पाकिस्तान के लाहौर स्थित कोटलखपत जेल में 11 अप्रैल को संदिग्ध हालात में दम तोड़ने वाले भारतीय कैदी किरपाल सिंह का शव भारतीय अधिकारियों को सौंप दिया गया. मंगलवार शाम तमाम औपचारिकताओं को पूरी करने के बाद वाघा बॉर्डर पर किरपाल का शव भारत को सौंपा गया.
अज्ञात कारणों से नहीं मिली थी रिहाई
पंजाब के गुरदासपुर जिले के रहने वाले 55 साल के किरपाल जासूसी के आरोप में लगभग 25 साल से पाकिस्तान की जेल में बंद थे. 1992 में वाघा सीमा के रास्ते कथित तौर पर पाकिस्तान
में घुस गए थे और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था. उन्हें बाद में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में मौत की सजा सुनाई गई. लाहौर हाई कोर्ट ने उन्हें बम
विस्फोट के एक मामले में बरी भी कर दिया था. फिर भी उन्हें रिहा नहीं किया गया. जेल प्रशासन ने उनकी मौत की वजह हार्ट अटैक बताया है.
किरपाल की मौत के पीछे साजिश के आरोप
किरपाल की मौत के पीछे उनके परिजन साजिश का आरोप लगा रहे हैं. इसके साथ पाकिस्तान की इसी जेल में फांसी की सजा से पहले संदिग्ध मौत के शिकार हुए भारतीय कैदी सरबजीत
सिंह का कनेक्शन भी जोड़ा जा रहा है. जेल में सरबजीत सिंह के साथ ही किरपाल भी कैद थे . दोनों साथ ही सारी तकलीफें झेली थी. किरपाल ने उनकी मौत को देखा था और इसके बारे में
काफी बातें बता सकते थे.
सरबजीत और किरपाल की बहन गृह मंत्री से मिलीं
बीते दिनों सरबजीत सिंह की बहन दलबीर कौर ने किरपाल की बहन जागीर कौर को साथ लेकर केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात भी की थी. मंत्री ने उन्हें हरसंभव मदद का भरोसा
दिलाया था. जागीर कौर ने कहा कि उनका परिवार गरीबी की वजह से आवाज नहीं उठा सका और उनके मामले को उठाने के लिए कोई नेता आगे नहीं आया.
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