कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों और हॉस्पिटल में बेड की कमी को देखते हुए रेलवे ने ट्रेनों के कोच को आइसोलेशन वार्ड में बदला है. भारतीय रेल (Indian Railways) ने कोरोना मरीजों को क्वारनटीन करने के लिए अतिरिक्त इंफ्रास्ट्रक्चर के तौर पर 5231 कोच तैयार किए हैं. इन कोचों को जरूरत के मुताबिक राज्य सरकारों के अनुरोध पर तैनात किया जाएगा.
कोविड केयर सेंटर में तब्दील ट्रेनों के कोचों के रखरखाव की जिम्मेदारी रेलवे की होगी जबकि चिकित्सा सुविधा राज्य सरकारों द्वारा उपलब्ध कराई जाएगी. रेलवे के कोचों को कोविड केयर सेंटर में तब्दील करने से पहले नीति आयोग और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के साथ चर्चा की गई. रेलवे ने कहा कि नीति आयोग व स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार Non-AC डिब्बे AC डिब्बों की तुलना में कोविड-19 नियंत्रण के लिए अधिक उपयुक्त हैं.
Augmenting capability against COVID-19, Railways has converted 5231 non-AC coaches into isolation coaches.
Curbing risk of contamination, the coaches are well ventilated with adequate natural lighting to benefit the patients.
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— Piyush Goyal (@PiyushGoyal) June 19, 2020
डिब्बों को ठंडा रखने के लिए रेलवे का तरीका
कोविड केयर सेंटर में तब्दील ट्रेनों के डिब्बों को ठंडा रखने के मद्देनजर रेलवे गर्मी रोकने वाले पेंट और बांस की चिक के अलावा 'बबल रैप्स' जैसे नए तरीकों का इस्तेमाल कर रहा है. रेलवे ने कहा कि इन डिब्बों को शीट से ढका जा रहा है जिससे अंदर से यह ठंडा रह सके. समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, बबल रैप फिल्मस यानी बुलबुले वाली पॉलीथिन को भी डिब्बों पर लपेटा जा रहा है, जिसके जरिए डिब्बे के अंदर का तापमान एक डिग्री सेल्सियस तक कम किए जाने की उम्मीद है.
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After detailed consultation with experts, Railways is using non-AC coaches for COVID care centres for:
🔹 Lower transmission risk of COVID-19 Virus
🔹 Higher temperature which may aid in fighting COVID
🔹 Cross circulation of Air pic.twitter.com/HJ5QhFnyuD
— Piyush Goyal (@PiyushGoyal) June 19, 2020
रेलवे द्वारा आइसोलेटेड कोचों की छत पर हीट रिफ्लेक्टिव पेंट के साथ पेंट किया गया. परीक्षण के दौरान, यह पाया गया कि डिब्बों के अंदर का तापमान 2.2 डिग्री सेल्सियस तक कम किया जा सकता है. रेलवे के मुताबिक, डिब्बों के अंदर एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने योग्य कूलर भी लगाकर आजमाए गए हैं. यह तीन डिग्री सेल्सियस तक तापमान में कमी लाने में सहायक साबित हुआ है. डिब्बों को ठंडा रखने से मरीजों को गर्मी से परेशान नहीं होना पड़ेगा.
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रेलवे के बयान के मुताबिक, वातानुकूलित (AC) डिब्बों के इस्तेमाल से संक्रमण के प्रसार का जोखिम हो सकता है इसलिए नीति आयोग और केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के बीच हुई चर्चा के बाद कोविड केयर वाले डिब्बों में AC का इस्तेमाल नहीं करने का फैसला किया गया.