चीन की आंख का कांटा बने दलाई लामा से भारतीय विदेश सचिव निरुपमा राव की हाल की मुलाकात पर बेहद सतर्क प्रतिक्रिया देते हुए बीजिंग ने कहा कि उसे उम्मीद है कि भारत निर्वासित तिब्बतियों को चीन विरोधी गतिविधियों की इजाजत नहीं देने के अपने संकल्प पर कायम रहेगा.
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता किन गैंग ने संवाददाताओं से बातचीत में पिछली 10 जुलाई को धर्मशाला में राव की दलाई लामा से मुलाकात के बारे में पूछे जाने पर कहा ‘‘चीन ने तिब्बत के मुद्दे पर अपने रुख को भारत के सामने स्पष्ट रूप से रखा है.’’ उन्होंने कहा ‘‘भारत सरकार ने बीजिंग से कई बार कहा है कि वह तिब्बत को चीन का हिस्सा मानता है और वह अपने यहां रह रहे निर्वासित तिब्बती लोगों को चीन विरोधी राजनीतिक गतिविधियां करने की इजाजत नहीं देगा. यही वजह है कि हमें पूरी उम्मीद है कि भारत तिब्बत से जुड़े मुद्दों को लेकर अपने संकल्प पर कायम रहेगा.’’
जानकारों की नजर में किन की यह टिप्पणी काफी नरम है क्योंकि चीन अब तक दलाई लामा से किसी देश के शीर्ष अधिकारियों की मुलाकात पर तल्ख प्रतिक्रिया देता रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और दलाई लामा के बीच हाल में वाशिंगटन में हुई मुलाकात की चीन ने कड़ी आलोचना की थी. चीन ने उस मुलाकात को बीजिंग की सम्प्रभुता से जुड़े मामलों में हस्तक्षेप माना था.{mospagebreak}मेनन ने गत तीन से छह जुलाई के बीच हुई अपनी यात्रा के दौरान चीनी प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ और विदेश मंत्री यांग जीची से मुलाकात की थी. दलाई लामा की आलोचना करने के बावजूद चीनी अधिकारी निर्वासित आध्यात्मिक गुरु के प्रतिनिधियों से बातचीत कर रहे हैं. दलाई लामा भी तिब्बत को चीन का हिस्सा मानते हैं लेकिन वह अपने वतन के लिये और स्वायत्तता चाहते हैं.