नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री, बिहार
इंडिया टुडे SoS Bihar के मंच पर राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शिरकत की. SoS Bihar के मंच से नीतीश ने कहा कि उनके कार्यकाल से पहले स्कूलों में बच्चों की औसत संख्या 12 थी और प्राइमरी सरकारी अस्पताल में 39 लोग प्रति माह इलाज कराने आते थे. इसका साफ मतलब कि मौजूदा सरकार से पहले राज्य में स्कूल और अस्पताल की व्यवस्था पूरी तरह चरमरा चुकी थी. नीतीश कुमार ने दावा किया किया कि उनकी कोशिशों के बाद अब सरकारी अस्पतालों में प्रति माह 11,000 लोग इलाज कराने आ रहे हैं.
नीतीश कुमार ने कहा कि 2004 तक राज्य में 50 किलोमीटर का सफर राष्ट्रीय राजमार्ग पर तय करने में कम से कम तीन घंटे का समय लगता था. इसलिए राज्य में सत्ता संभालने के बाद उन्होंने राज्य में राष्ट्रीय राजमार्ग और राज्य मार्गों को बड़े स्तर पर सुधारने का काम किया. नीतीश ने कहा कि उनकी सरकार का नारा है कि न्याय के साथ विकास.
नीतीश कुमार ने कहा कि पहले राज्य में लड़कियों का साइकिल चलाना सही नहीं माना जाता था. लेकिन राज्य सरकार ने कक्षा 9 की लड़कियों को साइकिल देने की योजना पर काम किया तब पूरे राज्य में परिवर्तन देखने को मिला. अब गांव-गांव में समूह बनाकर लड़कियां स्कूल जा रही है और उनके अभिभावक उनके स्कूल जाने का समर्थन कर रहे हैं. राज्य में यह काम किसी क्रांति से कम नहीं है.
नीतीश ने कहा कि राज्य में कुशल युवा योजना के तहत कंप्यूटर शिक्षा, संवाद कौशल और व्यवहार कौशल कार्यक्रम को चलाया जा रहा है जिससे राज्य का युवा मुख्यधारा में आ सके.
इस सत्र के दौरान सवाल-जवाब के दौरान नीतीश ने कहा कि नितीश ने कहा कि जो लोग सत्ता में आने के बाद खुद को मालिक समझने लगते हैं ऐसे लोगों से ही नुकसान होता है. नीतीश ने दावा किया कि बिहार में एनडीए अच्छा प्रदर्शन करने जा रही है.
छठा सत्र: बिहार की इकोनॉमी पर उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी
इंडिया टुडे SoS Bihar के सत्र बिहार की इकोनॉमी पर उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के साथ अंजना ओम कश्यप ने बातचीत की. सीएम नीतीश के साथ रिश्तों के सवाल पर सुशील मोदी ने कहा कि नीतीश जी के साथ पहले भी अच्छे रिश्ते थे और अब बेहतर हो गए हैं. हम नीतीश को 70 के दशक से देख रहे हैं. जेपी आंदोलन में हम साथ ही थे, युवा आंदोलन में भी साथ ही थे. हम उन्हें 40 सालों से देख रहे हैं. बीच में चार साल जब अलग थे तब भी रिश्ते बने हुए थे. उन्होंने कहा कि नीतीश जी का काम ऐसा ही है कि विपक्ष में रहते हुए हम उनके खिलाफ माइक्रोस्कोप लेकर कमियां ढूंढते हैं. उन्होंने कहा कि लालू जी या उनका परिवार जब सत्ता में रहता है तो अपने आप मुद्दे दे देता है.
सुशील कुमार मोदी ने कहा कि लालू को मैं राबड़ी से बेहतर जानता हूं. अच्छी बात कहिए या बुरी बात कहिए कि उन्होंने कभी सुधरने का नाम नहीं लिया. मैं लालू को 1969 से जानता हूं. हम सामने पड़ने पर लालू के खिलाफ बोलते हैं, हमने उनके खिलाफ पीआईएल फाइल की, कई आंदोलन किए लेकिन जब भी मिलते हैं तो उनके चेहरे पर शिकन नहीं आती है.
