अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के भारतीय धरती पर उतरने से पहले ही भारत और अमेरिका के बीच असैन्य परमाणु करार पर जारी गतिरोध को दूर करने के लिए दोनों देशों के बीच बातचीत सफलता के कगार पर पहुंचती दिख रही है.
असैन्य परमाणु करार के मसले पर ओबामा के दौरे को भारतीय पक्ष एक 'सतर्क आशावाद' के साथ देख रहा है. भारतीय पक्ष को उम्मीद है कि अमेरिकी राष्ट्रपति अपनी अधिकारों का उपयोग करते हुए परमाणु मैटेरियल को ट्रैक करने की अमेरिकी जिद को खत्म करेंगे.
दोनों देशों के जिस समझौते पर पहुंचने की उम्मीद है, उसके मुताबिक अमेरिकी प्रशासन न्यूक्लियर मैटेरियल के उपयोग पर भारत की परमाणु अप्रसार की प्रतिबद्धता की नीति और अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के आश्वासन को स्वीकार कर सकते हैं.
गौरतलब है कि पिछले सप्ताह लंदन में दोनों देशों के समूहों के बीच बैठक हुई थी लेकिन यहां महत्वपूर्ण प्रशासनिक मुद्दों पर कोई समझौता नहीं पाया था. इसके बाद इस मामले पर आखिरी फैसला लेने के लिए बराक ओबामा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऊपर छोड़ दिया गया.