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आसान नहीं रहा भारत की 100 जीत का सफर

टेस्ट क्रिकेट में 20 साल तक सिफर पर अटके रहने वाले भारत के लिए 100 जीत का सफर आसान नहीं रहा और खेल के इस पारंपरिक प्रारूप में शीर्ष टीमों में शामिल होने से पहले उसे कई उतार चढ़ाव से गुजरना पड़ा.

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टेस्ट क्रिकेट में 20 साल तक सिफर पर अटके रहने वाले भारत के लिए 100 जीत का सफर आसान नहीं रहा और खेल के इस पारंपरिक प्रारूप में शीर्ष टीमों में शामिल होने से पहले उसे कई उतार चढ़ाव से गुजरना पड़ा. यह अलग बात है कि क्रिकेट में महारथ हासिल करने के बाद भारतीयों ने जीतना सीख लिया और यही वजह है कि जहां जीत के अर्धशतक के लिए उसने 62 साल और 287 मैच का समय लिया वहीं अगली 50 जीत उसने केवल 15 साल और 145 मैच में अंदर हासिल कर ली.

श्रीलंका को कानपुर के ग्रीन पार्क स्टेडियम पर एक पारी और 144 रन से हराने वाला भारत भले ही टेस्ट जीत का सैकड़ा पूरा करने वाला छठा देश बन गया हो लेकिन पहली जीत दर्ज करने के लिए उसे दो दशक का लंबा इंतजार करना पड़ा था. भारत ने अब तक 432 टेस्ट खेले हैं जिसमें से उसे 100 में जीत जबकि 136 में हार मिली. एक मैच टाई रहा जबकि 194 मैच अनिर्णित समाप्त हुए. वर्ष 1932 में टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण के बाद भारत ने लगभग दो दशक बाद विजय हजारे की अगुआई में फरवरी 1952 में मद्रास (अब चेन्नई) में इंग्लैंड को पारी और आठ रन से हराकर पहली बार जीत का स्वाद चखा था.

भारत ने जनवरी 1994 में लखनऊ में श्रीलंका को हराकर ही अपनी जीत का अर्धशतक पूरा किया था लेकिन तब उसकी जीत का औसत केवल 17.42 प्रतिशत था. भारत हालांकि तब तक टेस्ट क्रिकेट में अपने लिये मजबूत जगह बना चुका था और शायद यही कारण है कि उसने इसके बाद जीत के शतक तक का सफर तय करने में 145 मैच और 15 साल का समय लिया और इस दौरान उसकी जीत का प्रतिशत 34.48 रहा. वर्ष 2000 के बाद का समय तो भारतीय टेस्ट टीम के लिए बेहद सफल रहा और इस दौरान उसने 102 टेस्ट खेले जिसमें से 39 में उसने जीत दर्ज की जबकि 27 में उसे हार का सामना करना पड़ा. यह पहला मौका है जबकि भारत ने किसी दशक में हार से ज्यादा जीत दर्ज की हैं.

इस दौरान उसने 18 टेस्ट श्रृंखलाओं में जीत दर्ज की जबकि केवल नौ में उसे हार का सामना करना पड़ा और अब टीम तीन मैचों की श्रृंखला में 1-0 की बढ़त बनाने के बाद 19वीं टेस्ट श्रृंखला जीतने की ओर बढ़ रही है. टीम इंडिया 1930 और 1940 के दशक में कोई जीत दर्ज नहीं कर सकी जबकि इस दौरान उसे क्रमश: पांच और छह टेस्ट मैचों में शिकस्त झेलनी पड़ी. पचास के दशक में भारत के नाम छह जीत और 17 हार रही जबकि 60 के दशक (नौ जीत, 21 हार) और 70 के दशक (17 जीत, 19 हार) में भी यही कहानी दोहराई गई.

भारत के लिए 80 का दशक भी काफी उतारा चढ़ाव भरा रहा और टीम 81 मैचों में केवल 11 जीत दर्ज कर पाई और इस दौरान उसकी जीत का प्रतिशत केवल 13.58 रहा. टीम को इस दौरान 21 बार हार का सामना करना पड़ा. अगले दशक में भारत हालांकि अपने प्रदर्शन में सुधार करने में सफल रहा और टीम ने इस अवधि में 18 बार जीत को गले लगाया जबकि 20 मैचों में उसे हार का सामना करना पड़ा. भारत ने सर्वाधिक जीत इंग्लैंड के खिलाफ दर्ज की जिसे उसने 99 मैचों में 19 बार शिकस्त दी जबकि 34 बार उसे हार का सामना करना पड़ा. टीम इंडिया ने इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया (76 मैच में 18 जीत और 34 हार), न्यूजीलैंड (47 मैच में 15 जीत और नौ हार), श्रीलंका (31 मैच में 12 जीत और पांच हार) और वेस्टइंडीज (82 मैचों में 11 जीत और 30 हार) के खिलाफ 10 से अधिक टेस्ट जीत दर्ज की.

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