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टैक्स आतंकवाद को बढ़ावा नहीं देगा भारत: अरुण जेटली

केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को कहा कि देश में न तो कर आतंकवाद को बढ़ावा दिया जाएगा, न इसे टैक्स हैवेन ही बनने दिया जाएगा.

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वित्त मंत्री अरुण जेटली
वित्त मंत्री अरुण जेटली

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केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को कहा कि देश में न तो कर आतंकवाद को बढ़ावा दिया जाएगा, न इसे टैक्स हैवेन ही बनने दिया जाएगा.

जेटली ने कहा कि जो लोग विदेशों में जमा अपनी अज्ञात संपत्ति का खुलासा करेंगे, उनके साथ सरकार नरम रुख अपनाएगी और इस दिशा में एक तर्कसंगत मार्ग अपनाया जाएगा. भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के वार्षिक सम्मेलन में जेटली ने मौजूदा संसद सत्र में अखिल भारतीय स्तर पर वस्तु एवं सेवा कर लागू करने से संबंधित विधेयक लाने और नौकरशाही में फैसला लेने की प्रक्रिया आसान बनाने के लिए कानून में जरूरी संशोधन करने का भी वादा किया.

'पिछला कानून गांव विरोधी'
जेटली ने साथ ही कहा कि भूमि अधिग्रहण पर पिछला कानून गांव विरोधी है. मंत्री ने कहा, 'हम टैक्स हैवेन नहीं हैं और न ही बनना चाहते हैं. भारत की स्थिति इतनी खराब नहीं है कि कर से संबंधित हर मांग को कर आतंकवाद कह दिया जाए.' याद रहे कि पिछले कुछ वक्त में कई विदेशी फंड और कंपनियों को कर भुगतान करने के लिए नोटिस जारी किया गया है और कई पक्ष उससे नाराजगी जता रहे हैं.

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'सुझावों का स्वागत'
जेटली ने कहा कि वह अघोषित विदेशी आय एवं संपत्ति (कराधान) विधेयक, 2015 को गत महीने लोकसभा में पेश कर चुके हैं फिर भी इस संबंध में सुझावों का स्वागत किया जाएगा और विधेयक में आवश्यकता होने पर सुधार किया जाएगा. उन्होंने कहा कि पहले की जा चुकी इस तरह की गतिविधि के लिए नियम पालन करने की एक सीमित अवधि की सुविधा दी जाएगी. विधेयक में विदेशों में जमा काला धन पर 300 फीसदी तक के जुर्माने के साथ ही तीन से 10 साल तक के कठोर कारावास की सजा का भी प्रावधान है.

कालेधन लाने पर बरती जाएगी नरमी
विधेयक में हालांकि विदेशों में जमा काला धन वापस लाने पर कुछ नरमी का भी प्रावधान है, जिसमें ऐसे लोगों को एक निर्धारित समयावधि में अपनी ऐसी संपत्तियों की घोषणा करने पर कुछ कर अदायगी के बाद शेष राशि को अपने पास रखने की अनुमति होगी.

प्रावधानों के मुताबिक, भारत से बाहर ऐसी संपत्ति की घोषणा पर 30 प्रतिशत कर और इतनी ही राशि का जुर्माना देय होगा. यानी प्रभावी कर 60 फीसद होगा, जिसका अर्थ यह हुआ कि व्यक्ति को 40 प्रतिशत राशि अपने पास रखने का अधिकार होगा.

इनपुट IANS

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