मुद्रास्फीति के 27 जून को समाप्त सप्ताह के दौरान शून्य से 1.55 फीसद नीचे आने के बावजूद आवश्यक खाद्य पदार्थों की कीमतों में बढ़ोतरी जारी रही. इससे पिछले सप्ताह मंहगाई दर शून्य से 1.30 से कम थी.
मुख्य तौर विनिर्मित उत्पादों की कीमतों में गिरावट के मद्देनजर मुद्रास्फीति में गिरावट दर्ज हुई. क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री डी के जोशी ने कहा कि तुलनात्मक आधार के प्रभाव के कारण मुद्रास्फीति में यह यह गिरावट दिख रही है.
उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष इसी दौरान मूल्य सूचकांक में तेज उछाल था। पिछले साल के समीक्षाधीन हफ्ते में थोकमूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रा स्फीति 12.03 फीसद थी. आलोच्य सप्ताह में खाद्य पदाथरें में दाल, समुद्री मछली और फल एवं सब्जियां मंहगी हुईं. मक्खन और आयातित खाद्य तेल एक-एक फीसद मंहगे हुए. यह लगातार चौथा सप्ताह है जबकि मुद्रास्फीति शून्य से नीचे है.
इस सप्ताह आम बजट पेश किए जाने के बाद पारंपरिक संवाददाता सम्मेलन में मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद विरमानी ने कहा था कि जहां तक मुद्रास्फीति का सवाल है कि थोकमूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति कुछ समय तक नीचे आएगी और बाद में यह चढ़ेगी. इस साल मार्च के अंत तक मुद्रास्फीति दो से चार फीसद के दायरे में रहेगी.
आने वाले सप्ताह के दौरान पेट्रोल और डीजल की कीमत में एक जुलाई हुई क्रमश: चार से दो रुपए की बढ़ोतरी का मुद्रास्फीति पर असर हो सकता है.