scorecardresearch
 

डोकलाम विवाद के बीच IAF ने तैनात किए सुपर हरकुलिस विमान

आईएएफ के एक सीनियर ऑफिसर ने बताया कि इल्यूशिन Il-78 मिड एयर रिफ्यूलर पानागढ़ एयरबेस पर मौजूद है. C-130J सुपर हरकुलिस के विमान आने से ईस्टर्न एयर कमांड (EAC) पर मजबूती मिलेगी. सुपर हरकुलिस विमान की ख़ास बात यह है कि यह शॉर्ट नोटिस में सैन्य दलों को कठिन इलाकों में पहुंचा सकता है. 

Advertisement
X
सुपर हरकुलिस विमान
सुपर हरकुलिस विमान

Advertisement

चाइना के साथ चल रहे डोकलाम विवाद के बीच इंडियन एयरफोर्स ने अपने पानागढ़ स्थित अर्जन सिंग एयरफ़ोर्स स्टेशन पर C-130J सुपर हरकुलिस विमानों की तैनाती की है. टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, इन विमानों के लिए पिछले दो साल से लोकहीड मार्टिन के इंजीनियर हैंगर बना रहे थे. इन विमानों की तैनाती से अब एएफएस अर्जन सिंग की नॉर्थ ईस्ट के राज्यों तक पहुंच बढ़ेगी साथ ही लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के सटे इलाकों में भी छोटे रनवेज पर यह विमान उतारा सकेगा.

 

बता दें कि कोलकाता से 150 किमी दूर पानागढ़ का एयरफोर्स स्टेशन देश का ऐसा दूसरा बेस बन गया है, जहां C-130J सुपर हरकुलिस विमान तैनात होंगे. इसके पहले केवल गाजियाबाद के हिंदन एयरफोर्स बेस पर C-130J एयरक्राफ्ट तैनात रहेंगे.      

 

ईस्टर्न एयर कमांड को मिलेगी मजबूती

Advertisement

 

आईएएफ के एक सीनियर ऑफिसर ने बताया कि इल्यूशिन Il-78 मिड एयर रिफ्यूलर पानागढ़ एयरबेस पर मौजूद है. C-130J सुपर हरकुलिस के विमान आने से ईस्टर्न एयर कमांड (EAC) पर मजबूती मिलेगी. सुपर हरकुलिस विमान की ख़ास बात यह है कि यह शॉर्ट नोटिस में सैन्य दलों को कठिन इलाकों में पहुंचा सकता है.  

 

पानागढ़ बेस एक नज़र में...

 

- यूनाइटेड स्टेट आर्मी एयरफोर्स ने 1944 में एएफएस पानागढ़ को स्थापित किया था.

- द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान चाइना, बर्मा और इंडिया जाने के लिए इसका इस्तेमाल आर्मी करती थी.

- 2016 में इस एयरबेस का नाम बदलकर तत्कालीन एयर चीफ मार्शल अर्जन सिंग के नाम पर रखा गया.

- द्वितीय विश्व युद्ध के बाद एएफएस पानागढ़ ने 1965 और 1971 के युद्ध में अहम भूमिका निभाई.

- कुछ समय के लिए इसे मिनिस्ट्री ऑफ़ सिविल एविएशन को हैंडओवर किया गया था.

- बाद में सरकार ने इसे मिनिस्ट्री ऑफ़ सिविल एविएशन से वापस लेकर C-130Js बेस में तब्दील कर दिया था.

 

Advertisement
Advertisement