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मनोज सिन्हा बोले- RPF दंतहीन सुरक्षा बल, ताकत के लिए चाहिए और पावर

Indian Railway की सुरक्षा का जिम्मा उठा रही Railway Protection Force (RPF) को रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने और ज्यादा ताकत दिए जाने की वकालत की है. उन्होंने ऑल इंडिया कॉन्फ्रेंस ऑन रेलवे सिक्योरिटी के मौके पर संबोधित करते हुए कहा कि आरपीएफ एक दंतहीन सुरक्षा बल है. पूरे देश में रेलवे की जरूरतों को देखते हुए आरपीएफ को और ज्यादा सशक्त किए जाने की जरूरत है.

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रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा (फाइल-PTI)
रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा (फाइल-PTI)

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रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने भारतीय रेलवे की सुरक्षा का जिम्मा उठा रही रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (आरपीएफ) को और ज्यादा ताकत दिए जाने की वकालत की है. उन्होंने ऑल इंडिया कॉन्फ्रेंस ऑन रेलवे सिक्योरिटी के मौके पर संबोधित करते हुए कहा कि आरपीएफ एक दंतहीन सुरक्षा बल है. पूरे देश में रेलवे की जरूरतों को देखते हुए आरपीएफ को और ज्यादा सशक्त किए जाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि सीआरपीएफ को वास्तविक ताकत देने के लिए आरपीएफ एक्ट में संशोधन की जरूरत है.

हालांकि इस मौके पर बोलते हुए रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि भले ही कानून में बदलाव हो या ना हो, चाहे जीआरपी हो सीआरपीएफ इन सभी तकनीकी चीजों में हमें ना पड़कर एक साथ मिलकर रेल यात्रियों की सुरक्षा के लिए काम करना चाहिए. इस मौके पर गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यात्रियों की दिक्कतों को देखते हुए रेलगाड़ी में ऑनलाइन एफआईआर की सुविधा कैसे दी जा सकती है इस पर विचार करेंगे.

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अपराध दर्ज करने का पावर नहीं

गौरतलब है कि देशभर में आरपीएफ रेलवे की संपत्तियों रेलवे स्टेशन और रेलगाड़ियों की सुरक्षा का जिम्मा उठाती है, लेकिन इसके पास अपराध दर्ज करने का पावर नहीं है. इसके लिए हर राज्य में एफआईआर दर्ज करने का जिम्मा जीआरपी को दिया गया है. ऐसे में किसी ट्रेन में अगर कोई अपराध होता है तो रेल यात्री को संबंधित रेलवे स्टेशन पर मौजूद जीआरपी थाने में रपट लिखानी पड़ती है. इसमें दिक्कत यह होती है कि रेल यात्री को यह पता ही नहीं होता है कि उसके साथ अपराध कहां हुआ है.

जगह का पता न चल पाना चलती ट्रेन में हुए अपराध के लिए यही सबसे बड़ी दिक्कत है. इसके अलावा दूसरी परेशानी यह भी है कि रेल यात्री अपनी यात्रा पूरी करें या एफआईआर लिखवाने जाए. इस समस्याओं का सामना करते हुए अगर एफआईआर लिखवा भी दी जाती है तो अपराध के निराकरण के लिए कोई भी रेल यात्री सुदूर जगहों से वापस आना पसंद नहीं करता.

ऐसे में चलती रेलगाड़ी में या रेलवे स्टेशन पर रेल यात्रियों के साथ हुए किसी अपराध में अपराधी को सजा दिलवाना आसान नहीं होता है. रेलवे में हुए अपराधों की इस तरह की दिक्कतों को देखते हुए पिछले कई सालों से इस बात की लगातार मांग की जा रही है कि आरपीएफ एक्ट में बदलाव करके एफआईआर दर्ज करने  का अधिकार दिया जाए लेकिन केंद्र और राज्य मे सहमति नहीं बन पाने की वजह से यह मामला लंबे समय से लटका हुआ है.

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इस मामले की गंभीरता को देखते हुए गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने ऑनलाइन एफआईआर का सिस्टम शुरू करने का सुझाव दिया है. उन्होंने रेलवे से कहा है कि वह इस पर विचार करे और तय करे. गृह मंत्रालय इस मामले में पूरा सहयोग देगा.

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