दुनिया के नंबर एक मुक्केबाज और बीजिंग ओलंपिक के कांस्य पदक विजेता विजेंदर सिंह समेत छह मुक्केबाजों ने बुधवार को पांचवीं राष्ट्रमंडल मुक्केबाजी चैम्पियनशिप के फाइनल में जीत दर्ज कर छह स्वर्ण पदक जीते जिसकी बदौलत भारत अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने में सफल रहा.
वर्ष 2005 में स्काटलैंड में हुई राष्ट्रमंडल चैम्पियनशिप में भारत ने चार स्वर्ण और तीन रजत जीते थे जबकि 2007 में देश के नाम एक स्वर्ण, दो रजत और तीन कांस्य रहे थे. मिलान में हुई विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीतने वाले विजेंदर ने मिडिलवेट (75 किग्रा) में पहले राउंड में नाक में खून निकलने के बावजूद खचाखच भरे तालकटोरा स्टेडियम में इंग्लैंड के फ्रैंक बुगलियोनी को 13-3 से परास्त किया.
इस 24 वर्षीय मुक्केबाज ने बीजिंग ओलंपिक क्वालीफायर से पहले जर्मनी में कैमिस्ट्री कप में स्वर्ण पदक जीता था और इस तरह उन्हें दो साल बाद सोने का तमगा मिला. कैमिस्ट्री कप से पहले उन्होंने कजाखस्तान में ओलंपिक क्वालीफायर में पहला स्थान हासिल किया था.
विजेंदर को टूर्नामेंट का ‘सर्वश्रेष्ठ मुक्केबाज’ का पुरस्कार भी दिया गया. मौजूदा एशियाई चैम्पियन और पिछले साल प्रेसिडेंट कप के स्वर्ण पदकधारी सुरंजय सिंह फ्लाईवेट (52 किग्रा वर्ग) के पहले राउंड में एक जोरदार पंच लगाकर 1-0 से आगे थे और तभी रैफरी ने बाउट रोककर उन्हें विजेता घोषित किया.