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मोदी सरकार के इन फैसलों से रेल यात्रियों की जेब हुई ढीली

भारतीय रेलवे अब आपकी पसंदीदा सीट पर ज्यादा पैसे लेने की योजना बना रही है. रेलवे इससे पहले भी कई बार किराया बढ़ाने के बजाए दूसरे रास्ते से यात्रियों की जेब ढीली कर चुका है.

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सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर

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दुनिया के चौथे सबसे लंबे रेलवे नेटवर्क भारतीय रेलवे से रोजाना ढाई करोड़ यात्री सफर करते हैं. इनमें से ज्यादातर लोगों के लिए खराब सेवा के बावजूद रेलवे का सफर उनकी आदत में शुमार हो चुका है, लेकिन इन सबसे रेलवे को कोई फर्क नहीं पड़ता और अपनी कमाई बढ़ाने के लिए वह एक के बाद एक ऐसी योजना लाता रहा है, जो हर किसी को निराश ही करेगा.

रेलवे ने कई सालों से यात्री किराए में औपचारिक बढ़ोतरी नहीं की है, लेकिन दूसरे दरवाजे से वह लोगों की जेब काटने की योजना लगातार बना रहा है. यात्रियों की जेब ढीली करने के लिए रेलवे की किराया समीक्षा समिति ने कुछ नई सिफारिशें भेजी हैं. यदि रेलवे बोर्ड इन सिफारिशों को मान लेता है तो रेल में सफर करने वाले यात्रियों को नीचे की बर्थ या त्योहारी सीजन में टिकट बुक कराने पर ज्यादा किराया देना होगा.

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एक नजर डालते हैं रेलवे के उन फैसलों पर जिन्होंने आम लोगों की जेब ढीली की.

सितंबर, 2016 में रेलवे ने राजधानी, शताब्दी और दुरंतो एक्सप्रेस जैसी कई प्रीमियम ट्रेन में फ्लैक्सी किराये की शुरुआत की थी. इस प्रणाली में प्रीमियम ट्रेनों में किराया 50% तक बढ़ जाता है. इस किराया प्रणाली में फिक्स किराया प्रत्येक 10% सीटों की बुकिंग के बाद 10% और बढ़ जाता है और यह बढ़ोतरी 50% तक हो सकती है. ऐसा किए जाने से इसकी कीमत कई बार हवाई सफर से ज्यादा हो जाया करती थी, जिससे ट्रेन में कई सीट खाली रह जाती थी. हालांकि अब इसे खत्म कर किराए में 10% इजाफा की बात कही जा रही है.

2015 में प्लेटफॉर्म टिकट के दाम में दोगुना वृद्धि करते हुए 10 रुपए कर दिया गया. पहले यह टिकट 5 रुपए में मिलता था.

पिछले साल जीएसटी लागू होने से राजधानी, शताब्‍दी और दुरंतो समेत सभी ट्रेनों के फर्स्ट और सेकेंड एसी के किराए में तीन फीसदी की वृद्धि हुई. पहले सर्विस टैक्स सेवा 15% था जो अब बढ़कर 18% हो गया. नया टैक्‍स लगने से राजधानी, शताब्‍दी और दुरंतो ट्रेनों में मिलने वाला खाने-पीने का सामान भी महंगा हो गया.

माल ढुलाई भी जीएसटी के कारण महंगा हुआ. जीएसटी लागू होने के बाद माल ढुलाई पर सर्विस टैक्स बढ़कर 18% हो गया. जबकि इससे पहले माल ढुलाई पर सर्विस टैक्स 15% था.

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पिछले साल नवंबर में 48 मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों की स्पीड बढ़ाकर उन्हें सुपरफास्ट का दर्जा दे दिया गया, जिससे यात्रियों को अब इन ट्रेनों में सफर के लिए सुपरफास्ट का अतिरिक्त किराया देना होगा. इसमें स्लीपर के लिए 30, सेंकंड एसी के लिए 45 और थर्ड एसी के लिए 75 रुपए ज्यादा चुकाने होंगे.

इलाहाबाद से चलने वाली ट्रेनों में सरचार्ज लगने लगा है. यह सरचार्ज इलाहाबाद से किसी भी श्रेणी के लिए टिकट खरीदने पर ही देय होगी. अलीगढ़ से टिकट लेने पर सरचार्ज नहीं देना होगा, यानी आप इलाहाबाद से अलीगढ़ आते हैं तो आपको यह सरचार्ज देना पड़ेगा. इलाहाबाद होकर आने वाली 29 ट्रेनों का ठहराव अलीगढ़ में होता है. हालांकि यह सरचार्ज 2 जनवरी से 13 फरवरी तक के लिए है.

सोने का समय भी निर्धारित किया

रेलवे के एक फैसले से आर्थिक रूप से कोई असर नहीं पड़ेगा लेकिन यात्रियों को सफर के दौरान असर पड़ सकता है. रेलवे बोर्ड ने पिछले साल सितंबर में नया आदेश जारी किया जिसके मुताबिक आरक्षित कोचों के यात्री रात 10 बजे से लेकर सुबह 6 बजे तक ही सो सकेंगे, ताकि अन्य लोगों को सीट पर बाकी बचे घंटों में बैठने का मौका मिले. इससे पहले सोने का आधिकारिक समय रात 9 बजे से सुबह 6 बजे तक का था.

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रेलवे के लॉकर या क्लॉक-रूम का इस्तेमाल करना भी अब महंगा हो गया है. रेलवे बोर्ड ने रेल प्रबंधकों को स्टेशनों पर इस सुविधा के लिए अधिक शुल्क लेने का अधिकार दे दिया है. अगर अब कोई भी यात्री इस सुविधा का लाभ उठाना चाहता है तो उसे पहले से अधिक भुगतान करना पड़ेगा. फिलहाल रेलवे 24 घंटे के लिए लॉकर के उपयोग के लिए यात्रियों से 20 रुपए वसूल करता है. इसके अतिरिक्त 24 घंटे तक के लिए यात्रियों से 30 रुपए वसूल किए जाते हैं. जबकि पहले ये शुल्क 15 रुपए था. क्लॉक रूम की सुविधा के लिए 24 घंटे का शुल्क 15 रुपए है. जबकि साल 2000 में यह शुल्क सिर्फ 7 रुपए था.

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