भारतीय सेना नॉन कॉम्बैट सेक्शन में कर्मचारियों की संख्या कम करने की तैयारी कर रही है. सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग ने इस पर एक टीम बनाकर स्टडी करने के लिए आदेश दिए हैं.
तीन महीने में तैयार होगा रोडमैप
हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक, इस फैसले की वजह खर्च कम करना और सेना को सही आकार में लाना है. आर्मी चीफ ने अपने एक सीनियर मोस्ट जनरल को इस पर अगस्त तक अपनी सिफारिशें देने के लिए कहा है. बताया जा रहा है कि स्टाफ कम करने का रोडमैप अगले तीन महीनों में तैयार कर लिया जाएगा.
पीएम मोदी ने पांच महीने पहले दिया था ये अहम बयान
जनरल सुहाग का यह आदेश पीएम मोदी के उस बयान के पांच महीने बाद आया है, जब उन्होंने कहा था कि आधुनिकीकरण और सेना को एक साथ बढ़ाना मुश्किल काम है और गैर जरूरी लक्ष्य है. रिटायर्ड जनरल फिलिप कैम्पोस का कहना है कि कॉम्बैट और नॉन कॉम्बैट स्टाफ के अनुपात को समझना और सेट करना आसान काम नहीं है.
सेना में 9 हजार अफसरों की कमी
भारतीय सेना में फिलहाल 10.2 लाख कर्मचारी हैं. सेना में 49,631 ऑफिसर होने चाहिए, लेकिन 9,106 अफसर कम हैं. जनरल कम्पोस ने कहा सेना की एक डिवीजन में 14 हजार जवान होते हैं और उन्हें सपोर्ट देने के लिए 3 हजार लॉजिस्टिक स्टाफ रहता है. स्टडी में इस बात पर फोकस होगा कि लॉजिस्टिक सपोर्ट को कम करके भी उसका बेहतर इस्तेमाल कॉम्बैट फोर्स के लिए कैसे किया जा सकता है.
भारतीय सेना दुनिया की दुनिया सबसे बड़ी आर्मी है. 2005 से 2013 के बीच आर्मी में 14 हजार नौकरियां पहले ही कम की जा चुकी हैं.