गतिरोध को समाप्त करते हुए भारत और पाकिस्तान ने गुरुवार को विदेश मंत्री स्तर पर संवाद फिर शुरू करने का फैसला किया. दक्षेस शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और युसुफ रजा गिलानी ने एक वर्ष से भी कम समय में पहली सार्थक बातचीत में विदेश मंत्री स्तर पर द्विपक्षीय वार्ता फिर शुरू करने का निर्णय किया.
सिंह और गिलानी की मुलाकात के दौरान दोनों देशों ने द्विपक्षीय संबंधों में विश्वास बहाली के लिए संवाद के रास्ते खुले रखने का निर्णय किया. 16 जुलाई 2009 को मिस्र के शर्म अल शेख में मुलाकात के बाद सिंह और गिलानी के बीच यह पहली बैठक थी. शर्म अल शेख में दोनों देशों के बीच साझा बयान की विषय वस्तु को लेकर भारत में काफी बवेला मचा था.
दक्षेस शिखर सम्मेलन से इतर भूटान हाउस में सिंह और गिलानी के बीच बैठक हुई. इस दौरान विचार विमर्श में आतंकवाद और मुंबई पर आतंकी हमलों की पाकिस्तानी जांच की धीमी गति का मुद्दा विषय वस्तु में शामिल था. दोनों नेताओं ने पहले अपने अपने शिष्टमंडलों के साथ बैठक की. इसके बाद दोनों ने आमने सामने बैठक की. इसके बाद शिष्टमंडल के साथ फिर बैठक हुई. {mospagebreak}
विदेश सचिव निरुपमा राव ने संवाददाताओं से कहा, ‘दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच खुले माहौल में बहुत अच्छी बात हुई. वे इस बात पर सहमत थे कि दक्षिण एशिया के लोगों का भाग्य तय करने के लिए दोनों देशों के बीच सहयोग बहुत जरूरी है.’ निरुपमा राव ने कहा, ‘प्रधानमंत्री सिंह ने मुंबई पर हमलों की साजिश रचने वालों के खिलाफ पाकिस्तान में चल रहे मामलों की धीमी गति पर भारत की चिंता से गिलानी को अवगत कराया.’
उन्होंने कहा कि सिंह ने गिलानी से कहा कि संवाद के माध्यम से भारत परस्पर सरोकारों के सभी मुद्दों पर विचार विमर्श करने को तैयार है, लेकिन आतंकवाद का मुद्दा इस प्रगति में रोड़ा है. निरुपमा ने कहा कि दोनों देशों के बीच संबंधों में विश्वास बहाली के लिए दोनों प्रधानमंत्रियों ने जल्द से जल्द विदेश मंत्री और विदेश सचिव स्तर पर बैठक करने का निर्णय किया.
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि दोनों नेताओं के बीच बैठक सकारात्मक माहौल में संपन्न हुई और वह मुनासिब वक्त पर अपने भारतीय समकक्ष एस एम कृष्णा के साथ बातचीत करेंगे. उन्होंने इस्लामाबाद में 26 जून को दक्षेस देशों के गृह मंत्रियों के सम्मलेन में पी चिदंबरम के शिरकत करने का स्वागत किया. कुरैशी ने कहा कि इस बैठक ने दोनों देशों के बीच का माहौल बदल दिया है.
विदेश मंत्री स्तर की बातचीत को समग्र वार्ता प्रक्रिया को फिर से शुरू करने का संकेत माने जाने के प्रश्न पर निरुपमा ने कहा कि वह वार्ताओं के नामकरण के चक्कर में नहीं पड़ना चाहती. एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने बातचीत में उठाए जाने वाले मुद्दों का ब्यौरा देने से इनकार करते हुए कहा कि परस्पर हित के तमाम मुद्दों पर विचार किया जाएगा.