तेजस्वी को नेता बनाने के सवाल पर सुशील ने कहा कि तेजस्वी को नेता तो नीतीश कुमार ने बनाया है. उन्होंने कहा कि तेज प्रताप हों या तेजस्वी हों या मीसा भारती उन्हें नेता बनाने वाले एक परिवार के प्रति समर्पित हैं.
उन्होंने कहा कि बिहार में जातिगत समीकरण नहीं चलेगा. जेडीयू के साथ सींटों के बंटवारे पर सुशील मोदी ने कहा कि चाहे 17-17 सीटें हों या 20-20 सीटें, और कोई दल साथ आए या नहीं, दोनों दल साथ लड़ेंगे. उन्होंने कहा कि यह लड़ाई 70 फीसदी और 30 फीसदी के बीच है. उन्होंने कहा कि 70 फीसदी जनता एनडीए के गठबंधन के साथ है और 30 फीसदी जनता यूपीए के गठबंधन के साथ है.
बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने बिहार के विकास के सवाल पर कहा कि इतिहास अगर नीतीश कुमार को याद रखेगा तो इतिहास के फुटनोट में हमारा भी नाम शामिल होगा.
वहीं शहरों के नाम में बदलाव करने पर मोदी ने कहा कि बिहार सरकार के एजेंडे में किसी शहर का नाम बदलना नहीं शामिल है.
राज्य में कानून व्यवस्था के सवाल पर मोदी ने कहा कि आरजेडी के दौर के माहौल में बड़ा सुधार आया है. अब राज्य में किसी तरह के डर का माहौल नहीं है. वहीं राज्य में अपराध पर मोदी ने कहा कि आधे से अधिक मामले जमीन विवाद से जुड़े है. लेकिन डकैती और हत्या के आंकड़ों में बड़ी कमी दर्ज हुई है. मोदी ने कहा कि बिहार में बीजेपी सरकार आने के बाद किसी एक कारोबारी ने दावा नहीं किया कि वह खराब कानून व्यवस्था के कारण राज्य को छोड़ने के लिए मजबूर हुआ है.
लालू और नितीश की सरकार में सबसे बड़ा अंतर राजनीतिक संरक्षण के मामलों में है. नितीश सरकार में किसी अपराधी को राजनीतिक संरक्षण देने का काम नहीं किया. वहीं नितीश के कार्यकाल में बिहार में एक भी जातीय दंगा नहीं होने दिया गया है. मोदी ने कहा कि आज पूरा बिहार मान रहा है कि शराबबंदी से उसे बड़ी राहत पहुंची है. इसके अलावा गांव-गांव तक बिजली पहुंचाने का काम मौजूदा सरकार ने किया हैै.
वहीं सत्र के दौरान मोदी ने कहा कि यदि बिहार के लोग आज गुजरात न जाएं तो एक बात साफ तौर पर समझ लेना होगा कि एक-एक कर गुजरात की सभी फैक्ट्रियां बंद हो जाएंगी. मोदी ने कहा कि बिहार के लोगों ने मॉरिशिएस को सोने का देश बना दिया है.
पांचवां सत्र: बिहार के बदलाव में गुड गर्वेंनेस की भूमिका पर चर्चा
इंडिया टुडे SoS Bihar के सत्र बिहार के बदलाव में गुड गर्वेंनेस की भूमिका पर चर्चा में जेडीयू प्रवक्ता पवन वर्मा, मुख्यमंत्री के सलाहकार अंजनी सिंह, लेखक अरुण सिन्हा शामिल हुए. इस सत्र का संचालन अजीत झा ने किया.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सहपाठी रहे अरुण सिन्हा ने कहा कि जब नीतीश दो बार हारने के बाद तीसरी बार अपने निर्वाचन क्षेत्र में गए तो उन्होंने कहा कि अगर अब आपने मुझे हरा दिया तो मैं राजनीति से संन्यास ले लूंगा. उन्होंने बताया कि नीतीश दो बार हारने के बावजूद हर जिले में जाते थे और लोगों की परेशानी सुनते थे. उन्होंने बताया कि यही देखकर उन्हें लगा कि यह आदमी राजनीति में आगे जाएगा. जब वह केंद्र सरकार में मंत्री थे और जिस तरह से परेशानियों का समाधान करते थे, अधिकारियों से मिलते थे तो उनकी अप्रोच शानदार होती थी.
