आतंकवाद से निपटने की एक पुरजोर कोशिश के तहत भारत और अमेरिका ने एक साथ साझा तौर पर कदम आगे बढ़ाया है. इसके तहत पहली बार भारत के एनएसजी और अमेरिका की स्पेशल फोर्स के कमांडो हरियाणा के मानेसर में एक साथ एंटी टेरर स्ट्राइक की तीन हफ्ते लंबी ट्रेनिंग ले रहे हैं. यह ट्रेनिंग 18 अक्टूबर को शुरू हुई थी और इस हफ्ते खत्म हो जाएगी.
भारत में अमेरिकी राजदूत रिचर्ड वर्मा ने इस ज्वॉइंट ट्रेनिंग को बेहद खास बताया है. उन्होंने कहा कि यह भारत और अमेरिका के बीच रिश्तों व भारत की सुरक्षा के लिहाज से बड़ा कदम है. जुलाई में पंजाब के गुरदासपुर में हुए आतंकी हमले के बाद अमेरिका और भारत आतंकवाद से निपटने के मुद्दे पर लगातार सहयोग कर रहे हैं. गुरदासपुर में मारे गए आतंकियों के पास से मिले जीपीएस डिवाइस को अमेरिकी एक्सपर्ट ने ही डिकोड किया था.
यही नहीं, आतंकियों के पास से जो नाइट विजन डिवाइस मिले थे, उनकी जांच के बाद पेंटागन ने पाया था कि यह वो डिवाइस हैं जो अफगानिस्तान में अमेरिकी फौज ने खो दिए थे.
इंटेलिजेंस एक्सचेंज और कंबाइंड रेड भी
वर्मा के मुताबिक, एनएसजी और स्पेशल फोर्स के कमांडोज का यह साझा अभ्यास इस बात का सबूत है कि दोनों देशों के बीच सुरक्षा को लेकर कितना सहयोग बढ़ रहा है. ट्रेनिंग से जुड़े एक अमेरिकी अफसर ने कहा, 'एनएसजी मुसीबत के वक्त हमारी मदद ले सकती है, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि दोनों सेनाओं के बीच आपसी सहयोग बढ़े. हम इंटेलिजेंस एक्सचेंज भी करना चाहते हैं. हम चाहते हैं कि दोनों सेनाओं के लिए एक कंबाइंड ऑपरेशन रूम हो और हम कंबाइंड रेड भी करें.'
इस साझा अभियान में एनएसजी के स्पेशल एक्शन ग्रुप 51 के 30 कमांडो हिस्सा ले रहे हैं. यूएस और इंडियन आर्मी हर साल ‘वज्र प्रहार’ नाम के कार्यक्रम में कंबाइंड एक्सरसाइज करती हैं. हालांकि ये पहली बार है जब दोनों देशों की स्पेशल कमांडो फोर्स इस तरह की एक्सरसाइज कर रही हों.