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चुनौतियों से निपटने के लिए भारत-अमेरिका को साथ काम करने की जरूरत

भारत को एक ‘उभरती हुई वैश्विक ताकत’ की संज्ञा देते हुए अमेरिका ने गुरुवार को कहा कि दक्षिण एशिया क्षेत्र की चुनौतियों से निपटने के लिए दोनों देशों को करीबी सहयोग से काम करने की जरूरत है.

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भारत को एक ‘उभरती हुई वैश्विक ताकत’ की संज्ञा देते हुए अमेरिका ने गुरुवार को कहा कि दक्षिण एशिया क्षेत्र की चुनौतियों से निपटने के लिए दोनों देशों को करीबी सहयोग से काम करने की जरूरत है.

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अपनी तरह की पहली भारत-अमेरिका रणनीतिक वार्ता के शुरूआती संबोधन में विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में स्थाई सीट के लिए भारत के नाम के लिए अपने देश के समर्थन का संकेत भी दिया. हिलेरी ने कहा कि भारत के नाम का समर्थन वैश्विक निकाय में ‘भविष्य में कभी भी सुधार के दौरान निश्चित तौर पर एक पहलू’ होगा.

विदेश मंत्री एस एम कृष्णा के साथ रणनीतिक वार्ता के दौरान दोनों देशों ने सुरक्षा, सेना, परमाणु ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन, शिक्षा और कृषि के क्षेत्र में सहयोग मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई. अफगानिस्तान के पुननिर्माण में भारत की भूमिका की प्रशंसा करते हुए हिलेरी इन ‘शंकाओं’ को भी कम करने का प्रयास करती दिखीं कि अमेरिका भारत को हमेशा अफगानिस्तान और पाकिस्तान के ‘संदर्भ’ में ही देखता है.

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हिलेरी ने कहा ‘अपनी इस वार्ता में हम स्थानीय मुद्दों पर बात करेंगे, जिनमें सबसे अहम अफगानिस्तान का भविष्य है. भारत और अमेरिका समेत दुनिया के विभिन्न देशों की अफगानिस्तान में भागीदारी है और अफगानिस्तान के भविष्य निर्माण में भारत का योगदान सकारात्मक और अहम है.’ हिलेरी ने कहा ‘भारत एक उभरती हुई वैश्विक ताकत और एशिया की स्थानीय ताकत है. इसलिए अफगानिस्तान समेत पूरे पड़ोस की चुनौतियों से निपटने के लिए भारत के साथ करीबी सहयोग से काम करने की जरूरत है.’ {mospagebreak}

अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा ‘21वीं सदी का भाग्य तय करने में भारत और अमेरिका दोनों को अग्रणी भूमिका निभानी ही होगी.’ कृष्णा ने इस बात पर जोर दिया कि दोनों देशों के बीच संबंध गहरे और व्यापक हो रहे हैं और रणनीतिक वार्ता उसी का परिणाम है. कृष्णा ने कहा ‘हम दोनों की ही स्थिर अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के निर्माण और एशिया समेत पूरे विश्व में शांति और स्थिरता लाने में रुचि है और अब हमारे पास इस उद्देश्य को पाने के लिए साथ काम करने का बेहतरीन मौका है.’

हिलेरी ने कहा कि भारत में कुछ लोगों को शंका है कि अमेरिका नयी दिल्ली की ओर पूरा ध्यान नहीं दे रहा और कई बार अमेरिका में ऐसी शंकाएं पैदा होती हैं कि भारत अपने नए रूप को अंगीकार नहीं कर रहा. हिलेरी ने कहा ‘इस रणनीतिक वार्ता के माध्यम से दोनों देश इन मुद्दों का सीधे तौर पर और खुल कर सामना करेंगे.’

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अपने सामान्य से लंबे संबोधन में हिलेरी ने बहुत से मुद्दों की चर्चा की, जिसमें आतंकवाद निरोध से लेकर जलवायु परिवर्तन, हरित तकनीक, खाद्य सुरक्षा, अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा, शिक्षा क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग और असैन्य परमाणु समझौता भी शामिल हैं. 13 मिनट से भी ज्यादा चले संबोधन में हिलेरी ने अफगानिस्तान में भारत की भूमिका की प्रशंसा भी की. {mospagebreak}

हिलेरी ने भारतीय शिष्टमंडल को आश्वासन दिया कि अमेरिका दक्षिण एशिया में भारत की चिंताओं से अवगत है, खास तौर पर अफगानिस्तान संबंधी चिंताओं के बारे में. उन्होंने कहा कि अमेरिका इन चिंताओं से निपटने में नयी दिल्ली के साथ मिल कर काम करेगा.

उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत और अमेरिका ‘आतंकवादी गतिविधियों के शिकार हैं’ और दोनों देशों के लिए सुरक्षा शीर्षस्‍थ प्राथमिकता है. हिलेरी ने कहा कि दोनों देशों को आतंकवाद निरोध के क्षेत्र में बेहतर खुफिया भागीदारी के तौर पर सहयोग बढ़ाना चाहिए, ताकि ‘हमारे देश सुरक्षित बन सकें.’ अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा कि अमेरिका भारतीय सेना के आधुनिकीकरण के लिए प्रतिबद्ध है और इस बात को कम ही लोग जानते हैं कि अमेरिका के भारत के साथ सर्वाधिक सैन्य अभ्‍यास होते हैं.

हिलेरी ने इस बात पर जोर दिया कि दोनों देशों की जनता के बीच जिस स्तर के रिश्ते हैं, उस स्तर तक अभी दोनों देशों की सरकारों के रिश्ते नहीं पहुंचे हैं. उन्होंने कहा है कि अब समय आ गया है कि ‘वाशिंगटन और नयी दिल्ली’ को उसी तरह मिल जाना चाहिए, जिस तरह ‘न्यूयार्क और मुंबई’ मिले हुए हैं. {mospagebreak}

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कृष्णा ने कहा कि आज सुरक्षा चुनौतियों ने जैसा वैश्विक रुख ले लिया है, उसे और खास तौर पर पारदेशीय आतंकवाद को देखते हुए जरूरत इस बात की जरूरत है कि दोनों देश पहले से कहीं अधिक नजदीकी सहयोग से काम करें. कृष्णा ने कहा ‘हालांकि आतंकवाद का केंद्र भारत के पड़ोस में है, लेकिन यह अब दूर-दराज तक और दुनिया के हर कोने में पहुंच गया है, जैसा हमने हाल ही में टाइम्स स्क्वायर के मामले में देखा.’

कृष्णा ने कहा ‘इस बात के मद्देनजर, कि जो संगठन घृणा और हिंसा की विचारधारा को प्रोत्साहित करते हैं, वे तेजी से एक-दूसरे के साथ सांठ-गांठ करके और अपने संसाधनों की भागीदारी करके एक होकर अपनी कार्रवाइयों को अंजाम दे रहे हैं, इसके चलते हम सभी के लिए यह जरूरी है कि हम ऐसे हर संगठन और व्यक्ति के खिलाफ अपने प्रयासों को केंद्रित करें.’ उन्होंने कहा कि इनमें से किसी एक समूह को निशाना बनाना केवल कम समय का झूठा आराम देगा और इससे लंबे समय में स्थिरता नहीं आएगी. {mospagebreak}

सम्मेलन कक्ष में दोनों देशों के विदेश मंत्री बीच में बैठे, जबकि दोनों देशों के शिष्टमंडल मेज के दोनों ओर आपस में मिले-जुले बैठे थे. दोनों देशों के शिष्टमंडलों के नेता काफी हल्के मूड में दिख रहे थे और मुस्कुराते हुए आपस में बात कर रहे थे, जबकि इसके पहले पिछले दो महीनों में अमेरिका की पाकिस्तान और अफगानिस्तान के साथ वार्ता के दौरान दोनों शिष्टमंडलों के सदस्य इससे उलट मूड में दिखे थे. इस बात ने प्रदर्शित किया कि दोनों देशों के अधिकारियों के बीच परस्पर सामंजस्य है.

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कृष्णा के अलावा भारतीय शिष्टमंडल में मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल, विज्ञान और तकनीकी राज्य मंत्री पृथ्वीराज चव्हाण, योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया और विदेश सचिव निरुपमा राव शामिल हैं. दूसरी ओर अमेरिकी शिष्टमंडल में ऊर्जा मंत्री स्टीवन चू, राजनीतिक मामलों के उप विदेश मंत्री विलियम बर्न्‍स और उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइकल फ्रोमन शामिल थे.

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