अंजनी सिंह ने, यह पूछने पर कि वह नीतीश को किस तरह की सलाह देते हैं, कहा कि वह सीएम को हर तरह की सलाह देते हैं. उन्होंने कहा कि नीतीश ने सार्वभौमिक योजनाएं बनाकर अपनी प्रतिभा का परिचय दे दिया था. उन्होंने कहा कि गरीब राज्य होने के वाबजूद उन्होंने फैसला किया कि बच्चों को स्कूल लाना है, उन्हें लिए मुफ्त यूनिफॉर्म-किताबें दी, जिसमें काफी रुपये खर्च हुए. उन्होंने बताया कि नीतीश के साथ उनका पहला अनुभव शिक्षा के क्षेत्र में था.
पवन शर्मा ने कहा कि जब वह भूटान में राजदूत थे तो वहां नीतीश बिहार के सीएम रहते हुए वहां आए. तबसे उनकी नीतीश से दोस्ती शुरू हुई. उन्होंने कहा कि अरुण ने उनकी और नीतीश की दोस्ती में अहम भूमिका निभाई. पवन शर्मा ने बताया कि वह राजनीति से भी प्रभावित थे और विचारधारा से भी. उन्होंने कहा कि नीतीश ने इसी प्रतिबद्धता के चलते न्याय के साथ विकास का नारा दिया. इससे गरीबी हटाने में भी अहम भूमिका मिली. उन्होंने कहा कि बिहार में अब भी गरीबी है, लेकिन न्याय के साथ विकास के नारे ने इस दिशा में जरूरी काम किया है.
अरुण सिन्हा ने कहा कि नीतीश कुमार के कामों में जो सोच होती है, वह उनके लोहियावादी विचारों, अध्ययन और अमल से आती है. उन्होंने कहा कि जय प्रकाश नारायण भी समाजवादी आंदोलन का हिस्सा थे और इन्हीं से नीतीश को अपने कॉलेज के समय से ही सोच स्पष्ट रखने में मदद मिली है. इसी वजह से उनके काम सबसे गरीब लोगों तक पहुंचते हैं.
बिहार जैसे पितृसत्तात्मक समाज में नीतीश कुमार का महिलाओं के पक्ष में आने पर अंजनी कुमार ने कहा कि सरकार ने साक्षरता का बड़ा अभियान चलाया जो तीन साल तक जारी रहा. बिहार ने भारत सरकार के सबसे तेजी से साक्षरता दर और महिलाओं की सबसे तेज साक्षरता दर दोनों पुरस्कार जीते. उन्होंने कहा कि महिलाओं के प्रति भेदभावपरक सोच शुरू से ही समाज में थी.
अरुण कुमार ने प्रशांत कुमार की तरह नीतीश की टीम में महिलाओं को शामिल करने की राय देने के सवाल पर कहा कि ऐसा नहीं है कि पुरुष केवल पुरुषों के लिए ही काम करेंगे और महिलाएं केवल महिलाओं के लिए ही काम करेंगी. उन्होंने कहा कि महिलाओं को भी जिम्मेदारी लेने के लिए आगे आना होगा.
