टैक्स मामलों में भारत को स्विट्जरलैंड से सूचनाओं के आदान-प्रदान की स्वचालित सुविधा के लिए अभी इंतजार करना होगा, जबकि स्विट्जरलैंड कुछ चुनिंदा देशों के साथ कर इस तरह की व्यवस्था करने की तैयारी में है. हालांकि संदिग्ध टैक्स चोरी के मामलों में द्विपक्षीय सहयोग की व्यवस्था के लिए भारतीय और स्विस अधिकारियों की बैठक होने वाली है, लेकिन उसके साथ बैंकिंग सूचना की स्वचालित व्यवस्था के लिए भारत को इंतजार करना होगा.
दूसरी ओर, स्विट्जरलैंड ने विदेशों के साथ कर सूचनाओं के स्वत: आदान-प्रदान की प्रक्रिया पर काम शुरू किया है. इस मामले में वह यूरोपीय संघ के देशों और अमेरिका पर ध्यान केंद्रित कर रहा है. स्विस वित्त विभाग के प्रवक्ता ने बताया, 'शुरुआत में यूरोपीय संघ और उसके सदस्य देशों के अलावा अमेरिका पर ध्यान दिया जाएगा. अन्य चुनिंदा देशों के साथ सूचनाओं के स्वत: आदान प्रदान पर वार्ताओं की समीक्षा की जाएगी.' भारत के मसले पर प्रवक्ता ने कहा कि शुरुआत में उन देशों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, जिनके स्विट्जरलैंड के साथ नजदीकी आर्थिक और राजनीतिक संबंध हैं. उन्होंने इसमें भारत का नाम नहीं लिया.
अधिकारी ने कहा, 'शुरुआती चरण में उन देशों पर विचार किया जाएगा, जिनके साथ स्विट्जरलैंड के नजदीकी आर्थिक और राजनीतिक संबंध हैं. ये देश बाजार क्षमता के हिसाब से स्विट्जरलैंड के वित्तीय उद्योग के लिए महत्वपूर्ण हैं. स्विस मंत्रिमंडल ने कर मामलों पर सूचनाओं के स्वत: आदान-प्रदान के लिए नए वैश्विक नियम अपनाने के विषय में अपने वित्त विभाग को आठ अक्तूबर को अन्य देशों के साथ के लिए बाध्यकारी समझौते की बातचीत करने के लिए अधिकृत किया है.'
मई में सत्ता संभालने वाली नरेंद्र मोदी सरकार ने कहा है कि दूसरे देशों में भारतीयों के जमा काले धन को वापस लाने के लिए वह हरसंभव प्रयास करेगी. भारत और स्विट्जरलैंड के अधिकारियों के बीच आगामी हफ्तों में बैठक होने की उम्मीद है, जिसमें भारत द्वारा स्विस बैंकों में खाता रखने वाले संदिग्ध कर अपवंचकों का ब्योरा देने के लिए भरोसा दिलाने का प्रयास किया जाएगा. गौरतलब है कि स्विस बैंकों में भारतीयों के कथित काले धन के मुद्दे पर भारत और स्विट्जरलैंड के अधिकारियों के बीच पिछले कुछ अरसे से बातचीत चल रही है. सूचनाओं के स्वत: आदान-प्रदान की व्यवस्था के लिए पेरिस स्थित बहुपक्षीय संगठन आर्थिक सयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) ने एक व्यवस्था का मसौदा तैयार किया था. भारत सहित जी20 के देशों ने इसका अनुमोदन कर दिया है.
लगेगा 2017 तक का समय
बताया जाता है कि आगे इसके लिए देशों के घरेलू कानूनों में संशोधन के साथ-साथ कंप्यूटर और आईटी सिस्टम की आवश्यक व्यवस्था करनी होगी. ओईसीडी के कर नीति और प्रशासन केंद्र के निदेशक पास्कल सेंट-अमान्स ने कहा कि सूचना आदान-प्रदान की स्वचालित व्यवस्था (एईओआई) के प्रभावी होते होते कम से कम 2017 तक का समय तो लग ही जाएगा. भारत और स्विट्जरलैंड सहित 47 देशों ने इसी को अपनाने पर इसी माह सहमति जताई है. इसके तहत बैंक जमा, ब्याज, लाभांश अन्य वित्तीय आय और बिक्री की रकम आदि के बारे में सूचनाओं का आदन प्रदान हो सकता है. इस बीच खबर है कि 2013 में स्विस बैंकों में भारतीयों का धन बढ़कर 14,100 करोड़ रपये हो गया है, जो एक साल पहले 8,547 करोड़ रपये था.
-इनपुट भाषा से.