वित्त संबंधी कई योजनाओं को प्रोत्साहन देने वाले पीएम नरेंद्र मोदी की नजर अब देश के मंदिरों के खजाने पर है. मोदी सरकार जल्द ही मंदिरों की तिजोरियों में भक्तों द्वारा दान किए सोने को बैंक के पास जमा करने की योजना ला सकती है. इस योजना के लिए सबसे पहला नाम मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर का है.
200 साल पुराने सिद्धिविनायक मंदिर में करीब 3 हजार टन सोना है. मोदी सरकार मई में ऐसी योजना लाने पर विचार कर रही है, जिसमें मंदिर अपने खजाने में जमा सोने को बैंक के पास जमा करवाएं और इसके बदले में बैंक से ब्याज लें. सरकार इस सोने को गलाकर लोन और आदि के लिए इस्तेमाल करेगी.
सरकार हर साल करीब 800 से 1000 टन सोना आयात करती है. इस योजना में मंदिरों के शामिल होने से आयात करने में कमी आएगी. सिद्धिविनायक मंदिर ट्रस्ट के चेयरमैन नरेंद्र मुरारी राणे ने कहा कि अगर ये योजनाएं मंदिरों के लिए फायदेमंद है तो हम ऐसी योजनाओं के समर्थन के लिए तैयार हैं. बशर्ते ये योजना सुरक्षित भी हो.
भक्त योजना की बात से नाखुश
हालांकि योजना की खबरों ने कुछ भक्त नाखुश भी हैं. मुंबई में रहने वाले एक सोना व्यापारी ने कहा कि मैंने और मेरे पति ने अब तक करीब 200 किलो सोना मंदिर के लिए दान किया है. ऐसे में मंदिर को सोने को बैंक के पास या गलाने के लिए देकर ब्याज कमाना अच्छा नहीं लगता. ये सोना हमने भगवान के लिए दान किया था.