1971 के युद्ध में पाकिस्तान को थर्रा देने वाले विमानवाहक युद्धपोत आईएनएस विक्रांत को सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल जीवनदान दे दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने इसे कबाड़ में बिकने पर रोक लगा दी है. यह खबर टाइम्स ऑफ इंडिया ने दी है.
मार्च महीने में विक्रांत को भारतीय नौसेना ने नीलाम कर दिया था. कबाड़ का धंधा करने वाली मुंबई की शिप ब्रेकिंग कंपनी आईबी कमर्शल को 63 करोड़ रुपये में बेच दिया था. उसके लिए रिजर्व कीमत महज 3 करोड़ रुपये रखी गई थी लेकिन नीलामी में उस पर 63 करोड़ की बोली लगी. कंपनी इस शानदार लेकिन पुराने युद्धपोत को गुजरात ले जाकर तोड़ने वाली थी. उससे प्राप्त धातु और अन्य सामान बाजार में बेचे जाने थे.
इस विमानवाहक को 20 मई को मुंबई के बंदरगाह से रवाना होना था, लेकिन एक एक्टिविस्ट किरण पायगानकर ने इस मामले में एक जनहित याचिका अदालत में सुनवाई के लिए डाली. इस पर सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने रक्षा मंत्रालय और अन्य को नोटिस जारी किया. इतना ही नहीं अदालत ने इस मामले में यथावत स्थिति रखने को भी कहा. यह विमानवाहक पोत भारत के पहले ब्रिटिश नौसेना का हिस्सा था और यहां 1957 में लाया गया था.
1997 में इसे सेना की सेवा से हटा दिया गया. बाद में इसे मुंबई बंदरगाह में एक म्यूजियम में तब्दील कर दिया गया. लेकिन बाद में नौसेना और सरकार ने कहा कि इसे म्यूजियम में बनाए रखना आर्थिक रूप से संभव नहीं है क्योंकि इसके रखरखाव में काफी खर्च आता है. इतना ही नहीं 70 साल पुराना यह पोत अब बहुत कमजोर हो गया है.
पायगानकर के वकील ने कहा कि इस विमानवाहक पोत को बचाए रखना जरूरी है क्योंकि यह राष्ट्रीय धरोहर है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर स्टे देते हुए कहा कि वह इस पर विस्तार से सुनवाई करेगा.