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भारत की ऐतिहासिक जीत हमेशा रही है शाही

चाहे वह 8 फरवरी 1952 के दिन दर्ज की गयी भारत की पहली टेस्ट जीत हो या फिर 50वीं और अब 100वीं जीत, उसने इन ऐतिहासिक जीत को विरोधी टीम को पूरी तरह से नेस्तनाबूद करके शाही अंदाज में हासिल की.

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चाहे वह 8 फरवरी 1952 के दिन दर्ज की गयी भारत की पहली टेस्ट जीत हो या फिर 50वीं और अब 100वीं जीत, उसने इन ऐतिहासिक जीत को विरोधी टीम को पूरी तरह से नेस्तनाबूद करके शाही अंदाज में हासिल की. भारतीय टीम ने शुक्रवार को कानपुर में श्रीलंका को पारी और 144 रन से हराकर टेस्ट क्रिकेट में अपनी 100वीं जीत दर्ज की. दिलचस्प संयोग देखिये की भारत ने अपनी 50वीं जीत भी इस प्रतिद्वंद्वी यानी श्रीलंका के खिलाफ दर्ज की थी. भारत ने वह मैच भी पारी के अंतर से जीता था और तब स्थान कानपुर नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश का ही एक अन्य शहर लखनऊ था.

इन दोनों मैच का दिलचस्प तथ्य यह भी है दोनों टीमों के एक-एक सदस्य 1994 में खेले गये उस मैच के सदस्य थे और ग्रीन पार्क में खेले गये मैच में भी वे दोनों अपनी टीम का हिस्सा थे. भारत से सचिन तेंदुलकर भारत की 50वीं जीत के भी गवाह बने थे जबकि श्रीलंका के मुथैया मुरलीधरन उस मैच में हारने वाली टीम के सदस्य थे. तेंदुलकर को इसके साथ ही भारत की तीन ऐतिहासिक जीत 50वीं, 75वीं और 100वीं का हिस्सा बनने का गौरव भी हासिल हो गया. इस स्टार बल्लेबाज ने श्रीलंका के खिलाफ अहमदाबाद में खेले गये पहले टेस्ट मैच में ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 20 साल पूरे किये थे जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि टीम में उनकी उपस्थिति भारत के लिये कितनी सकारात्मक और फलदायी रही.

भारत ने अपनी पहली जीत छह से आठ फरवरी के बीच इंग्लैंड के खिलाफ मद्रास (अब चेन्नई) में खेले गये मैच में दर्ज की थी. विजय हजारे की कप्तानी में खेले गये इस मैच में भारत ने पारी और आठ रन से जीत दर्ज की थी और वीनू मांकड़ उसकी जीत के नायक रहे थे. इंग्लैंड ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 266 रन बनाये जिसमें मांकड़ ने 55 रन देकर आठ विकेट लिये. पंकज राय (11) और पाली उमरीगर (नाबाद 130) के शतकों से भारत ने 457 रन बनाये. इंग्लैंड की टीम दूसरी पारी में केवल 183 रन पर सिमट गयी. मांकड़ ने 53 रन देकर चार और अन्य स्पिनर गुलाम अहमद ने 77 रन देकर चार विकेट लिये.

भारत को 25वीं जीत 26 से 30 नवंबर 1976 को न्यूजीलैंड के खिलाफ चेन्नई में ही खेले गये मैच में मिली थी जिसमें उसने कीवी टीम को 216 रन के बड़े अंतर से हराया था. बिशन सिंह बेदी की अगुवाई वाली टीम ने गुंडप्पा विश्वनाथ के 87 ओर एस वेंकटराघवन के 64 रन की बदौलत 298 रन बनाये. वेंकटराघवन ने अपने कैरियर का सर्वोच्च स्कोर भी बनाया. न्यूजीलैंड की टीम 140 रन पर ढेर हो गयी जबकि भारत ने दूसरी पारी पांच विकेट पर 201 रन पर समाप्त घोषित करके कीवी टीम को 143 रन पर समेटकर शानदार जीत दर्ज की.

भारत को 50वीं जीत मोहम्मद अजहरुद्दीन की कप्तानी में मिली. श्रीलंका के खिलाफ 18 से 22 जनवरी 1994 के बीच केडी सिंह बाबू स्टेडियम में खेले गये मैच को भारत ने अनिल कुंबले की बेहतरीन गेंदबाजी (मैच में 11 विकेट) से पारी और 119 रन से जीता था. भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए नवजोत सिंह सिद्धू  (124) और सचिन तेंदुलकर (142) के शतक से 511 रन बनाये. इसके बाद कुंबले की बलखाती गेंदों के सामने श्रीलंका पहली पारी में 218 और फॉलोआन करते हुए 174 रन पर ढेर हो गया था. संयोग देखिये कि श्रीलंका को कानपुर में शुक्रवार को समाप्त हुए मैच में भी फॉलोआन करना पड़ा था.

सौरव गांगुली भारत की 75वीं जीत के कप्तान थे जो अन्य ऐतिहासिक जीतों की तरह शाही नहीं रही लेकिन चार विकेट की यह जीत उसने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उसकी सरजमीं पर दर्ज की थी जिससे यह बेहद महत्वपूर्ण थी. एडिलेड में 12 से 16 दिसंबर 2003 को खेले गये मैच में रिकी पोंटिंग के 242 रन से जब ऑस्ट्रेलिया ने 556 रन बनाये तो लग नहीं रहा था कि वह मैच हारेगा. भारत ने राहुल द्रवि़ड़ (233) और वीवीएस लक्ष्मण (148) के शतक से 523 रन बनाये. इसके बाद अजित अगरकर का ने 41 रन देकर छह विकेट लिये और ऑस्ट्रेलिया 196 रन पर सिमट गया. भारत ने द्रविड़ के नाबाद 72 रन की मदद से लक्ष्य हासिल करके चार विकेट से जीत दर्ज की थी. द्रविड़ उस मैच के मैन ऑफ द मैच बने थे. इरफान पठान का यह पहला टेस्ट मैच था.

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