा ही नहीं है, तो ऐसा लगता है कि आप दुश्मनी बनाए रखना चाहते हैं. सहयोग करना शुरू कीजिए. हम खराब पड़ोसी हैं. हमारे बीच नफरत और बैर है. क्या आप इसे ही जारी करना चाहेंगे? आपकी मौजूदा सरकार तो यही पॉलिसी अपना रही है. या इसे बदलकर संबंध बेहतर करना चाहेंगे?'