विदेश राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह 'ऑपरेशन राहत' खत्म कर भारतीयों के आखिरी जत्थे के साथ दिल्ली लौट आए. यमन के 'वार जोन' से 4640 भारतीय निकाले गए. आखिरी दिन 979 लोग भारत लाए गए.
10 दिन चले ऑपरेशन में भारतीय सेना के जांबाजों ने 5600 लोगों को बाहर निकाला, जिनमें 41 देशों के 960 नागरिक भी शामिल हैं. जनरल वीके सिंह यमन में तब तक डटे रहे, जब तक कि सभी भारतीयों को सही सलामत न निकाल लिया गया.
सिर्फ सना से ही भारतीय वायुसेना ने 2900 लोगों की एयर लिफ्ट किया और 18 स्पेशल विमानों से स्वदेश लाया. 9 अप्रैल को आखिरी दिन 630 लोगों को सना से एयरलिफ्ट किया गया.
भारतीय नेवी ने कुल 1670 लोगों को अदन, अलहुदायदाह और अल-मुकाला से लोगों को निकाला. आखिरी दिन 9 अप्रैल को INS सुमित्रा ने 349 लोगों की नई जिंदगी दी. इनमें 46 भारतीय और 303 विदेशी हैं.
सरकार ने पहले ही गृहयुद्ध की आग में जल रहे यमन में फंसे लोगों को सुरक्षित ठिकाना ढूंढने का संकेत दे दिया था. लेकिन जैसे ही यमन की जमीन पर सऊदी अरब, मिस्र समेत पड़ोसी देशों की फौजे घुसीं, साफ हो गया कि मसला सीरिया की तरह भयानक हो चुका है. लिहाजा मार्च महीने के आखिर से ही भारतीय नागरिकों को बचाने के लिए एयरफोर्स, नेवी के जवान मोर्चे पर डट गए. ऑपरेशन राहत में वायुसेना के सी-17 ग्लोब मास्टर विमान को खास तौर पर लगाया गया.
1 अप्रैल से 9 अप्रैल सुबह तक भारतीय वायुसेना के विमानों ने तकरीबन 18 उड़ानों के जरिए ऑरपेशन राहत को सफलता के अंजाम तक पहुंचाया. ऑरपेशन राहत में भारतीय नौसेना से जुड़ी आईएनएस सुमित्रा और आईएनएस मुंबई जहाजों के जरिए भी सैकड़ों लोग भारत लाए गए.
ऑपरेशन राहत के जरिए भारत ने वह कर दिखाया, जिसे अमेरिका समेत बड़े देश सोच भी नहीं पाए. बस दूर से भारतीय सेना की जांबाजी देखते रहे. मुश्किल के वक्त भारत दुनिया के लिए देवदूत बनकर उभरा. 26 देशों ने अपने नागरिकों को बाहर निकालने के लिए भारत से गुहार लगाई. भारतीय सेना ने 41 देशों के नागरिकों को नई जिंदगियां बख्शीं.