मानसून की वर्षा से कई राज्यों में परिवहन व्यवस्था चरमराने और पेट्रोल, डीजल के दाम बढ़ने से भाड़ा महंगा होने का असर गत 3 जुलाई को समाप्त सप्ताह के दौरान खाद्य मुद्रास्फीति पर भी दिखा और यह 0.19 प्रतिशत बढ़कर 12.81 प्रतिशत पर पहुंच गई.
दो सप्ताह गिरावट के रुख में रहने के बाद खाद्य पदार्थों पर आधारित मुद्रास्फीति की दर एक बार फिर उठने लगी. अर्थशास्त्रियों ने मुद्रास्फीति में आई इस वृद्धि के पीछे परिवहन व्यवस्था गड़बड़ाने और ईंधन मूल्यों की वृद्धि को बड़ी वजह बताया. उल्लेखनीय है कि मानसूनी वर्षा और नहरों के किनारे तोड़कर पानी बाहर निकलने से हरियाणा, पंजाब में परिवहन व्यवस्था गड़बड़ा गई थी.
इसका असर खाद्य मुद्रास्फीति पर भी दिखा और यह एक सप्ताह पहले के 12.62 प्रतिशत से बढ़कर 12.81 प्रतिशत पर पहुंच गई. गत तीन जुलाई को समाप्त सप्ताह में एक सप्ताह पहले की तुलना में चावल, गेहूं, दाल दलहन, प्याज तथा सब्जियों के दाम 0.03 प्रतिशत से लेकर 3.80 प्रतिशत तक महंगे हो गये. इस दौरान आलू 0.85 प्रतिशत और फल के दाम 0.91 प्रतिशत तक बढ़ गये. हालांकि टमाटर के दाम जो कि हाल के दिनों में काफी तेज हो गये थे, आलोच्य सप्ताह में यथावत रहे.
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य गोविंदराव ने कहा ‘खाद्य मुद्रास्फीति में मामूली वृद्धि की पहले से उम्मीद थी, वाहन ईंधनों के दाम बढ़ने का परिवहन लागत पर असर पड़ना तय था. हालांकि, इसका पूरा असर सामने आने में अभी समय लगेगा.’ आर्थिक शोध संस्थान इक्रीयर के निदेशक राजीव कुमार ने भी इस बात को माना कि पेट्रोल, डीजल मूल्य वृद्धि का असर अभी पूरी तरह आंकडों पर नहीं दिखा है, इसमें कुछ समय लग सकता है. {mospagebreak}
उल्लेखनीय है कि सरकार ने 25 और 26 जून की मध्यरात्रि से पेट्रोल में 3.50 रुपये, डीजल में दो रुपये और मिट्टी तेल में 3 रुपये लीटर की वृद्धि कर दी. इसके साथ ही रसोई गैस के दाम भी 35 रुपये प्रति सिलेंडर बढा दिये गये. सकल उपभोक्ता वस्तुओं के थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति पर भी इसका असर 14 जुलाई को जारी आंकड़ों में कुछ दिखा है और अब खाद्य मुद्रास्फीति पर भी इसका प्रभाव दिखने लगा है. राजीव कुमार ने कहा ‘खाद्य मुद्रास्फीति में वृद्धि मौसमी कारणों से है, वर्षा और परिवहन व्यवस्था गड़बड़ाने से इसमें वृद्धि हुई, नई फसल भी अभी आनी बाकी है.
वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने बुधवार को ही कहा कि खरीफ मौसम की फसलें मंडियों में आने के बाद महंगाई भी नीचे आ जायेगी. मुद्रास्फीति की तेज रफ्तार को देखते हुये अब यह भी लगने लगा है कि 27 जुलाई को आने वाली केन्द्रीय बैंक की मौद्रिक समीक्षा में रिजर्व बैंक अल्पकालिक ब्याज दरों में चौथाई प्रतिशत की और वृद्धि कर सकता है. इससे पहले रिजर्व बैंक ने दो जुलाई को रेपो और रिवर्स रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की वृद्धि कर दी है. उधर, सकल मुद्रास्फीति मई के 10.16 प्रतिशत से बढ़कर जून में 10.55 प्रतिशत पर पहुंच गई.