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सैन्य तकनीक के अलावा जानकारी पर भी काम करेंगे भारत- अमेरिका

वर्तमान में, अमेरिकी कंपनियों द्वारा भारतीय निजी क्षेत्र के साथ वर्गीकृत रक्षा जानकारी साझा करने का कोई प्रावधान नहीं है. हालांकि दोनों देश महत्वपूर्ण सैन्य प्लेटफार्मों के संयुक्त विकास के पक्ष में काम कर रहे हैं.

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फाइल फोटो
फाइल फोटो

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भारत और अमेरिका महत्वपूर्ण सैन्य प्रौद्योगिकी और गंभीर जानकारी का आदान-प्रदान करने के ढांचे पर काम कर रहे हैं. ये काम अमेरिकी रक्षा कंपनियों और भारतीय निजी क्षेत्र के बीच ज्वाइंट वेंचर के तहत होगा. इसकी जानकारी आधिकारिक सूत्रों ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को दी.

वर्तमान में, अमेरिकी कंपनियों द्वारा भारतीय निजी क्षेत्र के साथ वर्गीकृत रक्षा जानकारी साझा करने का कोई प्रावधान नहीं है. हालांकि दोनों देश महत्वपूर्ण सैन्य प्लेटफार्मों के संयुक्त विकास के पक्ष में काम कर रहे हैं. अधिकारियों ने कहा कि सरकार का ढांचा दायित्व, बौद्धिक संपदा अधिकारों और औद्योगिक सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर स्पष्टता लाएगा.

अमेरिकी रक्षा उद्योग सैन्य हार्डवेयर और प्लेटफार्मों के उत्पादन के लिए निजी क्षेत्रों में भारतीय रक्षा कंपनियों के साथ सहयोग के लिए इस तरह के ढांचे पर जोर दे रहा था. बोइंग और लॉकहीड मार्टिन सहित अमेरिकी रक्षा दिग्गज कंपनियां भारत में अरबों डॉलर के अनुबंधों पर नजर गड़ाए हुए है.

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ये कंपनियां भारतीय कंपनियों के साथ संयुक्त उपक्रम करते हुए भारत में अपने कुछ प्रमुख सैन्य प्लेटफार्मों के निर्माण की पेशकश कर चुके हैं. पिछले महीने, लॉकहीड मार्टिन ने भारत में एफ -21 का निर्माण करने की पेशकश की थी. अमेरिका की इस कंपनी ने ये भी कहा था कि अगर वो 114 विमानों के ऑर्डर को आगे बढ़ाता है तो वो किसी और देश को ये विमान नहीं बेचेगा.

यूएस-इंडिया बिजनेस काउंसिल (USIBC) भी भारतीय कंपनियों के साथ महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी के आदान-प्रदान के लिए एक ढांचे पर जोर दे रहा है. एक अधिकारी ने कहा कि कई अमेरिकी कंपनियां महत्वाकांक्षी रणनीतिक साझेदारी मॉडल के तहत भारत में मेगा परियोजनाओं पर नजर गड़ाए हुए थीं.

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