scorecardresearch
 

भारत 10 साल में दुनिया की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था होगी: अंबानी

रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी का मानना है कि अगले दस साल में भारत दुनिया की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था होगी. हालांकि उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था के लिहाज से संवेदनशील कच्चे तेल के दाम के प्रति सतर्क करते हुये कहा कि जल्द ही कच्चे तेल के दाम 100 डालर प्रति बैरल तक पहुंच सकते हैं.

Advertisement
X

रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी का मानना है कि अगले दस साल में भारत दुनिया की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था होगी. हालांकि उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था के लिहाज से संवेदनशील कच्चे तेल के दाम के प्रति सतर्क करते हुये कहा कि जल्द ही कच्चे तेल के दाम 100 डालर प्रति बैरल तक पहुंच सकते हैं.

Advertisement

अंबानी ने शुक्रवार को उद्योग के एक सम्मेलन में कहा कि 2020 तक भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था होगी. उन्होंने कहा, ‘मुझे विश्वास है कि 2020 तक भारत का आय व्यय का ब्यौरा दुनिया में सबसे मजबूत होगा. अगले दस साल में भारत का सकल घरेलू उत्पाद 1,500 अरब डालर से 5,000 अरब डालर पर पहुंच जाएगा और भारत दुनिया के आर्थिक दृष्टि से सबसे मजबूत देशों में होगा.’

बड़े अंबानी ने कहा कि यह सदी भारत की होगी. दुनिया के अन्य देशों से कारोबार भारत की ओर आ रहा है. हालांकि, उन्होंने कहा कि कच्चे तेल की कीमतें 70 डालर प्रति बैरल से उपर बनी हुई हैं. भविष्य में कच्चे तेल के दाम तीन अंक में पहुंच सकते हैं. यहां यह उल्लेखनीय है कि कच्चे तेल के दाम बढने से भारतीय अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पडता है.

Advertisement

पेट्रोल, डीजल के दाम सरकारी नियंत्रण में होने के कारण सरकारी खजाने पर सब्सिडी को बोझ बढ़ जाता है. उन्होंने कहा कि रिफाइनिंग क्षमता की धीमी वृद्धि से कीमतों में बढ़ोतरी होगी. अंबानी ने कहा कि पेट्रोरसायन उद्योग को पुन:निवेश करना चाहिए. मुकेश अंबानी ने कहा कि दुनिया की 40 फीसदी आबादी भारत और चीन में होगी. भारत और चीन दोनों काफी मांग पैदा करेंगे और इन देशों में खपत नई ऊंचाई पर पहुंच जाएगी.

भारत में खपत बढ़ने से यह दुनिया का प्रमुख विनिर्माण हब बन जाएगा. उन्होंने कहा, ‘यह ऐसा समय है कि जब भारत जैसे विकासशील देश अपनी ऐसी क्षमताओं के बारे में जानेंगे, जिनका अभी तक दोहन नहीं हो सका है.’ अंबानी ने कहा कि यूरोप की साख पर असर डालने वाले ऋण संकट ने एक बार फिर दिखा दिया है कि एशिया के पास ज्यादा शक्तिशाली बनने की क्षमता है.

Advertisement
Advertisement