भारत ने आज स्पष्ट कर दिया कि ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के लिए भारत का स्वैच्छिक ‘‘असमर्थित कार्य’’ अंतरराष्ट्रीय जांच के लिए नहीं खुला है लेकिन कहा कि ऐसे उपायों पर प्रगति से जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र की संस्था को अवगत कराया जाएगा.
जलवायु परिवर्तन पर 12 दिवसीय शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने आए रमेश ने कहा कि असमर्थित कार्यों के लिए मूल्यांकन घरेलू स्तर पर होगा और गैर जिम्मेदाराना पहलुओं पर हमारी संसद कार्रवाई करेगी और कोई नहीं. गैर समर्थित कार्यों का मतलब ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के लिए घरेलू स्तर पर शुरू किए गए उपाय हैं जिसमें कोष या प्रौद्योगिकी के माध्यम से दूसरे देशों की सहायता नहीं है.
भारत ने स्वैच्छिक तौर पर 2020 तक उत्सर्जन में 20 से 25 फीसदी कटौती की बात कही है लेकिन इसने वैधानिक तौर पर किसी प्रतिबद्धता पर हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया है. मंत्री ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मूल्यांकन का कोई सवाल नहीं उठता. उन्होंने कहा कि भारत के पास चीन, ब्राजील, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर और अन्य देशों का इस मुद्दे पर समर्थन है.