परमाणु दायित्व विधेयक को आज संसद में पेश करने की तैयारी कर रही सरकार ने यह संकेत देकर वाम दलों को मनाने की कोशिश करती हुई नजर आई कि वह आपूर्तिकर्ता के दायित्व से संबंधित विवादास्पद प्रस्ताव को हटाने पर विचार कर सकती है.
सरकार की ओर से यह संकेत मिला है कि वह इस प्रस्ताव में जिक्र किए गए शब्द ‘इरादतन’ को हटाने के खिलाफ नहीं रह सकती है. उल्लेखनीय है कि भाजपा और वाम दलों ने इस प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया है.
भाजपा को विधेयक की धारा 17 बी में यह जोड़े जाने पर आपत्ति है कि परमाणु संयंत्र संचालक को आपूर्तिकर्ता से तभी मुआवजा मांगने का अधिकार होगा जब उसने इरादतन परमाणु क्षति पहुंचाई है. भाजपा का तर्क है कि यह साबित करना बहुत मुश्किल होगा कि किसी ने कोई काम इरादतन किया है या गैर इरादतन.
सरकार और विपक्षी पार्टियों में जारी गतिरोध के बीच औद्योगिक इकाइयों ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से अपील कर यह कहा है कि आपूर्तिकर्ता के दायित्व के बारे में कोई भी सख्त प्रावधान असैन्य परमाणु क्षेत्र के प्रसार के प्रयासों की दिशा में अवरोध होगा.
परमाणु दायित्व विधेयक 2010 को आज लोकसभा में पेश किया जाएगा.
{mospagebreak}प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री पृथ्वी राज चव्हाण ने विपक्षी पार्टियों को मनाने के लिए अपना प्रयास जारी रखा है. उन्होंने भाजपा नेताओं से मुलाकात कर इस पर चर्चा की थी, जबकि माकपा के पोलित ब्यूरो के सदस्य सीताराम येचुरी के साथ चर्चा की. चव्हाण ने वाम दलों के विचारों पर गौर करने का वादा किया, लेकिन वाम दलों ने विधेयक का अंतिम मसौदा पढ़े जाने तक इसके समर्थन के लिये कोई वादा करने से इंकार कर दिया है.
माकपा पोलित ब्यूरो के सदस्य सीताराम येचुरी ने यहां संवाददाताओं को बताया कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने लगभग एक घंटे की बातचीत के दौरान यह पेशकश की है.
येचुरी ने कहा, ‘लगता है मंत्री हमारे दृष्टिकोण, खासकर आपूर्तिकर्ताओं के दायित्व के बारे में हमारी बात सुनने को तैयार हैं. लेकिन आश्वस्त होने के लिए हमें विधेयक के अंतिम मसौदे को देखना होगा.’ उन्होंने बताया कि चव्हाण ने वाम दलों से कहा है कि विधेयक पर संसद में चर्चा के दौरान वे संबंधित संशोधन पेश करें.
वाम दलों का कहना है कि सरकार द्वारा प्रस्तावित विधेयक न सिर्फ संसद की स्थायी समिति की ओर से दी गई कुछ महत्वपूर्ण सिफारिशों के विपरीत है बल्कि इसमें परमाणु सामग्रियों के विदेशी और घरेलू निजी आपूर्तिकर्ताओं का संरक्षण और अधिक बढ़ा दिया गया है.
{mospagebreak}भाजपा ने कहा कि परमाणु दायित्व विधेयक के संबंध में अपनी आपत्तियों से वह सरकार को अवगत करा चुकी है और अब उसे इस बात का इंतज़ार है कि संप्रग शासन विधेयक को संसद में रखे जाने पर उस बारे में क्या रवैया अपनाता है. उसने कहा कि सरकार के रवैये पर पार्टी अपना रूख तय करेगी.
पार्टी प्रवक्ता राजीव प्रताप रूडी ने संवाददाताओं से कहा, ‘परमाणु दायित्व विधेयक के बारे में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री पृथ्वीराज चव्हाण और राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरूण जेटली के बीच हुई बातचीत में पार्टी अपना रूख स्पष्ट कर चुकी है. अब हम सरकार के रूख की प्रतीक्षा करेंगे. देखें, हमारी आपत्तियों पर उसका क्या कहना है और उसी पर हम संसद में अपना रूख तय करेंगे.’
बताया जाता है कि जेटली ने सरकार से कहा है कि वह विधेयक के उसी मसौदे को संसद में रखे जिसकी सिफारिश इस पर विचार करने वाली एक संसदीय समिति ने दी थी.
उधर सरकार के सूत्रों ने बताया कि विपक्ष को विधेयक की धारा 17 के जिस ‘इरादतन’ शब्द पर आपत्ति है, उसे हटा दिया गया है और संसद में विधेयक के लगभग उसी मसौदे को पेश किया जाएगा जिसकी सिफारिश संबंधित संसदीय समिति ने की है.