चौथा सत्र: उत्तर बिहार पर चर्चा
इंडिया टुडे SoS Bihar के सत्र उत्तर बिहार पर चर्चा में जेडीयू के संजय झा, राज्यपाल के प्रधान सचिव विवेक कुमार सिंह और इतिहास के प्रोफेसर डॉक्टर रत्नेश्वर मिश्रा ने हिस्सा लिया. इस सत्र का संचालन अजीत झा ने किया. इस सत्र में मिथिलांचल से आए प्रतिभागियों ने उत्तर बिहार की समृद्ध इतिहास के बरक्स इसकी मौजूदा स्थिति और चुनौतियों पर चर्चा की.संजय झा ने कहा कि मिथिलांचल में न तो उद्योग आए और न ही बड़े शैक्षिक-शोध या कृषि संस्थान (पूसा दो साल पहले आया) और न ही एएसआई ने यहां पर कुछ काम किया. यहां से लोग पलायन कर चुके हैं. यहां धान काटने के लिए लोग पंजाब जाते हैं. इस इलाके में गरीब रथ भी नहीं है, एक राजधानी ट्रेन है, जिसमें लोगों को रेलवे टिकट भी नहीं मिलते हैं. उन्होंने कहा कि अभी इस दिशा में काम होना शुरू हुआ है, दरभंगा से 2019 में लोगों को फ्लाइट मिलेगी. नेपाल से आने वाली बाढ़ से ये इलाका हमेशा परेशान रहा है. इस दिशा में कोई बड़ा काम नहीं हुआ. 60-70 साल में ज्यादा काम नहीं हुआ. अब कुछ हो रहा है.
राज्यपाल के प्रधान सचिव विवेक कुमार सिंह ने कहा कि इस इलाके में पानी प्रचुर मात्रा में है, यहां की जमीन उपजाऊ है, लोग बुद्धिमान हैं, लेकिन इन संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि जमीन में उपज नहीं हो पा रही है क्योंकि हरित क्रांति यहां नहीं आ सकी, जमीन का बंटवारा सही से नहीं हुआ. यहां पर चकबंदी से मतलब बेईमानी से है. केवल हमारे पास जमीन के हवाई चित्र हैं, लेकिन हम इस तकनीक का, इस मौके का कोई इस्तेमाल नहीं कर सके. उन्होंने आगे कहा कि जमीन पर आधुनिक और वैज्ञानिक तरीके से खेती करने से पलायन रुकेगा. तकनीक से भ्रष्टाचार रोकेंगे तो अपराध भी कम होगा. उन्होंने भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की वकालत की.
इतिहासकार रत्नेश्वर मिश्रा ने कहा कि मिथिलांचल को पलायन की दोहरी मार पड़ रही है. 12वीं सदी में ही विद्वान धन और सम्मान के लिए मिथिलांचल छोड़कर जाने लगे थे. यहां के लोग मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कश्मीर और सुदूर दक्षिण में जाकर जज, मंत्री और दूसरे अहम पदों पर पहुंचे. इसलिए यहां विद्वता की परंपरा टूट गई. मुसीबतों का सामना करने वाले, इसके लिए राह दिखाने वाले लोग ही नहीं रहे. उन्होंने कहा कि पलायन का दूसरा नुकसान यह हुआ कि पलायन के बाद यहां लौटे लोगों ने या उनके भेजे पैसों से बाहर की बुराइयां भी आईं. उन्होंने कहा कि पहले यहां के लोग शराब ज्यादा नहीं पीते थे, लेकिन अब बच्चे भी बेहिचक ऐसा करने लगे हैं. उन्होंने इसपर चिंता जाहिर की.
संजय झा ने बिहार के इस इलाके से महिलाओं के विभिन्न क्षेत्रों में सामने न आ पाने के सवाल पर कहा कि बिहार सरकार ने लड़कियों को साइकिल दी तो उसने समाज को व्यापक स्तर पर बदला. पहले जो लड़की पटना में साइकिल नहीं चलाती थी, अब गांवों में ऐसा करने लगी हैं. उन्होंने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता खराब होने से ही पलायन शुरू होता है. उन्होंने कहा कि यहीं से युवा पढ़ने के लिए दिल्ली यूनिवर्सिटी या जेएनयू जाते हैं.
संजय झा ने बिहार में बीजेपी के साथ सीट बंटवारे पर कहा कि केवल दो सीट जीतने पर भी जेडीयू का वोट शेयर 16 फीसदी था, भाजपा भी यह बात जानती है. इसलिए दोनों दलों को बराबर सीटें मिलीं.
