ऐतिहासिक शहर बर्लिन की धरती पर खड़े होकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिंदुस्तान की धर्मनिरपेक्षता निशाना साधा है. भारत के सरकारी स्कूलों में जर्मन भाषा की जगह संस्कृत को लाये जाने पर उठे विवाद की पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार की रात कहा कि भारत में संस्कृत का नाम लेते ही धर्मनिरपेक्षता खतरे में पड़ जाती है.
प्रधानमंत्री ने कहा, 'भारत की धर्मनिरपेक्षता इतनी कमजोर नहीं है कि यह एक भाषा की वजह से हिल जाएगी.'
भारतीय समुदाय द्वारा आयोजित स्वागत समारोह को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि दशकों पहले जर्मन रेडियो पर संस्कृत में समाचार पढ़े जाते थे.
उन्होंने कहा, 'भारत में उस समय संस्कृत में कोई समाचार नहीं पढ़ा जाता था क्योंकि शायद यह सोचा जाता था कि इससे धर्मनिरपेक्षता खतरे में पड़ जाएगी.'
मोदी ने कहा, 'भारत की धर्मनिरपेक्षता इतनी कमजोर नहीं है कि यह केवल एक भाषा की वजह से हिल जाएगी. आत्मविश्वास होना चाहिए. आत्मविश्वास नहीं डिगना चाहिए.'
प्रधानमंत्री मोदी की इन टिप्पणियों को कुछ महीने पहले भारत में केंद्रीय विद्यालयों में तीसरी भाषा के रूप में जर्मन की जगह संस्कृत को शामिल करने पर उठे विवाद की पृष्ठभूमि में देखा जा रहा है.
विकसित देशों को बताएंगे कि आपने जलवायु को बिगाड़ा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत में सबसे कम प्रति व्यक्ति गैस उत्सर्जन के बावजूद ग्लोबल वार्मिंग को लेकर भारत से सवाल करने पर विकसित देशों को आड़े हाथ लिया. प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत सितंबर में फ्रांस में होने वाले जलवायु परिवर्तन सम्मेलन के लिए एजेंडा तय करेगा.
मोदी ने कहा कि रीयूज और रीसाइकिलिंग हमारे डीएनए में है. मौजूदा दौर में यह बात हमें दुनिया से सीखनी पढ़ रही है, जबकि यह हमारी सहज प्रवृत्ति थी, लेकिन मैं हैरान हूं कि हमने अपनी बात सीना तानकर विश्व के सामने नहीं रखी और दुनिया हमें डांटती रही कि कार्बन उत्सर्जन कम करो, जबकि पूरे विश्व में प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन देखा जाए तो हमारा सबसे कम है.
उन्होंने कहा, 'पूरी दुनिया हमसे सवाल पूछ रही है. जलवायु को बिगाड़ने वाले हमसे सवाल पूछ रहे हैं. अगर किसी ने प्रकृति का संरक्षण किया है तो वे भारतीय हैं. मोदी ने कहा कि भारत दुनिया के प्रति जवाबदेह नहीं है और हम उन्हें बताएंगे कि आपने प्रकृति को नुकसान पहुंचाया.
जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए भारत द्वारा नेतृत्व की बात करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, 'फ्रांस में होने वाली आगामी कांफ्रेंस ऑफ पार्टीज (सीओपी) सम्मेलन का एजेंडा हम तय करेंगे, मैं विश्वास के साथ कहता हूं कि भारत इसका एजेंडा तय करेगा और यह हमारे मूल्यों के आधार पर होगा.'