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रोज 20 फेसबुक प्रोफाइल की जानकारी मांगती है भारत सरकार

फेसबुक की ओर से जारी किए गए नए आंकड़ों के मुताबिक सोशल नेटवर्किंग साइट से यूजर्स की जानकारी मांगने के मामले में अमेरिका के बाद भारत की सरकार दूसरे नंबर पर है.

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फेसबुक की ओर से जारी किए गए नए आंकड़ों के मुताबिक सोशल नेटवर्किंग साइट से यूजर्स की जानकारी मांगने के मामले में अमेरिका के बाद भारत की सरकार दूसरे नंबर पर है. रिपोर्ट के मुताबिक भारत सरकार रोजाना 18 से 20 फेसबुक यूजर्स के बारे में जानकारी देने का औपचारिक आग्रह करती है.

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ये आंकड़े साल 2013 की पहली छमाही के हैं. इसी दौरान सरकार द्वारा लोगों की निजता के हनन पर देश में बहस तेज हुई है.

आधी रिक्वेस्ट ही मानी फेसबुक ने
सरकारें फेसबुक से दो तरह की जानकारी मांगती हैं. एक बतौर कंपनी अपने यूजर्स के बारे में जानकारी देना. दूसरा जिसमें किसी खास यूजर के बारे में जानकारी देना. 2013 में शुरुआती छह महीनों में भारत सरकार ने 3,245 यूजर्स और 4,144 अकाउंट से जुड़ी जानकारियां मांगीं. फेसबुक ने सिर्फ उन्हीं मामलों की जानकारी दी, जिनका दिया जाना कानून-सम्मत था. यानी बाकी 50 फीसदी रिक्वेस्ट के मुताबिक जानकारी देना कानूनन जरूरी नहीं था.

दुनिया भर की सरकारें मांगती हैं जानकारी
दुनिया भर की सरकारें फेसबुक से कई बार ऐसी जानकारियां मांगती हैं, ज्यादातर मामलों में इसका रिश्ता लूट और किडनैपिंग जैसे आपराधिक मामलों से होता है. ऐसे मौकों पर सरकारें सब्सक्राइबर के बारे में बुनियादी जानकारी या आईपी एड्रेस या अकाउंट कंटेंट के बारे में जानकारी मांगती हैं.

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अमेरिका भेजता है सबसे ज्यादा रिक्वेस्ट
2013 के शुरुआती छह महीनों में अमेरिकी सरकार ने फेसबुक को 11-12 हजार सामान्य रिक्वेस्ट और अकाउंट से जुड़ी 20-21 हजार रिक्वेस्ट भेजीं. अमेरिका ने फेसबुक को ठीक संख्या सार्वजनिक करने की इजाजत नहीं दी है. इसलिए फेसबुक ने एक डिस्क्लेमर भी लगाया है, 'इन रिक्वेस्ट के संबंध में हम कोशिश कर रहे हैं कि अमेरिकी सरकार और पारदर्शिता की इजाजत दे.'

क्या मजबूर है फेसबुक ?
फ्रांस, जर्मनी और इटली, तीन और देश हैं जो बड़ी संख्या में फेसबुक से जानकारी मांगते हैं. फेसबुक के जनरल काउंसेल कॉलिन स्ट्रेच के मुताबिक, 'हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि फेसबुक इस्तेमाल करने वाले लोग यह समझें कि हमारे पास आने वाली रिक्वेस्ट की तादाद और प्रवृत्ति क्या होती है और कितनी कड़ी नीतियों और प्रक्रियाओं से हमें दो-चार होना पड़ता है.'

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