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चीन-पाकिस्तान से निपटने के लिए सेना को मिलेगी 73 हजार अमेरिकी असॉल्ट राइफल

इंडियन आर्मी दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी थल सेना है. भारत की सेना पाकिस्तान और चीन से लगते बॉर्डर पर तैनात है. पाकिस्तान की सीमा पर भारतीय सेनाओं की पाकिस्तानी सैनिकों से अक्सर झड़प होती रहती है. इन खतरों के मद्देनजर सेना लंबे समय से युद्ध के आधुनिक हथियार की डिमांड करती रही है. हालांकि भारत में हथियार खरीद एक लंबी प्रक्रिया है.

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 अमेरिका के लास वेगास में एसआईजी सॉयर राइफल, फोटो- रॉयटर्स
अमेरिका के लास वेगास में एसआईजी सॉयर राइफल, फोटो- रॉयटर्स

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इंडियन आर्मी को आधुनिक हथियारों से लैस करने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार ने एक बड़ा फैसला किया है. रक्षा मंत्रालय ने थल सेना के आधुनिकीकरण के लिए एक बड़ा फैसला लिया है. रक्षा मंत्रालय ने अहम कदम उठाते हुए अमेरिका से करीब 73,000 असॉल्ट राइफल खरीदने के सेना के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. आर्मी का ये प्रस्ताव काफी समय से लंबित था.

आधिकारिक सूत्रों ने समाचार एजेंसी भाषा को बताया कि रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने एसआईजी सॉयर राइफलों की खरीद को मंजूरी दे दी. गौर करने वाली बात यह है कि इस राइफल का इस्तेमाल चीन के साथ लगती करीब 3,600 किलोमीटर लंबी सीमा पर तैनात जवान करेंगे.

रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी सेना के साथ-साथ कई यूरोपीय देश की आर्मी भी इन राइफलों का इस्तेमाल कर रही हैं. इन राइफलों को फास्ट ट्रैक प्रोक्योरमैंट प्रक्रिया के तहत खरीदा जा रहा है. इस डील को फाइनल करने में शामिल रहे एक अधिकारी ने कहा, ‘‘अनुबंध एक सप्ताह में तय होने की उम्मीद है. अमेरिकी कंपनी को सौदा तय होने की तारीख से एक साल के भीतर राइफलों को भेजना होगा.’’

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बता दें कि भारतीय सेना अबतक इंसास राइफलों का इस्तेमाल करती है, लेकिन इस खरीद के बाद असॉल्ट राइफलों का प्रयोग दुश्मनों के खिलाफ जंग में किया जाएगा.

बता दें कि इंडियन आर्मी दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी थल सेना है. भारत की सेना पाकिस्तान और चीन से लगते बॉर्डर पर तैनात है. पाकिस्तान की सीमा पर भारतीय सेनाओं की पाकिस्तानी सैनिकों से अक्सर झड़प होती रहती है. इन खतरों के मद्देनजर सेना लंबे समय से युद्ध के आधुनिक हथियार की डिमांड करती रही है. हालांकि भारत में हथियार खरीद एक लंबी प्रक्रिया है. इसमें अक्सर घोटाले और दलाली के आरोप लगते रहते हैं. लेकिन रक्षा मंत्रालय और केन्द्र सरकार ने सेना की जरूरतों पर विचार करते हुए फास्ट ट्रैक प्रोक्योरमेंट का रास्ता अपना रही है.

बता दें कि अक्टूबर 2017 में सेना ने करीब सात लाख राइफलों, 44,000 लाइट मशीन गन और करीब 44,600 कार्बाइन खरीदने की प्रक्रिया शुरू की थी. बता दें कि 18 महीने पहले सेना ने सरकारी कंपनी द्वारा तैयार की गई एक राइफल को नकार दिया था. सेना ने जब इस राइफल से फायरिंग टेस्ट किया तो ये राइफलें सेना के मानक को पूरा नहीं कर पाईं. इसके बाद आर्मी ने वैश्विक बाजारों से राइफलों को खरीदने की प्रक्रिया शुरू की.

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असॉल्ट राइफलों को खरीदने देरी की वजह आर्मी द्वारा अपनी जरूरतों को स्पष्ट रूप से ना बता पाना भी है. आर्मी को पुरानी इंसास राइफलों से छुटकारा पाने के लिए तकरीबन 7 लाख असॉल्ट राइफलों की जरूरत है.  

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