26 फरवरी को रेल बजट पेश होने वाला है. भारतीय रेल कितना सुरक्षित है महिलाओं के लिए. यही जानने की कोशिश की है.
ट्रेन का सफ़र दुआओं के साथ शुरू होता है लेकिन हादसों का डर कभी कम नहीं होता.
बैंगलोर से यशवंतपुर जाने वाली ट्रेन में ज़िंदगी रेल के पायदान पर टिकी हुई है. बाहर से ये हाल है तो अंदर क्या मंजर होगा. समझना मुश्किल नहीं.
ऐसे में महिलाओं की सुरक्षा की बात सोचना भी बेमानी लगता है. रेल टिकट के पैसे बढ़ाती है, सुरक्षा के बड़े बड़े दावे भी करती है. लेकिन सच्चाई कुछ और ही नज़र आ रही है. भरोसा ऊपरवाले और अपनी किस्मत पर है. रेलवे के भरोसे तो सफ़र करना ही नामुमकिन सा लगता है.