‘मार्स आर्बिटर अंतरिक्ष यान ’ को कक्षा में आगे बढाने की चौथी प्रक्रिया के लक्ष्य को सोमवार को पूरी तरह से हासिल करने में सफल नहीं हो पाने के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने मंगलवार सुबह पूरक प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी की.
इसरो ने कहा, ‘मंगलयान को कक्षा में आगे बढ़ाने की पूरक प्रक्रिया सुबह पांच बजकर तीन मिनट पर शुरू हुई और 303.8 सेकंड के बर्न टाइम के साथ इसने लक्ष्य को सफलतापूर्वक हासिल कर लिया. इस प्रक्रिया के तहत यान को 78,276 किलोमीटर के दूरस्थ बिंदू से आगे ले जाकर 1,18,642 किलोमीटर की दूरी पर ले जाया गया.’ पूरक प्रकिया सुबह पांच बजकर 10 मिनट पर पूरी हो गई और इस प्रक्रिया ने यान को 124.9 मीटर प्रति सेकंड की गति प्रदान की.
पहली तीन प्रक्रियाओं के सफलतापूर्वक पूरा होने के बाद यान को कक्षा में आगे बढाने की चौथी प्रक्रिया सोमवार को पूरी तरह सफल नहीं हो पाई थी. इसके बाद इसरो ने मंगलवार की सुबह पांच बजे पूरक प्रक्रिया की योजना बनाई थी ताकि एक लाख किलोमीटर से आगे के दूरस्थ बिंदू के लक्ष्य को हासिल किया जा सके. मंगलयान को कक्षा में आगे ले जाने की पांचवीं प्रक्रिया 16 नवंबर को होगी जिसके तहत इसकी अधिकतम दूरी बढ़ाकर 1,92,000 किलोमीटर की जाएगी.
चौथी प्रक्रिया के तहत एक लाख किलोमीटर की दूरी तय करने का लक्ष्य रखा गया था लेकिन यान सिर्फ 78,276 किलोमीटर की दूरी तय कर सका.
इसरो ने बताया कि एक निर्धारित प्रक्रिया के तहत जब प्राथमिक एवं ‘अतिरिक्त क्वाइल’ को एक साथ ऊर्जा दी गई तब तरल ईंजन को ऊर्जा का प्रवाह रूक गया. उम्मीद के मुताबिक अभियान ‘एटीट्यूड कंट्रोल थ्रस्टर्स ’ के उपयोग से जारी रहा. यान ‘सामान्य’ है और 100 फीसदी सुरक्षित है.
इन पांचों प्रक्रियाओं को सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद अभियान के लिए एक दिसंबर का दिन काफी महत्वपूर्ण होगा जब परा-मंगल अंत:प्रक्षेपण रात करीब 12 बजकर 42 मिनट पर होगा.
इसरो के पीएसएलवी सी-25 ने 1350 किलोग्राम के मंगलयान (मार्स आर्बिटर) को गत मंगलवार को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से दोपहर दो बजकर 38 मिनट पर प्रक्षेपण के 44 मिनट बाद पृथ्वी की कक्षा में भेज दिया था. इसके साथ ही 450 करोड़ रुपये के इस अभियान का पहला चरण सफलतापूर्वक पूरा हो गया था.