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लड़ाकू विमानों में मेट्योर मिसाइल लगाने के प्लान पर IAF को लग सकता है झटका!

यही कारण है कि एअर फोर्स की कोशिशों को झटका लग सकता है. खबर की मानें तो यूरोपियन मैन्यूफैक्चर्स ने कहा है कि वह अपने हथियारों को ऐसी जगह इस्तेमाल नहीं होने देंगे, जहां पर आगे जाकर दिक्कत हो.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

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पाकिस्तान और चीन की तरफ से दोहरे मोर्चे पर सीमा की सुरक्षा की तैनाती में लगे भारत की कोशिशों को जोरदार झटका लग सकता है. भारतीय वायु सेना की कोशिश थी कि उनके पास मौजूद रूसी SU-30MKI और हल्के कॉम्बेट एअरक्रॉफ्ट तेजस को मेट्योर मिसाइल के साथ जोड़कर अपनी ताकत बढ़ाई जाए. लेकिन अब ऐसा होना मुश्किल लग रहा है.

मेल टुडे की खबर के अनुसार, मेट्योर मिसाइल के यूरोपियन मैन्यूफैक्चर का कहना है कि वह अपने हथियार का इस्तेमाल किसी इज़रायली या फिर रूसी प्लेटफॉर्म पर नहीं करने देंगे. यही कारण है कि एअर फोर्स की कोशिशों को झटका लग सकता है. खबर की मानें तो यूरोपियन मैन्यूफैक्चर्स ने कहा है कि वह अपने हथियारों को ऐसी जगह इस्तेमाल नहीं होने देंगे, जहां पर आगे जाकर दिक्कत हो.

गौरतलब है कि एअर फोर्स का प्लान था कि अपने हल्के कॉम्बैट एअरक्रॉफ्ट को मेट्योर मिसाइलों के साथ जोड़ा जाए. ये एअरक्रॉफ्ट इज़रायल के थे, इसी वजह से दिक्कतें पैदा हो रही हैं. आपको बता दें कि भारतीय वायुसेना के फाइटर स्कॉवर्डन में आधी जमात रूसी Su-30MKIs की ही है, अब एअरफोर्स इन्हें ही अपग्रेड करना चाहती थी.

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क्यों जरूरी है मेट्योर मिसाइल ?

दरअसल, पाकिस्तान और चीन के पास अभी मेट्योर मिसाइल का तोड़ नहीं है. मेट्योर मिसाइल को भारत में राफेल के साथ भी जोड़ा जाएगा. भारत ने यूरोपियन मेट्योर मिसाइलों का एक पूरा पैकेज खरीदा है, जिसका इस्तेमाल राफेल के साथ किया जाएगा. इसकी मदद से करीब 100 किमी. की रेंज में भारत के लिए ये एक गेम चेंजर साबित होगा.

राफेल बनाने वाली फ्रांसी कंपनियों ने भारत की जरूरतों के अनुसार इनका निर्माण किया है. जिसमें इज़रायली माउंटेड डिस्प्ले और सैटेलाइट कम्यूनिकेशन सिस्टम भी शामिल है. भारत ने पिछले कुछ समय में अपने सुखोई-30 में कई इज़रायली चीज़ों का इस्तेमाल किया है. अगर भारत के पास मेट्योर मिसाइल आती है तो एशियाई क्षेत्र में सिर्फ भारत के पास ही ऐसा होगा.

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