विवेक कुमार ने मिथिलांचल के विकास के लिए भविष्य की योजना बनाने पर कहा कि आधारभूत विकास हो गया है और अब इसका बेहतरी से समायोजन करने की जरूरत है. उन्होंने उदाहरण दिया कि राज्य में बिजली तो बढ़ गई है लेकिन इसके तार खेतों से जा रहे हैं, जिससे कृषि, पशुपालन और मत्स्य पालन का नुकसान हो रहा है.
रात्नेश्वर मिश्रा ने मिथिलांचल से आयरलैंड की तुलना पर कहा कि हमने अभ्यास छोड़ दिया है, इसलिए हमारे यहां से प्रतिभाएं नहीं निकल रही हैं. उन्होंने कहा कि प्रतिभा अभ्यास से बनी रहती है, अगर लेखक लिखना छोड़ देगा तो लिखने में परेशानी होगी और अगर विचारक सोचना छोड़ देगा तो उसके दिमाग में विचार नहीं आएंगे.
उन्होंने आगे कहा कि हालिया समय में सारे नवाचार, सारे विचार- साम्यवाद, समाजवाद, नव उदारवाद, पोस्टमॉर्डनिजम सभी फ्रांस से आ रहे हैं. फ्रांसीसी क्रांति से ठीक पहले वहां ऐसा माहौल बन गया था. वहां क्लब और एकेडमी हुए करते थे जो मिथिलांचल से खत्म हो गया.
तीसरा सत्र: बिहार के आर्थिक बदलाव की कहानी और स्थिरता के उपाय
इंडिया टुडे SoS Bihar के अहम सत्र बिहार के आर्थिक बदलाव की कहानी और स्थिरता के उपाय में राज्य के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी त्रिपुरारी शरण और राज्य ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने शिरकत की. इस सत्र का संचालन अजीत झा ने किया.
इस सत्र के दौरान शरण ने कहा कि अब अमेरिकी अर्थव्यवस्था ने कहा कि ग्रोथ को बिना मैन्यूफैक्चरिंग के भी स्थिर रखा जा सकता है. लिहाजा यह कहना कि बिहार को तेज ग्रोथ सिर्फ फैक्ट्री का सहारा लेकर पाया जा सकता है.
वहीं प्रत्यय अमृत ने कहा कि राज्य में पॉवर सेक्टर की स्थिति को दुरुस्त करने में गेमचेंजर यह साबित हुए कि राज्य ने प्राथमिकता खस्ता हाल पड़े पॉवर सेक्टर के ढांचे को दिया. राज्य में कई-कई साल से ट्रांसफॉर्मर जले पड़े थे और कोई सुनवाई नहीं होती थी. राज्य ने पहले इन ट्रांसफॉर्मर को दुरुस्त करने के बाद अनकनेक्टेड गांवों में बिजली ले जाने की योजना पर काम किया. अब गांवों की बारी पूरी हो चुकी है तब राज्य सरकार टोले के स्तर पर गांवों को विद्युत सशक्तिकरण करने जा रहा है.
दूसरा सत्र: सांस्कृतिक पुनर्जागरण
इंडिया टुडे SoS Bihar के अहम सत्र सांस्कृतिक पुनर्जागरण: सिनेमा और कला में शोवना नारायण, युवा सामंत चौहान, राइटर डायरेक्टर अमिताभ वर्मा और डॉ. अजीत प्रधान ने शिरकत की.
कथक नृत्यांगना शोवना ने कहा- मुझे कई बार लोगों की इस सोच का सामना करना पड़ा कि आप बिहार की होकर क्लासिकल सिंगर कैसे हो सकती हैं. सब आश्चर्य करते हैं. जबकि पुराने समय की बात करें तो जितने भी क्लासिकल डांसर हुई हैं, वे बिहार से ही थीं. चाहे आम्रपाली हो या सालवती.
