शिव सेना के तमाम विरोधों के बावजूद कभी भारतीय सेना की शान रहे युद्धपोत आईएनएस विक्रांत को बुधवार को कबाड़खाने भेज दिया गया. एक अधिकारी ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि दूसरे जहाज की मदद से आईएनएस विक्रांत को खींचकर उस जगह ले जाया गया, जहां पुराने जहाज रखे जाते हैं. इस प्रकिया की शुरुआत सुबह करीब 9.45 पर हुई और अपराह्न् 2.30 बजे इसे गंतव्य स्थल पर पहुंचा दिया गया.
सुप्रीम कोर्ट में इस जहाज से संबंधित याचिका पर कोई फैसला आने तक यह वहीं रहेगा. दरअसल एक याचिका के तहत यह मांग की गई है कि आईएनएस विक्रांत को एक तैरते हुए समुद्री संग्रहालय में बदल दिया जाए.
पिछले महीने मुंबई की एक कंपनी आईबीसी प्राइवेट लिमिटेड ने आईएनएस विक्रांत को कबाड़ के रूप में खरीदने के लिए 60 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी.
इस जहाज से पहले ही सभी महत्वपूर्ण चीजें निकाल ली गई हैं और उन्हें गोवा के नौसेना उड्डयन संग्रहालय में भेज दिया गया है.
आईएनएस विक्रांत को भारतीय नौसेना में पहले जहाज वाहक युद्धपोत के रूप में 1961 में शामिल किया गया था. यह भारतीय नौसेना में 37 सालों तक शामिल रहा. जनवरी 1997 के बाद इसका इस्तेमाल नौसेना ने बंद कर दिया। भारत-पाकिस्तान युद्ध (1971) में इसका खूब इस्तेमाल हुआ था.