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आतंक के खिलाफ भारत-पाक एकजुट

भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री युसूफ रजा गिलानी के बीच गुरुवार को मिस्र के शर्म अल शेख में हुई बैठक संपन्‍न हो गई है. दोनों नेताओं ने आतंकवाद को सबसे बड़ा खतरा करार दिया है.

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मुंबई हमलों के साजिशकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई और आतंकी ढांचे को नष्ट करने को लेकर पाकिस्तान की स्पष्ट प्रतिबद्धता को लेकर भारत की आशा के बीच प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री युसूफ रजा गिलानी के बीच गुरुवार को बैठक हुई.

समझा जाता है कि शर्म अल शेख में 15वें गुटनिरपेक्ष शिखर सम्मेलन से इतर इस बैठक में सिंह और गिलानी ने इस बात का जायजा लिया कि पाकिस्तान ने मुंबई हमलों की सजिश रचने वालों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गयी है. सिंह और गिलानी की मुलाकात के समय भारत के विदेश मंत्री एस एम कृष्णा और उनके पाकिस्तानी समकक्ष शाह महमूद कुरैशी भी उपस्थित थे.

'संबंधों पर अभी दबाव है'
बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एम के नारायणन ने भी भाग लिया. भारत और पाकिस्तान के बीच इस दूसरी शीर्ष स्तर की बैठक से पहले दोनों देशों के विदेश सचिवों की बातचीत में कई दौर के विचार विमर्श में भारत ने जानना चाहा था कि पाकिस्तान ने मुंबई हमलों की जांच के संबंध में क्या कदम उठाये हैं. अपने पाकिस्तानी समकक्ष सलमान बशीर के साथ बैठकों में विदेश सचिव शिवशंकर मेनन ने कहा कि संबंधों पर अभी दबाव है और कुछ कठिन मुददे अब भी शेष हैं.

बातचीत के अलावा कोई रास्ता नहीं
उन्होंने कहा कि मुंबई हमलों के दोषियों को सजा दिलाने के लिए पाकिस्तान को अब भी विश्वसनीय कार्रवाई करने की जरूरत है. मेनन ने कहा, ‘‘बातचीत के अलावा कोई रास्ता नहीं है चाहे वे मुद्दे संबंधों को आगे ले जाने की दिशा में हों या हमारे बीच फूट डालने वाले मसलों के समाधान के हों.’’ उन्होंने कहा कि अतीत से ही हमारे समक्ष कठिन मुद्दे रहे हैं और अब भी कठिन मुद्दों का समाधान करना है. बैठक से पूर्व सिंह और गिलानी ने गर्मजोशी से हाथ मिलाया और फोटो खिंचवाए. इस अवसर पर दोनों देशों के विदेश सचिव भी उपस्थित थे. गिलानी के साथ बातचीत के प्रति आशान्वित रहने के सवाल के जवाब में सिंह ने कोई टिप्पणी नहीं की.

आतंकवाद को समग्र वार्ता प्रक्रिया से नहीं जोड़ना चाहिये
भारत और पाकिस्तान भविष्य के किसी भी आतंकवादी खतरे के बारे में वास्तविक, विश्वसनीय और कार्रवाई करने योग्य जानकारी का आदान प्रदान करने को सहमत हुए हैं. सिंह और गिलानी इस पर सहमत हुए हैं कि भविष्य में एकमात्र रास्ता बातचीत का है और आतंकवाद को समग्र वार्ता प्रक्रिया से नहीं जोड़ा जाना चाहिये तथा इन दोनों मुद्दों को एक ही खांचे में नहीं रखा जाना चाहिये.

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