शोवना ने कहा- मैं इस तरह के परिवार से आती हूं, जहां डांसिंग का कोई बैकग्राउंड नहीं था, लेकिन फिर भी मेरे परिवार ने डांस को पेशे के रूप में चुनने में मेरी मदद की. 50 के दशक में ऐसा सोचना बड़ी बात थी. लेकिन समाज इसके उल्टा सोचता था. कैसे एक बिहारी डांस को प्रोफेशन चुन सकता है, लेकिन जब एक बार मैंने साबित कर दिया तो लोगों ने स्वीकार करना शुरू कर दिया.
शोवना ने कहा- बहुत कम लोग हैं जो बिहार की संस्कृति को समझते हैं. हर चीज की दो तस्वीरें होती हैं, लेकिन बिहार की हमेशा बुरी तस्वीर दिखाई जाती है.
पहला सत्र: बिहार के आर्थिक बदलाव की कहानी और स्थिरता के उपाय
इंडिया टुडे SoS Bihar के अहम सत्र बिहार की आर्थिक स्थिति में राज्य के स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार, रत्नेश्वर मिश्रा, इतिहासकार और पीपी घोष, डायरेक्टर ऑफ एशियन डेवलपमेंट रीसर्च इंस्टीट्यूट ने शिरकत की. इस सत्र का संचालन इंडिया टुडे के रीसर्च एडिटर अजीत कुमार झा ने किया.
इस सत्र के दौरान संजय कुमार ने कहा कि बिहार ने बीते कुछ साल के दौरान बेहद निचले स्तर से आर्थिक तरक्की पकड़ी है. मौजूद समय में बिहार के विकास के लिए बेहतर गवर्नेंस और सरकार के निवेश से हो रहा है. संजय ने कहा कि सभी राज्यों का विकास हो रहा है लेकिन किसी राज्य में विकास की क्या रफ्तार है वह निर्णायक रहेगा. संजय ने कहा कि आज बिहार को गर्व है कि सभी गांवों में बिजली पहुंचाने का काम पूरा हो चुका है. संजय ने कहा बिहार ने विकास की रफ्तार एक दशक में पकड़ी है.
संजय ने कहा कि बिहारी के नाम पर देश में हो रही उलाहना को बंद किए जाने की जरूरत है. संजय ने बताया कि किस तरह से अन्य राज्यों में अधिकारियों की मुलाकात में भी बिहार एक मुद्दा है और लोग मानते हैं कि बिहार में कुछ हो ही नहीं रहा है. लिहाजा, बिहार के ब्रांड पर अब सुधार होना अहम है.
संजय ने कहा कि राज्य में आधी ग्रोथ टेलिकॉम, सरकारी कार्यक्रमों और होटल इत्यादि इंडस्ट्री से आ रही है. राज्य में महज 12 फीसदी शहरीकरण है और 88 फीसदी लोग ग्राणीण परिवेश में रह रहे हैं. इसके साथ ही राज्य पूरे देश में एक घनी पॉप्यूलेशन डेंसिटी वाले राज्यों में है. प्रति व्यक्ति लैंड को देखें तो राज्य के सामने चुनौती है कि वह राज्य में जमीन का इस्तेमान शहरीकरण के लिए करे अथवा उसे ग्रामीण रहने दे जिससे कम से कम लोग अपनी एग्रीकल्चर जरूरतों को पूरा कर सकें. ऐसी स्थिति में राज्य के सामने इंडस्ट्रिलाइजेशन करना भी बड़ी चुनौती.
इस सत्र के दौरान पीपी घोष ने कहा कि विकास की शुरुआत एग्रीकल्चर से होती है. घोष ने कहा कि बीते 20 साल के दौरान कम से कम 5 साल एग्री ग्रोथ निगेटिव रही है. हालांकि कुछ राज्यों की तरह बिहार में एग्रीकल्चरल ग्रोथ बहुत अच्छी रही है.
वहीं बिहार में आईटी सेक्टर की चुनौती पर घोष ने कहा कि बिहार में सड़क और पावर बड़ी चुनौती रही है हालांकि बीचे कुछ सासल के दौरान स्थिति ठीक हुई है. वहीं आईटी सेक्टर में स्टार्टअप के लिए बहुत अधिक लोगों की जरूरत नहीं होती वहीं खर्च भी धीरे-धीरे किया जा सकता है. लिहाजा, एक बेहतर इंफ्रा के बाद बिहार में इस क्षेत्र में बड़ा कदम उठाया जा सकता है.
