पाकिस्तान से आए एक संसदीय प्रतिनिधिमंडल का स्वागत करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शुक्रवार को कहा कि भारत मजबूत, स्थिर और समृद्ध पाकिस्तान देखना चाहता है और उन्हें वहां लोकतंत्र को फलते-फूलते हुए देखकर खुशी होती है.
पीएम ने पाकिस्तान की सीनेट के सभापति सैयद नैयर हुसैन बुखारी की अगुवाई में आए संसदीय प्रतिनिधिमंडल से यह भी कहा कि दोनों देशों की संसदों के बीच घनिष्ट संबंध द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए जरूरी है.
यहां पाकिस्तान उच्चायोग ने जारी एक बयान में कहा, ‘वार्ता प्रक्रिया की बहाली का स्वागत करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत मजबूत, स्थिर और समृद्ध पाकिस्तान देखना चाहता है और उन्हें वहां लोकतंत्र को फलते-फूलते हुए देखकर खुशी होती है.’ बुखारी ने महसूस किया कि संसदीय कूटनीति दोनों देशों के बीच संबंध सुधारने में ज्यादा लाभकारी होगी क्योंकि संसद के सदस्य जनता की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं.
मनमोहन सिंह से 45 मिनट की भेंट के बाद बुखारी ने कहा, ‘हमारी मुलाकात बहुत अच्छी रही. हमने द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की. यह एक सकारात्मक चीज है कि दोनों देश बातचीत कर रहे हैं ताकि संबंधों में सुधार आए.’
प्रतिनिधिमंडल मनमोहन सिंह के अलावा विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद, लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार, राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरूण जेटली तथा भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के अध्यक्ष कर्ण सिंह एवं कई अन्य प्रमुख नेताओं से मिला. मीरा कुमार और राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी के न्यौते पर यह प्रतिनिधिमंडल भारत आया है.
बुखारी ने कहा, ‘हमने उन क्षेत्रों के बारे में चर्चा की जहां बाधाएं हैं और उनका हल किया जाना चाहिए.’ पाकिस्तानी संसदीय प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से भी मिला, जिन्होंने संसदीय विनिमय बढ़ने तथा व्यापार, संस्कृति और जन संपर्क जैसे क्षेत्रों में प्रगति पर संतोष जताया.
बयान में कहा गया है, ‘राष्ट्रपति ने दोनों देशों के बीच सहमति के दायरे का विस्तार करने और असहमति के दायरे को कम करने पर बल दिया.’
बुखारी ने भी पीएम से कहा कि पाकिस्तान में लोकतांत्रिक सरकार स्थिर एवं समृद्ध पड़ोस बनाने को उच्च प्राथमिकता देती है और भारत के साथ संबंध सुधारने पर राष्ट्रीय आम सहमति है. बयान के अनुसार बुखारी ने कहा कि जनता का प्रतिनिधि होने के नाते दोनों देशों की संसदों की द्विपक्षीय संबंध सुधारने की दिशा में काम करने की जिम्मेदारी है.
एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि संसदीय कूटनीति ज्यादा लाभदायक होगी क्योंकि सांसद जनता द्वारा चुने जाते हैं और वे उनकी आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं तथा बातचीत के माध्यम से अच्छा माहौल बनाते हैं.
जब उनसे पूछा गया कि एक दृष्टिकोण यह है कि भारत ने महसूस किया कि पाकिस्तान में अधिनायकवादी नेताओं से निबटना ज्यादा आसान है, उन्होंने तपाक से कहा, ‘यह गलत धारणा है. निर्वाचित प्रतिनिधि लोगों के प्रति जवाबदेह होते हैं.’