भारतीय रेलमंत्री का जीरो एक्सीडेंट का सपना साकार करने के लिए रेलवे मंत्रालय ने अत्याधुनिक सेफ्टी तकनीक अपनाने का मन बना लिया है. इसके लिए देश भर में घूम रही हजारों ट्रेनों में ऑन बोर्ड सेफ्टी डिवाइस लगाने का रेलवे बोर्ड ने निर्णय ले लिया है.
रेलवे के रोलिंग स्टॉक यानी रेल इंजन, डिब्बों और वैगन में होने वाली टूट-फूट के चलते साल भर में 700 फॉल्ट होते हैं. इनसे ट्रेन के पटरी से उतरने का खतरा रहता है. इससे तमाम हादसे होते हैं. इनकी रोकथाम के लिए ऑटोमेटेड सेफ्टी सिस्टम के जरिए निगरानी की जाएगी.
रेलवे बोर्ड के सदस्य हेमंत कुमार ने बताया कि ऑटोमेटेड ऑनबोर्ड सेफ्टी सिस्टम के लिए देश-विदेश की 11 कंपनियों ने दिलचस्पी दिखाई है. इनके लिए नवंबर तक निविदा आमंत्रित कर ली जाएगी. इसके बाद ही किसी कंपनी को इसका काम दिया जाएगा.
ऐसे काम करेगा ऑटोमेटेड सिस्टम
रेल डिब्बों के हर एक्सल के उपर सेंसर लगाए जाएंगे. ये सेंसर ऑटोमेटेड सेफ्टी उपकरण को बताएंगे कि रेल का पहिया ज्यादा गरम तो नहीं है. हॉट एक्सल की वजह से तमाम हादसे होते हैं. इस पर रोक लगेगी. इसके साथ सेंसर से पटरियों पर होने वाले गैप को भी पहचाना जा सकता है.
रेल पटरियों के किनारे एक ऐसी डिवाइस भी लगाने की योजना बना रही है, जिससे डिब्बों से टूटकर लटकने वाली या माल डिब्बों से बाहर निकल रही किसी भी चीज को समय रहते डिटेक्ट किया जा सके. इस डिवाइस को रेल पटरियों के किनारे और बीच में लगाया जाएगा.
डिवाइस लगाने में लगेगा 5 साल
रेलवे बोर्ड का अनुमान है कि 2.5 लाख वैगन, 60 हजार रेलवे कोच और 10 हजार रेलवे इंजनों में सेफ्टी डिवाइस लगाने में 4 से 5 साल लग जाएंगे. इनके साथ ही रेलवे ट्रेनों में सीसीटीवी लगाने की भी तैयारी में लगा है. शाने पंजाब ट्रेन नवंबर तक सीसीटीवी से लैस हो जाएगी.