इस सत्र के दौरान रत्नेश्वर मिश्रा ने कहा कि राज्य में रोड और रेल नेटवर्क बेहतर हो रहा है. खासतौर पर सड़कों के जरिए गांवों को जोड़ा जा रहा है. लेकिन राज्य के सामने इन सड़कों के मेंटेनेंस पर ध्यान देने की जरूरत है. मिश्रा ने कहा कि मिथिलांचल को रोड और रेल नेटवर्क का फायदा पहुंच रहा है. मिश्रा ने कहा कि लंबे समय तक मिथिला को सिर्फ एग्री का सहारा था और तमाम चुनौतियों के बावजूद एग्री सेक्टर अच्छा कर रहा था.
इंडिया टुडे स्टेट ऑफ स्टेट्स बिहार का आगाज इंडिया टुडे ग्रुप एडिटोरियल डायरेक्टर राज चेंगप्पा के स्वागत भाषण से हुआ. SoS Bihar के मंच पर राज्य के गवर्नर लालजी टंडन मौजूद हैं.
राज्य के गवर्नर लालजी टंडन ने SoS Bihar के मंच से संबोधन हुआ. लालजी टंडन ने कहा कि देश के आर्थिक विकास को समझने के लिए स्टेट ऑफ स्टेट्स का मंच एक अहम पहल है. हालांकि टंडन ने कहा कि यह दुर्भाग्य है कि मीडिया को मौजूदा दौर में रोल निगेटिविटी से प्रभावित है. टंडन के मुताबिक 100 अच्छे काम मीडिया के हेडलाइन्स में जगह नहीं पाते लेकिन 1 गलत काम सुर्खियां बनती हैं.
लालजी ने कहा कि कुछ दिनों पहले बिहार एक बीमारू राज्य था और कई दोष यहां पैदा हो गए थे. टंडन ने कहा कि मौजूदा सरकार के कार्यकाल में अच्छा काम किया गया और अब राज्य इस श्रेणा से बाहर आ चुका है.
टंडन ने कहा कि सपन्नता से ही देश महान नहीं होता. बुरे दौर में भी देश ने महानता पाई है.
पूरी दुनिया को शिक्षा देने वाली यूनिवर्सिटी बिहार में रही. लेकिन अब किस रूप में बिहार की व्याख्या होती थी. बिहार के शासक ने यूनान की शक्ति को परास्त किया है. ज्ञान-विज्ञान में पूरी दुनिया बिहार का लोहा मानती है लेकिन हम उसपर गर्व नहीं करते. कूटनीति और अर्थशास्त्र का दुनिया में पहला विचारक कौटिल्य था. आज पूरी दुनिया इस बात को जानती है कि कौटिल्य बिहार से था.
स्टेट ऑफ स्टेट का मंच बिहार की राजधानी पटना में सज रहा है. दिनभर चलने वाले इस कॉन्क्लेव में SoS बिहार मंच पर राज्य में विकास की रफ्तार, उसके सामने मौजूद चुनौतियों समेत राज्य सरकार के आला मंत्री और अधिकारी और अन्य क्षेत्रों के खास लोग चर्चा करेंगे.
दिनभर चलने वाले इस कार्यक्रम की शुरुआत बिहार के राज्यपाल लालजी टंडन के स्वागत भाषण से होगी. दिनभर अलग-अलग सत्रों में बिहार सरकार में मंत्री, राज्य सरकार के जिला स्तर के अधिकारियों के अलावा उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी शिरकत करेंगे. कार्यक्रम में कई चर्चित लेखक, नेता और पत्रकार भी शामिल होंगे.
कार्यक्रम के अंत में स्टेट ऑफ स्टेट बिहार रिपोर्ट को लांच किया जाएगा. इसके अलावा अवॉर्ड सेरेमनी का आयोजन होगा. SoS Bihar अवार्ड राज्य के विकास में उत्कृष्ट योगदान करने वालों को दिया जाएगा.
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